मुख्यमंत्री शिवराज की दतिया में घोषणा, 16 सितंबर को बिजली बिल माफ हो जाएंगे, भर्तियों पर रोक हटेगी; सिंधिया ने कहा- दिग्विजय और कमलनाथ हैं गद्दार

Posted By: Himmat Jaithwar
9/14/2020

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्य सभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दतिया जिले की भांडेर में हुई चुनावी सभा में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ पर जमकर निशाना साधा। उन्हें चंबल-ग्वालियर का असली गद्दार तक कह दिया। इसके साथ ही 42.8 करोड़ के कार्यों का भूमिपूजन और 16.64 करोड़ के विकास कार्यों का लोकार्पण किया। उन्होंने भांडेर से उपचुनाव में भाजपा की उम्मीदवार रक्षा सिरौनिया को रिकॉर्ड मतों से जिताने का संकल्प भी दिलाया।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सभी जन कल्याणी योजनाएं दोबारा शुरू होंगी।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सभी जन कल्याणी योजनाएं दोबारा शुरू होंगी।

बिजली बिल माफ होंगे

शिवराज ने कहा कि कमलनाथ ने सभी योजनाएं बंद कर दी थीं। दिग्विजय और कमलनाथ को तकलीफ क्या थी। अब यह सभी चालू होंगी। वह तो गरीबों के 5 हजार रुपए के कफन का पैसा भी खा गए। अब शिवराज सिंह चौहान आ गया है। खाली हाथ नहीं आया है। 13 हजार भाई-बहनों को लाभ देने आया है। हम जनता के लिए राजनीति करते हैं। अगले महीने से एक ही महीने का बिजली का बिल चुकाना पड़ेगा। बिजली के पिछले बिल सारे खत्म कर देंगे।

शिवराज ने भांडेर की जनता से भाजपा उम्मीदवार रक्षा सिरौनिया के लिए वोट मांगे।
शिवराज ने भांडेर की जनता से भाजपा उम्मीदवार रक्षा सिरौनिया के लिए वोट मांगे।

एक रुपए में अनाज मिलेगा

शिवराज ने कहा कि जितने गरीब भाई-बहन हैं, हमने उनके लिए एक रुपए किलो की अनाज योजना बनाई है। लिख लें। 16 सितंबर को दिन के 12 बजे एक रुपए किलो गेहूं देना शुरू कर दिया जाएगा। कोई गरीब अब मध्य प्रदेश में भूखा नहीं सोएगा। मध्य प्रदेश में गरीब की थाली कभी खाली नहीं रहेगी। हम कुर्सी पर बैठकर सत्ता का सुख लेने के लिए नहीं बने। सभी भर्तियों पर रोक हटा दी जाएगी। पुलिस भर्ती परीक्षा भी जल्द ही होगी।

मुख्यमंत्री ने 16 सितंबर को बिजली बिल माफ करने की बात कही।
मुख्यमंत्री ने 16 सितंबर को बिजली बिल माफ करने की बात कही।

युवा चेहरा दिखाकर खुद दूल्हा बन गए

शिवराज ने कहा कि 2018 में उन्होंने (कमलनाथ) सिंधिया के नाम पर पर वोट मांगे। उनका चेहरा दिखाकर आए थे और खुद ही दूल्हा बन गए। कमलनाथ ने तो कभी गांव की गलियां नहीं देखीं। न तो खेत की पगडंडी देखी। गरीबी और बीमारी नहीं देखेगी। वह तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाएंगे। आज मैंने अखबार में पढ़ा- सोयाबीन के खेत में गए हैं। धन्य है कमलनाथ। जब कुर्सी पर थे तो कुछ नहीं देखा। अब कुर्सी नीचे से खिसक गई तो सोयाबीन के खेत जा रहे। तेरी प्यारी प्यारी सूरत को नजर ना लगे।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा समेत सभी ने एक साथ आम लोगों का अभिवादन किया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा समेत सभी ने एक साथ आम लोगों का अभिवादन किया।

मामा शिवराज आ गए हैं। धन की कमी है। लेकिन किसान, गरीब और नौजवानों को पैसों की कमी नहीं आने दूंगा। सिंधिया ने सरकार गिराई, लेकिन इसलिए नहीं कि वह राजनीति करना चाह रहे थे। लेकिन इसलिए कि उन्होंने मध्यप्रदेश को बचाने के लिए यह कदम उठाया। मुझे मुख्यमंत्री बनने का शौक नहीं था, लेकिन सिंधिया ने कहा कि पूरे प्रदेश को बचाना है। इसलिए आप के विश्वास के कारण मैं मुख्यमंत्री बना। सबके लिए जरूरी है कि सरकार बनी रहे। सभी तरफ से बोलो कि सरकार बनी रहे। जब रक्षा जीतेगी, तो भाजपा की सरकार रहेगी।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ और दिग्विजय पर जमकर निशाना साधा।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ और दिग्विजय पर जमकर निशाना साधा।

गद्दार दिग्विजय और कमलनाथ हैं...
राज्यसभा सांसद सिंधिया ने भी कमलनाथ और दिग्विजय पर जमकर निशाना साधा। कहा- मैं 13 साल की उम्र में भांडेर आया था। यह राजनीतिक संबंध नहीं है। जीवनपर्यंत सेवा करता रहूंगा। एक सरकार ने सत्ता का खेल खेला। मध्यप्रदेश में हमारी भी सोच थी कि 15 साल विपक्ष में रहने के बाद शिवराज सिंह ने विकास की जो लंबी लकीर खींची है, उससे लंबी हम करेंगे। सिंधिया परिवार के मुखिया को कभी भी राजनीति और कुर्सी से मोह नहीं है।

आपने पिछले चुनाव में कांग्रेस को केवल अपना वोट ही नहीं दिया। अपना प्यार दिया, दिल दिया और विश्वास भी दिया। पहली बार यहां की 34 में से 26 सीट कांग्रेस की झोली में गई थी। अगर कमलनाथ मुख्यमंत्री बने, तो सिर्फ यहां से बने। ऐसा मुख्यमंत्री बना, जिसने 15 महीने में बल्लभ भवन से बाहर कदम नहीं रखा। गद्दार हम नहीं हैं। सुन ले गद्दार दिग्विजय सिंह और कमलनाथ हैं। उन्होंने जनता के साथ धोखा किया है। इस बार जनता उन्हें अच्छे से सबक सिखाएगी।



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