शिप्रा नदी के राम घाट पर उमड़े भक्त, सिद्धवट घाट पर भी तर्पण और दूध चढ़ाने पहुंचे श्रद्धालु, पूर्वजों के मोक्ष के लिए स्नान और दान किया

Posted By: Himmat Jaithwar
9/17/2020

शिप्रा नदी के राम घाट और सिद्धवट पर गुरुवार को पिंडदान और तर्पण के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। ऐसी मान्यता है कि जो लोग श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान नहीं कर पाए, यदि वे अमावस्या तिथि पर तर्पण और पिंडदान करते हैं तो पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही ऐसे लोग जिन्हें अपने पूर्वजों की तिथि की जानकारी नहीं है वह भी इस तिथि पर तर्पण और पिंडदान कर सकते हैं। यही वजह है कि सुबह से ही शिप्रा तट पर पर लोग स्नान कर दान कर रहे हैं।

रामघाट पर पिंडदान और तर्पण किया।
रामघाट पर पिंडदान और तर्पण किया।

साल की सबसे बड़ी अमावस्या पर हजारों श्रद्धालु पितरों की आत्म शांति के लिए भैरवगढ़ स्थित प्राचीन सिद्धवट पर दूध चढ़ाने के लिए उमड़े। वटवृक्ष पर श्रद्धालु मंदिर में लगे पीतल के पात्र के जरिए दूध चढ़ा सके। सर्वपितृ अमावस्या पर्व के साथ 15 दिनी श्राद्ध पक्ष का समापन भी हाे गया। मान्यता है कि माता पार्वती ने सिद्धवट घाट पर वट वृक्ष का पेड़ लगाया था। वहीं, राम भगवान ने अपने पिता दशरथ का सिद्धवट घाट पर तर्पण किया था। हालांकि कोरोना के कारण इस बार श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आई है।

सिद्धवट पर दूध चढ़ाने वालों की उमड़ी भीड़।
सिद्धवट पर दूध चढ़ाने वालों की उमड़ी भीड़।

प्रशासन ने की व्यवस्था
सिद्धवट घाट पर तर्पण और दूध चढ़ाने वालों ने लाइन में लगकर पूजन किया। परिसर में लगे पात्र में दूध डालकर श्रद्धालु सिद्धनाथ भगवान के दर्शन कर बाहर निकले। पात्र से होकर दूध सिद्धवट के नीचे चढ़ते हुए शिप्रा में प्रवाहमान होता रहा। पिछले कई सालों से सीधे अधिक मात्रा में दूध चढ़ने से वटवृक्ष सड़ रहा है। इसकी सुरक्षा को देखते हुए अब प्रशासन ने पात्र में दूध डाल कर चढ़ाने की व्यवस्था की है। पात्र से दूध पूरे वट की बजाए नीचे के हिस्से में चढ़ेगा, जिससे वृक्ष काे नुकसान नहीं पहुंचेगा।

भगवान सिद्धवट को नमन कर सुख समृद्धि की कामना की।
भगवान सिद्धवट को नमन कर सुख समृद्धि की कामना की।



Log In Your Account