बैंकिंग रेगुलेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2020 बुधवार को लोकसभा में पारित हो गया। इस विधेयक में कॉपरेटिव बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की निगरानी में लाने का प्रस्ताव रखा गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कॉपरेटिव बैंकों के गवर्नेंस में सुधार करने और जमाकर्ताओं के पैसे की सुरक्षा के लिए यह विधेयक लाया गया है।
2018-19 में 277 अर्बन कॉपरेटिव बैंकों ने घाटा दर्ज किया था
बैंकिंग नियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 को लोकसभा में पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि सरकार को लॉकडाउन के दौरान अध्यादेश लाना पड़ा था, क्योंकि कॉपरेटिव बैंकों की हालत बहुत खराब थी। मार्च 2019 में कॉपरेटिव बैंकों का ग्रॉस एनपीए 7.27 फीसदी था, जो मार्च 2020 में बढ़कर 10 फीसदी से ज्यादा हो गया था। कारोबारी साल 2018-19 में 277 अर्बन कॉपरेटिव बैंकों ने घाटा दर्ज किया था। मंत्री ने कहा कि मार्च 2019 के आखिर में 100 से ज्यादा अर्बन कॉपरेटिव बैंक मिनिमम रेगुलेटरी कैपिटल रिक्वायरमेंट को पूरा नहीं कर रहे थे और 47 अर्बन कॉपरेटिव बैंकों का नेटवर्थ निगेटिव था।
पीएमसी बैंक घोटाला के बाद कॉपरेटिव बैंकों को नियमित करने का प्रस्ताव आया
पिछले साल सितंबर में पीएमसी बैंक का घोटाला सामने आने के बाद कॉपरेटिव बैंकों को नियमित करने का प्रस्ताव आया था। 4,355 करोड़ रुपए का घोटाला उजागर होने के बाद आरबीआई ने पीएमसी बैंक पर कई पाबंदियां लगा दी थीं। घोटाला के कारण पीएमसी बैंक के 9 लाख से ज्यादा ग्राहकों की बचत खतरे में पड़ गई। आज भी पीएमसी बैंक के ग्राहक अपना पैसा लेने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।