किसानों के मुद्दे को लेकर एनडीए के सबसे पुराने साथियों में से एक शिरोमणि अकाली दल ने बागी तेवर अपना लिए हैं। एनडीए सरकार में अकाली दल के कोटे से अकेली कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर ने गुरुवार को इस्तीफा दे दिया। आने वाले समय में अकाली दल एनडीए का हिस्सा रहेगा या नहीं? इस पर पार्टी के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल कहना है कि वह इसका फैसला बाद में करेंगे।
अकाली दल यदि एनडीए छोड़ती है तो यह सबसे पुरानी और एक मात्र बची सहयोगी होगी, जो बाहर निकल जाएगी। एनडीए के गठन से लेकर अब तक 22 साल हो चुके हैं। इन 22 सालों में 29 पार्टियां एनडीए छोड़कर बाहर निकल चुकी हैं। इनमें वो तमाम एनडीए फाउंडेशन सदस्य भी हैं, जो साथ छोड़ चुकी हैं। सिर्फ बची है तो वो है प्रकाश सिंह बादल की अकाली दल। फिलहाल एनडीए में 26 पार्टियां हैं।
आइए अटल बिहारी बाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के एनडीए बनाने से लेकर अकाली नेता हरसिमरत कौर के इस्तीफा देने तक की पूरी कहानी को समझते हैं। जानते हैं कि दो दशक में एनडीए कब कितना मजबूत और कमजोर रहा है? कौन आया और गया?
एनडीए क्या है?
NDA का मतलब नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन है। यह गठबंधन 1998 में बनाया गया था। जिसके दम पर 1998 से लेकर 2004 तक भाजपा केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार चलाने में कामयाब रही। एनडीए के घटक दल अब तक साथ में मिलकर 6 लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं।
एनडीए को बनाया किसने था?
एनडीए के संस्थापक लाल कृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी रहे थे। एनडीए के पहले चेयरमैन अटल बिहारी वाजपेयी थे। 2004 से 2012 आडवाणी इसके चेयरमैन रहे। एनडीए में दूसरा अहम पद कन्वीनर का होता है। जार्ज फर्नांडीस एनडीए के पहले कन्वीनर (संयोजक) रहे। फिलहाल अमित शाह एनडीए के चेयरमैन हैं। कन्वीनर की जगह खाली है।
किन पार्टियों के साथ मिलकर बनी थी एनडीए?
1998 में जब लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी ने एनडीए बनाने का फैसला किया था, तो उस वक्त जॉर्ज फर्नांडीज की समता पार्टी, जयललिता की अन्नाद्रमुक, प्रकाश सिंह बादल की अकाली दल और बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना ने इसे सबसे पहले ज्वॉइन किया था। चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा ने इसे बाहर से समर्थन देने का फैसला किया था।
2014 आम चुनाव में एनडीए की स्थिति कैसी थी?
2013 में जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तो 29 पार्टियां एनडीए में थीं। आम चुनाव में भाजपा ने अकेले 282 सीटें जीती थीं, जबकि एनडीए के अन्य 11 साथी 54 सीटें जीतने में कामयाब हुए थे। चुनाव के बाद भी कई दल एनडीए में आए, लेकिन मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 5 साल में 16 पार्टियों ने एनडीए छोड़ दिया।
2019 आम चुनाव में एनडीए की स्थिति?
आम चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने दावा किया था कि एनडीए में एआईएडीएमके, शिवसेना, जेडीयू, एलजेपी, अकाली दल, अपना दल, पीएमके, आरपीआईए, बोडो लैंड पीपुल्स फ्रंट, एआईएनआरकांग्रेस, नागा पीपुल्स फ्रंट, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, नेशनल पीपुल्स पार्टी, मिजो नेशनल फ्रंट, राष्ट्रीय समाज पक्ष, केएमडीके, इंडिया जननायगा काटची, गोमांतक पार्टी, गोवा फारवर्ड पार्टी, केरल कांग्रेस नेशनलिस्ट, सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी जैसे 42 दल शामिल थे।
2019 आम चुनाव में एनडीए के कितने दलों ने चुनाव लड़ा?
2019 आम चुनाव में एनडीए में शामिल 21 दलों ने चुनाव लड़ा था। इनमें भाजपा समेत 13 पार्टियां सीट जीतने में कामयाब रही थीं। एनडीए को कुल 354 सीटें मिलीं। जिनमें से भाजपा को 303 और अन्य 12 दलों को 51 सीटें मिलीं।
2020 में एनडीए की स्थिति?
2019 आम चुनाव के बाद महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए हैं। इनमें से तीन राज्यों में भाजपा हार चुकी है। दो में सत्ता गंवा चुकी है। आम चुनाव के बाद शिवसेना और ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन एनडीए से बाहर हो गई हैं, जो दो पार्टियां बाहर हुई हैं। उनके कुल 19 सांसद थे।
एनडीए की मौजूदा स्थिति क्या है?
फिलहाल एनडीए में 26 पार्टियां हैं। इनमें से 17 पार्टियां ऐसी हैं, जिनके लोकसभा या राज्यसभा में सदस्य हैं। फिलहाल एनडीए के लोकसभा में 336 और राज्यसभा में 117 सदस्य हैं।
कितने राज्यों में एनडीए की सरकार है?
फिलहाल एनडीए घटक दल 22 राज्यों में है। 18 राज्यों में एनडीए की सरकार है। एनडीए की केंद्र में अब तक कुल 12 साल 178 दिन सरकार रह चुकी है।
किन दलों से मिलकर एनडीए बना था?
एनडीए भाजपा समेत 14 दलों से मिलकर बना था। इनमें भाजपा, अन्नाद्रमुक, समता पार्टी, बीजू जनता दल, शिरोमणि अकाली दल, राष्ट्रीय तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, पीएमके, लोक शक्ति, एमडीएमके, हरियाणा विकास पार्टी, जनता पार्टी, मिजो नेशनल फ्रंट, एनटीआर टीडीपी एलपी शामिल थे।
एनडीए की संस्थापक पार्टियों में कौन से अब बचे हैं?
एनडीए की संस्थापक पार्टियों में चार दल अभी एक साथ हैं। इनमें भाजपा, अकाली दल, अन्ना द्रमुक, मिजो नेशनल फ्रंट, पीएमके शामिल हैं। लेकिन, इनमें से अन्ना द्रमुक, मिजाे नेशनल फ्रंट, पीएमके बीच में एनडीए को छोड़ चुके हैं और अब दोबारा साथ में आए हैं। सिर्फ अकाली दल एक मात्र पार्टी है, जो पहले दिन से अभी तक एनडीए में बनी हुई है।
अकाली दल के विरोध के पीछे वजह क्या है?
- पंजाब में किसान शिरोमणि अकाली दल की रीढ़ हैं। इसलिए आंदोलन की शुरुआत में अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा था, 'सभी अकाली किसान हैं और सभी किसान अकाली हैं।'
- पंजाब की सभी किसान यूनियन अपने मतभेदों को किनारे रखकर केंद्र सरकार के तीन अध्यादेश का विरोध कर रही हैं। मालवा बेल्ट के किसान यह चेतावनी जारी कर चुके हैं कि जो भी नेता इन अध्यादेश का समर्थन करेगा, उन्हें गांवों में नहीं घुसने दिया जाएगा।
- राजनीतिक वजह भी है, क्योंकि अकाली दल पंजाब में अभी हाशिये पर है। 2017 के विधानसभा चुनाव में 117 सीटों में से अकाली दल को महज 15 सीटें मिली थीं। 2017 से पहले अकाली दल की राज्य में लगातार दो बार सरकार रही थी।
- राजनीतिक एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अकाली दल राज्य में अपने वोट बैंक को दोबारा सहेजने में जुटी है। दो साल बाद राज्य में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। हरसिमरत का इस्तीफा भी इसी कड़ी का हिस्सा है। इसके लिए अकाली आगे एनडीए भी छोड़ सकते हैं।