फेसबुक पर इंस्टाग्राम के जरिए डेटा चुराने का आरोप, यूजर के प्राइवेट डेटा के लिए फोन कैमरे का इस्तेमाल किया

Posted By: Himmat Jaithwar
9/18/2020

बीती रात फेसबुक और इंस्टाग्राम का सर्वर डाउन होने की वजह से दुनियाभर के कई यूजर्स इन प्लेटफार्म पर लॉगइन नहीं कर पाए। इसे लेकर यूजर्स ने ट्विटर पर जमकर भड़ास भी निकाली। इस बीच, फेसबुक के ऊपर इंस्टाग्राम यूजर्स की कथित रूप से जासूसी करने की बात सामने आई है। फेसबुक पर ऐसा आरोप है कि इसके लिए उसने फोन कैमरे का इस्तेमाल किया है।

मुकदमे की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईफोन यूजर्स जब फोटो शेयरिंग ऐप इंस्टाग्राम पर एक्टिव नहीं थे तब भी उनके फोन के कैमरा का एक्सेस होता दिखाई दिया। हालांकि, फेसबुक ने इन तमाम खबरों का खंडन किया है। उसके मुताबिक, यह सब एक बग की वजह से हुआ है।

क्या है मामला?
सैन फ्रांसिस्को के फेडरल कोर्ट में गुरुवार को दायर शिकायत में न्यू जर्सी के इंस्टाग्राम यूजर ब्रिटनी कॉन्डिटी ने कहा कि ऐप के कैमरा का उपयोग जानबूझकर किया जाता है। यह सब यूजर का जरूरी और वैल्यूबल डेटा कलेक्ट करने के लिए किया जाता है, अन्यथा कोई कैमरा का एक्सेस नहीं करेगा।

कहां चल रहा मामला?
ये मामला कॉन्डिटी बनाम इंस्टाग्राम, LLC, 20-cv-06534, अमेरिकी जिला न्यायालय, उत्तरी जिला कैलिफोर्निया (सैन फ्रांसिस्को) का है। शिकायत के अनुसार, यूजर के घर का पर्सनल, बेहद निजी और प्राइवेट मोमेंट का डेटा प्राप्त करन के लिए ऐसा किया जाता है। फेसबुक और इंस्टाग्राम ऐसा करने में सक्षम हैं। इस मामले में फेसबुक ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

कंपनी कैसे निगरानी रखती है?
जब भी हम किसी ऐप को फोन में इंस्टॉल करते हैं तब ऐप ओपन होने से पहले कुछ परमिशन मांगता है, जिसमें कॉन्टैक्ट, मीडिया, लोकेशन, कैमरा शामिल होते हैं। जब हम इन सभी को Allow कर देते हैं तब ऐप को डेटा एक्सेस करने के राइट्स मिल जाते हैं। ऐसे में जब भी हमारे फोन का डेटा ऑन रहता है तब ये ऐप चोरी से आपके डेटा पर नजर रखना शुरू कर देते हैं।

फेसबुक, इंस्टाग्राम ऐप पर भी इसी तरह से फोन डेटा पर नजर रखते हैं। यहां तक की आपकी मर्जी के बिना ये आपके फोन के कैमरा को भी एक्सेस कर सकते हैं, क्योंकि आप उसकी परमिशन पहले ही दे चुके होते हैं।

डेटा चोरी होने से बचाने के टिप्स

1. स्मार्टफोन के डेटा चोरी होने से बचाने के लिए किसी भी ऐप्स को सिर्फ वही परमिशन दें जो उसके लिए जरूरी है। जैसे, इंस्टाग्राम फोटो शेयरिंग ऐप है तब उसे कैमरा और गैलरी का एक्सेस दिया जा सकता है, लेकिन उसे कॉन्टैक्ट या लोकेशन देने की जरूरत नहीं है।

2. जब भी हम किसी ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं तब उसे बंद करने की बजाए मिनीमाइज कर देते हैं। दरअसल, जब हम फोन के होम की को प्रेस करते हैं तब ऐप मिनीमाइज होकर बैकग्राउंड में चलते रहते हैं। ऐसी स्थिति में वे आपके डेटा पर नजर रख सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि ऐप को बंद कर दिया जाए।

3. यदि आप बार-बार इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करते तब फोन का डेटा बंद रख सकते हैं। खासकर रात के वक्त फोन का डेटा बंद कर देना चाहिए। डेटा बंद रहने से फोन का डेटा चोरी होने के चांस पूरी तरह खत्म हो जाते हैं।

पहले भी लग चुके फेसबुक पर कई आरोप

  • बायोमेट्रिक डेटा कलेक्ट करने का आरोप: इसी साल अगस्त महीने में अमेरिका में फेसबुक पर एक मुकदमा दायर किया गया जिसमें फेसबुक की सब कंपनी इंस्टाग्राम द्वारा यूजर्स की इजाजत के बिना उनका बायोमेट्रिक डेटा कलेक्ट करने का आरोप लगाया गया। दायर किए गए मुकदमे में इंस्टाग्राम पर आरोप था कि कंपनी ऑटोमैटिकली लोगों के चेहरे को स्कैन करती है। इस दौरान उन लोगों के चेहरे भी स्कैन किए गए हैं जो किसी दूसरे के इंस्टाग्राम के अकाउंट में दिख रहे थे। इस दौरान 100 मिलियन (10 करोड़) लोगों के डेटा को इकट्ठा किया गया।
  • पेगासस स्पाईवेयर खरीदने का आरोप: कुछ महीने पहले ही NSO ग्रुप पर मुकदमा किया था, जिसमें कंपनी को ऐसा लगता था कि NSO ग्रुप ने वॉट्सऐप स्पाई करने के लिए Pegasus (पेगासस) स्पाईवेयर सरकार को दिए गए हैं और सरकार इसके जरिए चुनिंदा यूजर्स की स्पाई कर रही है। मदरबोर्ड वाइस की एक रिपोर्ट के मुताबिक NSO ग्रुप के हेड ने ये बताया है कि फेसबुक के दो लोगों ने कंपनी से संपर्क किया था। उन्होंने बताया था कि फेसबुक के दोनों रिप्रेजेंटेटिव हमारा स्पाईवेयर प्रोग्राम पेगासस खरीदना चाहते थे।
  • 8.7 करोड़ यूजर का डेटा चोरी किया: यूजर का डेटा सुरक्षित नहीं रख पाने के चलते ब्रिटेन के डेटा नियामक ने सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर इसी साल पांच लाख पाउंड (करीब चार करोड़ 55 लाख रुपए) का जुर्माना लगाया था। जांच में इस बात का पता चला कि वर्ष 2016 के यूरोपीय यूनियन के जनमत संग्रह के दौरान फेसबुक में मौजूद यूजर के डेटा का दोनों तरफ से दुरुपयोग किया गया था। फेसबुक ने ब्रिटिश कंसलटेंट कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका की ओर से लगभग 8.7 करोड़ यूजर का डाटा चोरी किए जाने की बात स्वीकार की थी। इसी कंपनी ने वर्ष 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए चुनाव प्रचार अभियान चलाया था।



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