मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर विरोध खुलकर सामने आने लगा है। चार दिन में तीन बड़े नेता पार्टी काे छोड़ चुके हैं। चंबल के बड़े नेता पूर्व मंत्री महेंद्र बौद्ध के बाद अब मुरैना और विंध्य में भी बगावत सामने आ गई है।
मुरैना जिले के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और दिमनी विधानसभा से कांग्रेस से प्रबल दावेदार रहे सत्येंद्र सिंह तोमर और विंध्य अंचल के कद्दावर कांग्रेस के नेता और 2018 में मैहर से कांग्रेस के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे श्रीकान्त चतुर्वेदी ने पार्टी छोड़ दी है। उन्होंने शुक्रवार देर रात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपस्थिति में मुख्यमंत्री निवास में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
सत्येंद्र सिंह को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदस्यता दिलाई।
सत्येंद्र सिंह की नाराजगी
दिमनी से टिकट के प्रबल दावेदार सत्येंद्र सिंह को टिकट नहीं दिया गया। उनकी जगह रविंद्र सिंह तोमर को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया। ऐसे में सत्येंद्र ने इसका विरोध भी जताया था। उन्होंने आलाकमान को अपनी नाराजगी जताई थी, लेकिन उनकी बात तक नहीं सुनी गई। ऐसे में उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में जाना ही उचित समझा।
12 नामों के लिए कांग्रेस में उठापटक हो रही
कांग्रेस ने पहली सूची में 15 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। शेष 13 सीटों में से ब्यावरा को छोड़कर सभी 12 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय कर लिए हैं। यहां के संभावित उम्मीदवार अपनी दावेदारी भी पेश कर चुके हैं। मुख्य रूप से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ही इन्हें फाइनल कर चुके हैं। हालांकि अभी पत्ते नहीं खोले गए हैं। अभी भी कुछ और नामों को लेकर स्थिति साफ नहीं होने के कारण यह पूरी उठापटक हो रही है।
यहां अभी नामों की घोषणा होना शेष
मेहगांव, सुमावली, बड़ामलहरा, मांधाता, मुरैना, पोहरी, ब्यावरा, ग्वालियर पूर्व, मुंगावली, सुवासरा, बदनावर और जावरा समेत 13 सीटों पर नामों की घोषणा शेष है। 12 नामों की सूची लेकर कमलनाथ दिल्ली में हैं। उन्होंने राहुल गांधी और सोनिया गांधी को लिस्ट सौंप दी है। इससे पहले भी उन्होंने 20 सितंबर को भी इस संबंध में उनसे मुलाकात की थी, लेकिन नाम फाइनल नहीं हो पाए थे। भांडेर और दिमनी में खुले तौर पर बगावत के बाद पार्टी अब शेष नामों की घोषणा करने के पहले बगावती तेवरों वाले नेताओं को साधने में जुट गई है।