केरल में थ्रिसूर के रहने वाले सैवियो जोसेफ पिछले 7 महीने में तीन बार कोरोना से जूझ चुके हैं। इनका मामला डॉक्टरों के लिए पहेली बना हुआ है। 38 साल के जोसेफ को पहला संक्रमण मार्च में हुआ, जब वह विदेश में थे। मस्कट में एक बार संक्रमण होने के बाद दो बार केरल में उनकी कोविड-19 रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
जोसेफ के मुताबिक, वह सीने में तकलीफ महसूस कर रहे थे। कोरोना की डिटेल्ड टेस्टिंग नहीं करा सके थे। बार-बार संक्रमण के डर के कारण वह अपनी 7 माह की जुड़वा बच्चियों से अब तक नहीं मिल सके हैं।
थ्रिसूर जिले की मेडिकल ऑफिसर डॉ. केजे रीना का कहना है, केरल में कोरोना के री-इंफेक्शन का यह पहला मामला है। ऐसा लगता है कि वायरस शरीर में कुछ समय तक निष्क्रिय रहा और बाद में एक्टिव हुआ, इसलिए रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
कब-कब हुआ संक्रमण
पहला संक्रमण : 17 मार्च को बुखार और सांस लेने की तकलीफ होने पर भर्ती हुए
पहला संक्रमण मार्च में मस्कट में हुआ। सांस लेने में दिक्कत हुई और बुखार हुआ। 17 मार्च को मस्कट के सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में भर्ती हुए। उनका निमोनिया का इलाज चला। जोसेफ की कोविड रिपोर्ट निगेटिव आई लेकिन उनका कहना है, उनके सम्पर्क में आए कलीग, डॉक्टर्स और नर्स की रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
दूसरा संक्रमण : रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर 18 जुलाई को फिर हॉस्पिटल में भर्ती किया गया
जोसेफ 28 जून को भारत आए तो एयरपोर्ट पर जांच हुई। रिपोर्ट निगेटिव आई। वह कुछ दिन पर घर पर क्वारेंटाइन रहे। फिर कुछ समय बाद सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्होंने स्थानीय सरकारी अस्पताल से सम्पर्क किया। कोविड-19 की जांच हुई और रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 18 जुलाई को उन्हें थ्रिसूर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया। इलाज के बाद रिपोर्ट निगेटिव आने पर 1 अगस्त को हॉस्पिटल से डिसचार्ज किए गए। इसके बाद जोसेफ घर में 8 दिन तक क्वारेंटाइन भी रहे।
तीसरा संक्रमण : 3 सितम्बर को फिर कोरोना की पुष्टि हुई
कुछ समय बाद जोसेफ को फिर सांस लेने में तकलीफ और फेफड़ों में दर्द महसूस हुआ। उसने दोबारा डॉक्टर से सलाह ली। डॉक्टर्स ने पल्मोनरी फाइब्रोसिस और हाई वायरस लोड का खतरा बताया। जांच हुई और 3 सितम्बर को एक बार फिर कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई। थ्रिसूर मेडिकल कॉलेज में इलाज के बाद 11 सितंबर को रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद डिस्चार्ज किया गया।