भोपाल। वन्य प्राणियों के शिकारियों ने अब एक नया पैंतरा अपनाना शुरू कर दिया है। ये शिकारी शिकार करने के बाद अब उनके अंगों काे वैध बताकर बेच देते हैं। इसके लिए वे फर्जी सर्टिफिकेट का सहारा लेते हैं। पिछले दिनाें इसके लिए शिकारियों ने तीन से चार लोगों से वन प्राणियाें के अंगाें और ट्राफी (वन्य प्राणी की सिर सहित पूरे शरीर की खाल) बेचने के लिए संपर्क किया था, लेकिन कोई झांसे में नहीं आया।
उल्टे सूचना वन विभाग काे दे दी। वन विभाग ने सूचना के आधार पर साउथ सिविल लाइन जबलपुर से तीन आराेपियाें काे गिरफ्तार किया है। आरोपियाें को एसटीएफ न्यायालय जबलपुर में पेश कर रिमांड ली। वाइल्ड लाइफ मुख्यालय के एसडीओ रजनीश सिंह ने बताया कि टीम ने एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है, जो चीतल और तेंदुए की ट्राफी बेचने की फिराक में था।
दो आरोपी पन्ना के और एक छतरपुर का रहने वाला
ये आरोपी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ट्राफी को अपने खानदान की बताकर बेच रहे थे। दो आरोपी जितेंद्र तिवारी और ओम प्रकाश सेन पन्ना के रहने वाले हैं। जबकि उमेश पटेल छतरपुर रहता है। जीतेंद्र उर्फ जीतू के पिता पुलिस में आरक्षक हैं। वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के सेंट्रल रीजन के डिप्टी डायरेक्टर अभिजीत राय चौधरी के मुताबिक प्रारंभिक जांच में आरोपियों के वन्य जीवों के अंगों की तस्करी के कारोबार में संगठित गिरोह के रूप में जुड़े होने के साक्ष्य मिले हैं।