भोपाल: मध्यप्रदेश में उपचुनाव को एलान हो गया है. राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है. ग्वालियर चंबल इलाके में सबसे ज्यादा 16 सीट हैं इन पर सभी की नजर है. यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इन उपचुनावों में स्थानीय मुद्दे, जातियां, लॉयल वोटर्स, नेताओं की पकड़ सभी की परीक्षा होगी.हम आपको इन्हीं बिंदुओं के आधार पर एक-एक सीट का हाल बता रहे है. आज की सीट है अम्बाह सीट....
सीट- अम्बाह विधानसभा
वोटर- 222060
महिला वोटर-102538
पुरुष वोटर- 119517
अम्बाह विधानसभा क्षेत्र की प्रमुख जातियां/उप जातियां
जातियां-(राजपूत, ब्राह्मण, ओबीसी और दलित)
राजपूत- तोमर
ब्राह्मण- मिश्रा, शर्मा, उपाध्याय और ऋषीश्वर
ओबीसी- बघेल, राठौर, गुर्जर
अनुसूचित जाति- जाटव, माहौर, कोरी
सीट पर कौनसी जाति डॉमिनेट करती है?
अम्बाह विधानसभा तोमर राजपूत बाहुल्य है. ब्राह्मण मतदाताओं की भी यहाँ अच्छी खासी तादाद है. अम्बाह विधानसभा सीट आरक्षित सीट है. राजपूत और ब्राह्मण के बाद यहाँ अनुसूचित जाति के जाटव और सखबार बहुतायत में है. इस सीट पर भले ही बीजेपी, कांग्रेस और बसपा के आरक्षित होने के कारण अनुसूचित जाति के उम्मीदवार चुनकर मध्यप्रदेश विधानसभा में बैठते रहे हों लेकिन उनके पीछे राजपूत और ब्राह्मण वर्ग का समर्थन रहता है.
जातियों का वोटिंग पैटर्न क्या है?
राजपूत और ब्राह्मण वोट होते हैं निर्णायक
अम्बाह विधानसभा सीट आरक्षित है चूंकि यह राजपूत बाहुल्य क्षेत्र है और ब्राह्मणों की भी बड़ी आबादी है. तो ऐसे में जिस उम्मीदवार को राजपूत और ब्राह्मणों का समर्थन मिल जाता है उसके सिर जीत का सेहरा बंध जाता है.
अनुसूचित जाति : पार्टी नहीं उम्मीदवार के नाम पड़ते हैं वोट
अम्बाह विधानसभा सीट आरक्षित सीट है. यहाँ अनुसूचित जाति के सखबार और जाटव की भी अच्छी खासी संख्या है चूंकि आरक्षित होने के कारण उम्मीदवार भी इन्हीं में से कोई होता है तो इसे में सखवार और जाटव में दो खेमे दिखाई पडते है. चूंकि यहां माहौर और वाल्मीकि जाति के लोग भी है लेकिन उनकी तादाद सखबार और जाटवों से कम है.
पिछड़ा वर्ग : कई उपजातियों के कारण बिखराव
अम्बाह विधानसभा में पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी की तादाद तो अच्छी खासी है लेकिन यह उपजातियों में बंटे हैं जैसे राठौर, बघेल, गुर्जर आदि. इस बिखराव के कारण पिछड़ा वर्ग की प्रत्येक उपजाति का अपना स्वतंत्र मत है जिसके कारण इनके वोट बंटते रहते हैं.
जातियों के प्रमुख मुद्दे-
राजपूत और ब्राह्मण- जातिगत आरक्षण:
राजपूत और ब्राह्मण वर्ग के मुद्दे समान ही हैं.
आरक्षण पर दोनों वर्ग समान रूप से सहमत हैं कि इससे गरीब सवर्ण परिवारों को उस लाभ से वंचित हो जाना पड़ता है जो अनुसूचित जाति के संपन्न लोग भी बड़ी सहजता से प्राप्त कर लेते हैं.
रोजगार:
यहां के युवाओं के लिये रोजगार की बड़ी समस्या है. जिनके पास जमीन और आय के अन्य साधन नहीं है उनको बाहर का रुख करना पड़ता है. मनरेगा जैसी योजनाओं में भी मशीनों का उपयोग बढने से रोजगार का संकट और गहराने लगा है.
स्वास्थ्य और शिक्षा:
अम्बाह क्षेत्र की अधिकतर आबादी गांवों से आती है जबकि आबादी का एक हिस्सा अम्बाह कस्बे में भी निवास करता है लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की कमी हैं. अम्बाह जैसे कस्बे में जहाँ अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय, जनपद पंचायत कार्यालय और नगर पालिका है वहां भी स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा ऐसा है कि गंभीर मरीजों को मुरैना या ग्वालियर रैफर कर दिया जाता है हालांकि अम्बाह में शासकीय सिविल अस्पताल है लेकिन बदहाली और स्वास्थ्य उपकरणों के अभाव में सांसें भर रहा है.
अम्बाह में पोस्ट ग्रेजुएट काॅलेज भी है लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिये युवाओं को ग्वालियर का रुख करना पड़ता है.
झुकाव- इन जातियों का सामान्य तौर पर बीजेपी की तरफ झुकाव होता है. बीजेपी भी अम्बाह विधानसभा सीट पर उन्हीं उम्मीदवारों पर दांव लगाती है जो सवर्ण वोटरों का समर्थन हासिल कर सकते हैं.
प्रमुख नेता- केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के प्रभाव वाली सीट है.
अनुसूचित जाति के मुद्दे-
(1)- दलितों के लिये सबसे बड़ी समस्या सरकार द्वारा सन् 2000 में जो पट्टे आबंटित किये गये थे उसकी है. दरअसल अनुसूचित जाति के लोगों को यह पता ही नहीं है कि सरकार द्वारा उनकी आवंटित जमीन आखिर है कौन सी. जमीन चिन्हित न हो पाने से अक्सर यह समस्या खड़ी हो जाती है कि दबंग उनसे उस जमीन को अपनी कहकर हड़प लेते हैं।
(2)- युवाओं के लिये रोजगार की समस्या
(3) अनुसूचित जाति के लोगों के लिये यह भी एक बड़ी समस्या है कि उनकी बारातों को स्कूल या ऐसी जगहों पर ठहरने से रोक दिया जाता है जहां सवर्णोंकी बारात ठहरती हैं या ठहरी हों।
(4) सवर्ण या ओबीसी समुदाय के लिये जहाँ बेहतर शिक्षा एक मुद्दा है वहीं अनुसूचित जाति के लिये बेहतर शिक्षा तो मुद्दा है ही ,साथ ही स्कूलों में भेदभाव इससे भी बड़ा मुद्दा है.
झुकाव- अम्बाह विधानसभा सीट आरक्षित है. बीजेपी ,कांग्रेस और बसपा में इनकी ही जाति के उम्मीदवार मैदान में उतरते हैं तो इनके वोट यहाँ उम्मीदवार पर पडते है न कि किसी पार्टी विशेष पर.
प्रमुख नेता- उम्मीदवार के नाम पर ही वोट पड़ते हैं.
ओबीसी जाति के मुद्दे-
(1)- रोजगार का मुद्दा
(2)-शिक्षा और स्वास्थ्य का मुद्दा
(3)- आरक्षण का मुद्दा
झुकाव- अम्बाह विधानसभा क्षेत्र में ओबीसी मतदाता अनेक उपजातियों में बंटे है. जिसके कारण इनके वोट भी बंटते रहते हैं.
प्रमुख नेता- उम्मीदवार पर ही वोट करते हैं.
पिछले चुनावों में क्या परिणाम रहा?
अम्बाह विधानसभा चुनाव- 2008
2008 में बीजेपी से कमलेश जाटव विजयी रहे. दूसरे नंबर पर बीएसपी के सत्यप्रकाश सखबार तो वहीं तीसरे स्थान पर कांग्रेस से सुरेश जाटव रहे।
किस पार्टी को कितने परसेंट वोट
बीजेपी को 36.52%, बसपा को 31.60% तथा कांग्रेस को 19.91% मत मिले।
अम्बाह विधानसभा चुनाव- 2013
2013 में बसपा के रामप्रकाश सखवार विजयी रहे जबकि बीजेपी के वंशीलाल जाटव दूसरे स्थान पर और कांग्रेस के अमर सिंह सखवार तीसरे स्थान पर रहे।
किस पार्टी को कितने वोट परसेंट
बसपा को 45.04% ,बीजेपी को 34.79% और कांग्रेस को 18.29%. मत मिले।
अम्बाह विधानसभा चुनाव- 2018
2018 में कांग्रेस से कमलेश जाटव विजयी रहे। निर्दलीय उम्मीदवार नेहा किन्नर दूसरे स्थान पर रहीं तो वहीं बीजेपी के गब्बर सखबार तीसरे स्थान पर रहे।
किस पार्टी को कितने वोट परसेंट
कांग्रेस को 29.89%, निर्दलीय को 23.85% तथा बीजेपी को 23.79% वोट मिले।