सुख और खुशियां सिर्फ धन से नहीं आती। धन कमाना जरूरी है लेकिन वक्त से साथ रिश्तों और आपसी प्रेम के लिए अपनों के साथ वक्त बिताना भी जरूरी है। क्योंकि, धन तो किसी भी वक्त मेहनत करके कमाया जा सकता है। लेकिन, जो वक्त गुजर चुका है उसे लौटा नहीं सकते। आज में रहें, रिश्तों के आनंद का सुख लें और अपनों को अपना वक्त दें।
एक पुरानी लोक कथा है। किसी नगर में एक व्यापारी रहता था। नगर में उसका काम बहुत कम चलता था। कई बार तो ऐसी स्थिति आ जाती की, दिनभर कोई सौदा नहीं बिकता। घर में उसे और पत्नी को भूखे रहने तक की नौबत आ जाती थी। समय गुजरता गया, लेकिन उसकी स्थिति नहीं सुधरी। तब उसे किसी मित्र ने सलाह दी कि अपने नगर की बजाय आसपास के नगरों में जाकर व्यापार करो। शायद मुनाफा ज्यादा होगा। व्यापारी को बात जम गई।
वो पत्नी और बच्चों को छोड़कर दूसरे नगर में व्यापार के लिए गया। भाग्य से दोस्त की सलाह काम कर गई और उसे अच्छा-खासा मुनाफा हुआ। वो लंबे समय तक दूसरे शहरों में रह कर व्यापार करने लगा। वहां उसे बहुत फायदा हुआ। उसने अपने नगर में आकर नया घर बना लिया। तब पत्नी ने कहा कि अब हमारे पास पर्याप्त धन है। हम अपना जीवन आसानी से गुजार सकते हैं। आपको अब दूसरे शहरों में नहीं जाना चाहिए। हमारे साथ यहीं रहिए। बच्चों को भी अपना कुछ समय दीजिए।
व्यापारी ने कहा, मैं अभी और धन कमाना चाहता हूं ताकि तुम लोगों को और बेहतर जीवन दे सकूं, हमारे बच्चों को वैसे दिन ना देखने पड़ें, जैसे मैंने और तुमने देखे हैं। पत्नी ने कहा लेकिन धन कमाने में जो समय गुजर गया है वो फिर लौटकर नहीं आएगा, हम जीवन में साथ रहने के आनंद से वंचित रह रहे हैं। व्यापारी ने जवाब दिया, बस कुछ साल और व्यापार कर लेने दो, हम इतना धन इकट्ठा कर लेंगे कि हमारी पीढ़ियों का जीवन आसानी से गुजर जाएगा।
व्यापारी फिर चला गया। कुछ साल और बीत गए। बहुत धन आ गया। व्यापारी ने फिर नदी के किनारे एक सुंदर स्थान पर बड़ा सा महल बनवा लिया। पूरा परिवार इसमें रहने लगा। वो जगह इतनी सुंदर थी जैसे कि स्वर्ग। तब व्यापारी की बेटी ने उससे कहा कि पिताजी हमारा पूरा बचपन बीत गया लेकिन हम आपके साथ रह ही नहीं पाए। अब तक हमारे पास इतना धन भी है कि पांच-छह पीढ़ियों तक हमें कोई समस्या नहीं आ सकती। अब आप हमारे साथ रहें।
व्यापारी ने कहा हां, बेटी अब मैं भी थकने लगा हूं और कुछ समय तुम लोगों के साथ बिताना चाहता हूं। मैं कल सिर्फ दो दिन के लिए पास के नगर में जा रहा हूं, कुछ पुराना बकाया धन वसूलना है। उसके बाद में यहीं तुम लोगों के साथ रहूंगा। व्यापारी का परिवार बहुत खुश हो गया। अगले दिन व्यापारी दूसरे नगर चला गया और उसी दिन भयानक बारिश शुरू हो गई और जिस नदी के किनारे व्यापारी ने अपना महल बनाया था, उसमें बाढ़ आ गई।
महल सहित उसका पूरा परिवार बाढ़ में बह गया। व्यापारी जब लौटा तब तक सब उजड़ चुका था। व्यापारी को अपनी गलती का एहसास हुआ। धन कमाने के चक्कर में उसने हमेशा मोहलत चाही। कभी अपने व्यापार को के काम को टाल कर परिवार को समय दिया ही नहीं और जब समय देने की बारी आई तो परिवार दूर जा चुका था।