इंदौर। एमवाय हॉस्पिटल में डॉक्टर द्वारा मरीज के साथ मारपीट करने का मामला सामने आया है। मरीज का आरोप है कि एक्सीडेंट के बाद वह भाई के साथ इलाज कराने अस्पताल पहुंचा था, जहां डॉक्टर ने शराब पी रखी थी। उन्होंने मेडिकल करने से मना तो किया ही, साथ ही कपड़े उतरवाकर हमारे साथ मारपीट की। मरीज ने मुंह खोलकर चोट के निशान भी दिखाए, जहां उसके दांत से खून भी बह रहा था। वहीं, एक अन्य मरीज के परिजन का आरोप है कि डॉक्टरों ने आधा इलाज किया। विवाद हुआ तो बोले- मरीज को लेकर भाग जा नहीं तो तेरे और मरीज दोनों के हाथ-पैर तोड़ देंगे। मामले में थाने में मरीज और आरक्षक दोनों की ओर से शिकायत की गई है।
कविता बोली- बेटे का आधा इलाज कर बीच में भगाया।
घटना देर रात की है। परदेशीपुरा थाने के जवान अशोक सिंह सड़क हादसे में घायल दो भाइयों किशोर और प्रदीप को मेडिकल के लिए एमवायएच लेकर आए थे। प्रदीप ने बताया कि डेढ़ घंटे इंतजार कराने के बाद भी उसका इलाज नहीं किया गया। जब उसने डॉक्टर से इस बारे में बात की तो डॉक्टर भड़क गया और उसे लिटाकर साथियों के साथ मिलकर पीटा। जब पुलिसकर्मी बीच-बचाव करने पहुंचे तो उसके साथ भी डॉक्टरों द्वारा मारपीट की गई। इतना ही नहीं, मीडियाकर्मियों को भी नहीं बख्शा। मामले में कार्रवाई के लिए संयोगितागंज थाने पर शिकायत की गई है। मामले की जानकारी लगने के बाद देर रात पुलिस के आलाधिकारी मौके पर पहुंचे।
प्रदीप और किशोर पुलिस जवान के साथ मेडिकल के लिए आए थे।
मरीज ने बताया पूरा घटनाक्रम
मरीज प्रदीप और किशोर के साथ मारपीट हुई। उसने पुलिस को बताया कि मेरे साथ 8 से 10 डाॅक्टरों ने मारपीट की है। वे हमें घेरकर मार रहे थे। मुझे और मेरे भाई को एक कार वाले ने टक्कर मार दी थी। हमने परदेशीपुरा थाने में शिकायत दर्ज करवाई तो पुलिस हमें मेडिकल के लिए यहां लेकर आई। हम यहां एक से डेढ़ घंटे तक डॉक्टर का इंतजार करते रहे। हड्डी वाले जो डाॅक्टर हमें देखने आए, वे शराब के नशे में थे। हमने जैसे ही उन्हें मेडिकल के लिए लेकर आए कागज को दिया, उन्हें पता नहीं क्या हुआ। गाली-गलौच करते हुए कहा कि भागो यहां से, काेई इलाज नहीं करना। इसके बाद साथ आए पुलिस ने सबको बाहर कर दिया और सिर्फ भाई को भीतर लेकर गए। इसके बाद भाई को चेकअप रूम में लिटाकर पकड़े फाड़कर मारा। हमारे साथ करीब 50 मरीज देखने वाले थे। मारपीट के दौरान बड़ी संख्या में पहुंचे डॉक्टरों ने हमें घेर लिया था। हम वहां से बमुश्किल जान बचाकर भागे।
पुलिस अधिकारियों से बात करते प्रदीप।
केस-2: महिला बोली- डॉक्टर बोले मरीज को लेकर नहीं गई तो दोनों के पैर तोड़ देंगे
वहीं, महिला परिजन कविता ने बताया कि मेरे बेटे पंकज का गाड़ी से एक्सीडेंट हो गया। उसे इलाज के लिए अस्पताल लेकर आई हूं। यहां डॉक्टरों ने आधा-अधूरा इलाज किया। बेटे को आधे टांके लगाए और इसी बीच किसी से विवाद हो गया तो बेटे को उसी हाल में छोड़कर चले गए। डॉक्टर कह रहे हैं कि मरीज को यहां से लेकर जाओ नहीं तो उन्हें और पेशेंट दोनों के हाथ पैर तोड़ देंगे। हो गया अब इलाज, यहां से जल्दी निकलो। मैंने उनसे कहा कि दूसरे की सजा हमारे बच्चे को क्यों दे रहे हो तो वे सुनने को ही राजी नहीं हैं। वे कहते हैं जितना इलाज कर दिया, बहुत है। अब तो कुछ नहीं होगा।
अस्पताल के भीतर जमकर हुआ हंगामा।
40 टांके बेटे को आए, आधे लगाए, फिर इलाज बंद कर चले गए
महिला का कहना था कि मेरे पास मात्र 50 रुपए हैं, इतने रुपए में मैं अब उसे कौन से निजी अस्पताल लेकर जाऊं। आधी रात को 3 बजे किसके घर जाकर दरवाजा खटखटाऊं। मैं प्रशासन से यही कहना चाहूंगी कि डॉक्टर ये बहुत गलत कर रहे हैं। यदि मेरे बेटे को यहां से लेकर जाने में कुछ हुआ तो इसके जवाबदार एमवाय प्रबंधन होगा। उसका कहना है कि सारे कागज भी उन्होंने रख लिए, अब लेकर कैसे जाऊं बेटे को कहीं और। ना तो एडमिट का कागज दिया, ना ही डिस्चार्ज किया। कहते हैं कि यहां से लेकर नहीं गए तो हाथ पैर तोड़ देंगे। मेरे बेटे के चेहरे पर 40 टांके आए हैं। आधे ही टांके लगाए। एक डाॅक्टर इलाज करने आया भी तो दूसरे ने कागज फाड़कर कहा कि इसका इलाज नहीं करना है।
वीडियो में डॉक्टर गाली देते नजर आ रहे हैं।
आरक्षक ने भी थाने में कार्रवाई के लिए शिकायत दर्ज करवाई
वहीं, मेडिकल के लिए लेकर आए आरक्षक अशोक सिंह ने भी थाने पर कार्रवाई को लेकर शिकायत की है। उसने बताया कि रात में वह हादसे में घायल किशोर और प्रदीप को मेडिकल के लिए लेकर एमवाय अस्पताल आया था। यहां पर मरीज देखने को लेकर विवाद हुआ। दोनों में हाथापाई और मारपीट शुरू हो गई। मैंने दोनों को समझाने की कोशिश की तो एमवाय के डॉक्टरों ने मेरे साथ अभद्र व्यवहार किया। बीचबचाव में मुझे भी थप्पड़ और लात लगी। उन्होंने मरीज की पर्ची भी फाड़ दी।