वेंटिलेटर में धमाके के बाद आग, कोराना संक्रमिताें के बीच भर्ती मरीज की ऑक्सीजन न मिलने से मौत

Posted By: Himmat Jaithwar
10/1/2020

बुधवार की दोपहर पौने दो बजे कोरोना आईसीयू में अचानक धमाके की आवाज आती है। हर तरफ धुआं ही धुआं नजर आता है। मरीज, उनके अटेंडर और स्टाफ की चिल्लाने की आवाज सुनकर अस्पताल परिसर में ही मौजूद दैनिक भास्कर का रिपाेर्टर भी वहां पहुंच जाता है। आईसीयू में अफरा-तफरी के बीच मरीजाें को दूसरे हॉल में शिफ्ट करने का सिलसिला शुरू हो जाता है। स्टाफ और मरीजों के अटेंडर से पूछने पर पता चलता है कि कोविड-19 आईसीयू वार्ड में वेंटीलेटर की हाई फ्लो ऑक्सीजन मशीन में आग लगने के कारण धमाका हुआ है। आईसीयू वार्ड के अंदर धुंआ भरने से सांस लेने में मरीजों को तकलीफ हो रही थी।

दस बिस्तर के आईसीयू में भर्ती चार कोरोना संक्रमित और एक अन्य मरीज को आईसीयू से बाहर हॉल में शिफ्ट कर दिया गया। इस बीच सिविल सर्जन भी उस हॉल में पहुंच जाते हैं। इसी हाॅल में गुना के गंभीर मरीज मोहम्मद इस्लाम ऑक्सीजन के लिए तपड़ रहे हा था। बेटा ताहिर अपने पिता की जान बचाने के लिए बार-बार गुहार लगा रहा था। लेकिन वहीं मौजूद सिविल सर्जन और अन्य स्टाफ ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया। इसी बीच पहला सिलेंडर लाया गया लेकिन चाबी न हाेने से वह सिलेंडर चालू नहीं हाे पाया। आखिरकार जब तक दूसरा सिलेंडर लगाया गया, तब तक उसकी सांसें थम चुकी थी।

मरीज की मौत के बाद जिला अस्पताल पहुंचे कलेक्टर ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए
पिता को झटके लेते हुए देखकर ताहिर चिल्ला रहा था कि मेरे पापा को देखाे। लेकिन तत्काल किसी ने ध्यान नहीं दिया। जबकि आगजनी की घटना के बाद सिविल सर्जन, डॉक्टर और अस्पताल का अन्य स्टाफ भी हॉल में मौजूद था। इधर मरीज की सांसें उखड़ रहीं थीं। इसी बीच एक कर्मचारी ऑक्सीजन का सिलेंडर लेकर पहुंचा तो उसकी चाबी नहीं थी। बाद में जैसे ही दूसरा सिलेंडर लाए और डॉ रीतेश यादव की नजर पड़ी तो उन्होंने ऑक्सीजन चालू करने की कोशिश की, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और इस्लाम की सांसें पूरी तरह उखड़ चुकी थीं। अपने पिता की मौत के लिए बेटे ताहिर व तारिफ ने अस्पताल स्टाफ को जिम्मेदार ठहराया। घटना के बाद कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह जिला अस्पताल पहुंचे और घटना स्थल का मुआयना किया। कलेक्टर ने मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। सहायक कलेक्टर काजल जावला को घटना की जांच सौंपी है।

दस मिनट तक तड़पते रहे...
वेंटिलेटर में आग लगने के बाद 10 मिनट तक अफरा-तफरी मची रही। इस दौरान मोहम्मद का बेटा ताहिर डॉक्टरों से गुहार लगाता रहा कि अब्बू की हालत बिगड़ रही है, कोई तो उन्हें ऑक्सीजन लगा दो, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। आखिर मोहम्मद ने वहीं दम तोड़ दिया।

करीब 30 लाख रुपए की मशीनें, जांच में पता चलेगी आग लगने की वजह
कोरोनाकाल में प्रदेश सरकार ने दस मशीनें शिवपुरी भेजी हैं। उनकी 25 से 30 लाख रु. कीमत आंकी जा रही है। लेकिन शासन ने किस रेट में मशीन खरीदी हैं, अधिकारियों को कुछ पता नहीं है। मार्केट में रेट तीन लाख के आसपास हैं। मशीन में किस खराबी से आग लगी, यह जांच में स्पष्ट होगा। इसके लिए भोपाल से इंजीनियर को बुलाया है। बताया जा रहा है कि मशीनें घटिया हैं। इस कारण आगजनी की घटना हुई।

हाई फ्लो ऑक्सीजन मशीन, प्रति मिनट 50 से 60 लीटर तक आक्सीजन देती है
कोरोना संक्रमण के दौर में ऑक्सीजन सिलेंडरों की भारी कम आई है। ऐसे हालात में प्रदेश सरकार ने गंभीर मरीजों के लिए हाई फ्लो ऑक्सीजन मशीनें खरीदकर दी हैं। यह मशीन एक मिनट में 50 से 60 लीटर तक ऑक्सीजन देती है। लिहाजा ऑक्सीजन सिलेंडरों पर निर्भर रहने की जरुरत नहीं पड़ती।

गुना के जिस मरीज की मौत हुई है, उनकी हालत पहले से गंभीर थी, हमारे एसआर, जेआर मौके पर मौजूद थे
तकनीकी खराबी की वजह से वेंटीलेटर की हाई फ्लो ऑक्सीजन मशीन में आग लगी है। आग लगने के तुरंत बाद ही मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया था। जिस गुना के मरीज की मौत हुई है, वो पहले से गंभीर हालत में चल रहे थे। ऑक्सीजन लगी हुई थी, उनके इलाज के लिए हमारे एसआर, जेआर मौके पर मौजूद थे।
इला गुजारिया, डीन, मेडिकल कॉलेज शिवपुरी



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