दतिया। भांडेर से लहार की ओर जाने वाली सड़क पर स्थित है भाजपा की संभावित प्रत्याशी रक्षा सिरोनिया का गृहगांव बड़ेरा सोपान। इस गांव में 70% लोधी वोटर हैं। चौराहे पर 20-25 लोग बैठे हैं। चुनाव का जिक्र करते ही लोग अपनी समस्याएं गिनाने लगे। एक ने कहा- कैवे खों तो यहां की बिटिया विधायक रही लेकिन विधायक बनकर कभी आई नहीं। फिर बोले, वोट बिटिया को भले न जाए, पार्टी को तो देना पड़ेगा। चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा कर्जमाफी की है।
भांडेर नगर में एसबीआई शाखा में खरीफ फसल के बीमा क्लेम के पैसे का पता लगाने आए किसान चर्चा कर रहे हैं कि क्लेम का एक रुपया नहीं आया। कांग्रेस के जमाने में एक लाख तक का कर्ज तो माफ हुआ था। सरकार बची रहती तो पूरा दो लाख तक का कर्ज माफ हो जाता। इसी बीच एक लाख से अधिक कर्ज वाले किसान टोकते हैं कि कर्ज तो माफ हुआ ही नहीं है। हमारा तो 14 प्रतिशत ब्याज लग गया।
एससी के लिए आरक्षित करीब 2 लाख मतदाताओं वाली भांडेर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने 22 साल पहले यहीं से विधायक रह चुके फूलसिंह बरैया को मैदान में उतारा है। सिंधिया के समर्थन में विधायकी से इस्तीफा देने वाली रक्षा संतराम सिरौनिया का नाम भाजपा से लगभग तय है। चार लोकसभा और दसवां विधानसभा चुनाव लड़ रहे बरैया अभी अपनी टीम खड़ी करने में व्यस्त हैं। पूर्व गृह मंत्री महेंद्र बौद्ध ने कांग्रेस छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया है।
उन्हें बसपा ने प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। इधर, भाजपा के भांडेर से पूर्व विधायक घनश्याम पिरौनिया भी पार्टी कार्यक्रमों से नदारद हैं, जबकि क्षेत्र में उनके गुपचुप दौरे सिंधिया समर्थकों को खटक रहे हैं। एक बैठक में पिरौनिया को पार्टी से बाहर करने तक की मांग उठ चुकी है। भाजपा मंडलों के ज्यादातर पदाधिकारी भी संगठन के कार्यक्रमों तक सीमित हैं। रक्षा सिरौनिया से लोगों को यह भी शिकायत है कि वे फोन नहीं उठातीं। यहां भाजपा की सबसे बड़ी ताकत गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का प्रभाव है।
जनचर्चा... दलबदल करने वाले पर कैसे भरोसा करें
बड़ेरा सोपान में चर्चा करते लोग।
यहां बिकाऊ और टिकाऊ का शोर अभी भी चल रहा है। नगर के पटेल चौराहे पर चुनावी चर्चा में मशगूल कुछ लोग कह रहे हैं कि भाजपा को वोट तो दे दें लेकिन फिर दलबदल न कर लें। यह सुनते ही वहां खड़े कामद गांव के 65 वर्षीय हरनारायण कहते हैं कि बरैया ने भी तो कितने दल बदले, उन पर कैसे भरोसा कर लें।