अंतरराष्ट्रीय वुशु खिलाड़ी ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा, कहा-भाई-भतीजावाद के चलते नहीं किया गया नॉमिनेट

Posted By: Himmat Jaithwar
10/7/2020

जबलपुर: मध्यप्रदेश सरकार का विक्रम अवार्ड-2019 न्यायालय के कटघरे में आ गया है.जबलपुर से अंतरराष्ट्रीय वुशु खिलाड़ी श्रद्धा यादव ने विक्रम अवार्ड 2019 में चयन प्रक्रिया और समिति के खिलाफ हाईकोर्ट की दहलीज पर न्याय के लिए याचिका दायर की है.जिसमें अंकों का झालमेल, भाई-भतीजावाद और सिस्टम में घपले के आरोप लगाए गए हैं. 

इस मामले में जस्टिस विशाल धगट की एकल पीठ ने मध्य प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव व संचालक खेल और युवा कल्याण, कु. चिंकी यादव(शूटिंग खिलाड़ी) व कु. राजेश्वरी कुशराम ( वाटर स्पोर्ट खिलाड़ी) को नोटिस जारी कर चार सप्ताह का समय दिया गया है. इस दौरान उन्हें योग्य होने के बावजूद जबलपुर की वूशु खिलाड़ी श्रद्धा यादव को वर्ष 2019 का विक्रम अवार्ड नहीं दिए जाने का जवाब देना है. 

 245 अंक के बाद भी 60 अंक हासिल करने वाली खिलाड़ी का हुआ चयन

अंतरराष्ट्रीय वुशु खिलाड़ी श्रद्धा यादव की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने न्यायालय को बताया कि श्रद्धा यादव को एकलव्य अवार्ड मिल चुका है. जिसके बाद श्रद्धा ने साल 2019 में विक्रम अवार्ड के लिए आवेदन किया था. इस पर चयन समिति ने प्रमाण पत्रों के आधार पर श्रद्धा को 245 अंक प्रदान दिए थे, परंतु विगत 28 अगस्त 2020 को खेल विभाग द्वारा घोषित अवार्ड के लिए नॉमिनेटेड खिलाड़ियों की सूची में श्रद्धा का नाम नहीं था. केवल 60 अंक प्राप्त शूटिंग खिलाड़ी  चिंकी यादव का नाम उसमें शामिल था. इसी तरह राजेश्वरी कुशराम को व्यक्तिगत खेल की कैटेगरी में विक्रम अवार्ड के लिे नॉमिनेट किया गया जबकि उसकी उपलब्धियां ड्रेगन बोट खेल में होने से उसे दलीय खेल कैटेगरी में नॉमिनेट किया जाना चाहिए था. 

याचिकाकर्ता की ओर से आरोप लगाया गया है कि दोनों खिलाड़ी मध्यप्रदेश राज्य खेल अकादमी में ही प्रशिक्षणरत हैं. साथ ही चिंकी यादव के पिता मेहताब यादव खेल विभाग में ही कार्यरत हैं, इस वजह से चयन समिति द्वारा नियम के खिलाफ जाकर अपने चहेतों को उपकृत कर प्रतिभावान खिलाड़ी श्रद्धा यादव का हक छीना गया है. 

याचिका में इस गलती को सुधारकर श्रद्धा यादव को विक्रम अवार्ड देने व दोषपूर्ण चयन हेतु जिम्मेदार अधिकारियों आदि पर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की गई है. आरोप है कि विक्रम अवार्ड के साथ मध्य प्रदेश शासन द्वारा खिलाड़ी को सरकारी नौकरी व एक लाख रुपये कैश प्राइज मनी दी जाती है. यही वजह से चयन समिति द्वारा नियमों को ताक पर रख चहेतों को सम्मानित किया गया है.

विक्रम अवार्ड 2019 को लेकर याचिकाकर्ता श्रद्धा यादव का कहना है की  निश्चित समयसीमा बीतने पर भी उन्हें चयन प्रक्रिया के दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए. पुनः गणना कर अवार्ड दिए जाने के आवेदन पर भी कोई जवाब ना दिए जाने से व्यथित होकर उन्हें न्यायालय की शरण में जाना पड़ा है. 

श्रद्धा का यह भी कहना है की उन्होंने राष्ट्रीय स्पर्धाओं में 11 पदक जीतकर मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया है. उनको पूरी उम्मीद थी कि मेहनत का फल के रूप में उन्हें विक्रम अवार्ड जरूर मिलेगा.



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