जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन के क्रीमी लेयर ओबीसी वर्ग के जाति प्रमाण पत्र को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि चुनाव लड़ने में उनके द्वारा प्रमाण पत्र का गलत उपयोग किया गया है. मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन के शासकीय अधिवक्ता से जवाब तलब किया है. इसके लिए उन्हें एक सप्ताह का समय भी दिया गया है.
पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन के खिलाफ यह याचिका बालाघाट लांजी से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक किशोर समरीते की तरफ से दायर की गई है. दरअसल, पूर्व मंत्री बिसेन के आवेदन पर 18 मार्च 2018 को एसडीएम वारासिवनी ने उन्हें क्रीमी लेयर के अंतर्गत ओबीसी वर्ग का जाति प्रमाणपत्र जारी कर दिया था. जिसमें उन्हें पूर्व मंत्री और सांसद होने की जानकारी नहीं बताई थी.
वहीं, समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक किशोर समरीते की तरफ से उपस्थित हुए अधिवक्ता शिवेंद्र पांडेय ने दलील दी कि इस आवेदन में बिसेन ने अपनी वार्षिक आय महज 80 हजार रुपये बताई है. एसडीएम ने भी बिसेन की दी हुई जानकारी को सत्य मानकर उन्हें आय प्रमाणपत्र जारी कर दिया. गलत तरीके से हासिल किए गए इस प्रमाणपत्र का उपयोग बिसेन ने लोकसभा चुनाव में भी किया. इतना ही नही प्रमाणपत्र का उपयोग बिसेन ने अपने स्वजनों के लिए भी किया. इसकी हर स्तर पर शिकायत की गई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.
मामले में प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार के पैनल लायर ऋत्विक पाराशर को निर्देश दिए कि वे महाधिवक्ता कार्यालय के अधिकारियों को मामले की जानकारी प्रदान करें. जिसके बाद राज्य शासन से निर्देश हासिल कर जवाब की प्रस्तुति सुनिश्चित की जाए.