बालाघाट के बाद अब महू में भी गरीबों के 50 कराेड़ रु. के राशन का घोटाला सामने आया है। मुख्य आरोपी कांग्रेस का पूर्व पार्षद व शहर कांग्रेस कार्यवाहक अध्यक्ष माेहन अग्रवाल है। अग्रवाल ने अपने दाे बेटे, दाे अनाज व्यापारी व चार राशन दुकान संचालकों के साथ मिलकर पूरे घोटाले काे अंजाम दिया। पुलिस ने इस मामले में 9 लाेगाें पर पांच अलग-अलग एफआईआर दर्ज की है। अभी सभी आरोपी फरार हैं। एएसपी अमित ताेलानी ने बताया कि पुलिस आरोपियों पर दाे-दाे हजार रु. का इनाम रखने के साथ ही उनकी संपत्ति कुर्क करने की भी तैयारी कर रही है। कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि एसडीएम अभिलाष मिश्रा काे 17 अगस्त काे डोंगरगांव के एक गोडाउन में सरकारी राशन की हेराफेरी की जानकारी मिली थी। इसके बाद उन्होंने मौैके पर दबिश दी ताे कांग्रेस नेता अग्रवाल के बेटे मोहित के हर्षिल ट्रेडर्स स्थित गोडाउन में करीब 600 बाेरी चावल सहित गेहूं, चना, शकर की बाेरियां, नीला केरोसिन व सरकारी खाली बारदान मिले।
दस्तावेज नहीं दिखाने पर गोडाउन सील कर जांच की ताे पता चला कि अग्रवाल दाे व्यापारी आयुष अग्रवाल व लोकेश अग्रवाल के साथ मिलकर सरकारी राशन की हेराफेरी कर रहा है। अग्रवाल नागरिक आपूर्ति निगम का ट्रांसपोर्टर है इसलिए वह राशन दुकान पर जाे राशन भेजता था, उसकी पूरी प्राप्ति के हस्ताक्षर लेने के साथ ही राशन दुकान संचालकों के साथ मिलकर वह आठ से दस क्विंटल राशन वापस ले लेता था। इसके बाद दाेनाें व्यापारियोंं के माध्यम से फर्जी बिलों के आधार पर इसे बेचता था।
इस पूरी प्रक्रिया काे अग्रवाल का दूसरा बेटा तरुण अंजाम देता था। इसमें महूगांव, मानपुर व सांतेर की राशन दुकानों के साथ मिलकर करीब 20 कराेड़ रु. का घाेटाला सामने आ रहा है।
1999 से अग्रवाल कर रहा ट्रांसपोर्टर का काम, इसलिए घोटाला 100 करोड़ तक पहुंचेगा
कलेक्टर ने बताया कि अग्रवाल के पास 1999 से ट्रांसपोर्टर का काम है। दस साल का घोटाला ही प्राथमिक रूप से 50 कराेड़ का लग रहा है। अगर कार्यकाल के शुरुआत से जांच की जाए ताे यह घोटाला 100 कराेड़ से ज्यादा तक पहुंच जाएगा, क्योंकि उस वक्त वितरण मैन्यूली हाेता था। राशन की हेराफेरी के तार बालाघाट, मंडला व नीमच सहित पूरे मप्र से जुड़े हैं।
मुख्य आरोपी मोहन अग्रवाल
ऐसे होता मिलीभगत का गोरखधंधा
- राशन दुकानों पर यह पूरा राशन भेजकर उनसे आठ से दस क्विंटल राशन वापस लेते थे। इसमें राशन दुकान संचालकों काे प्रति क्विंटल के हिसाब से रुपए देते थाे। इसके बाद वह इस राशन काे तीन से चार गुना ज्यादा दामों में बड़े-बड़े व्यापारियोंं काे बेच देते थे। शहर की सभी 96 दुकानों पर राशन पहुंचाने का काम अग्रवाल का ही था।
- अग्रवाल का हर्षिल ट्रेडर्स का गोडाउन शासकीय गोडाउन के पास में ही स्थित है। ऐसे में राशन दुकानों पर जाने के लिए जाे राशन आता था, वह सरकारी गोडाउन से अपने गोडाउन पर अदला-बदली कर देते थे। यह राशन दुकानों पर राशन भेजते ही नहीं थे और अपने गोदाम पर रख लेते थे।
- राशन दुकानों पर बंटने वाले केरोसिन की भी बड़े स्तर पर हेराफेरी हाेती थी। इसमें वह केरोसिन काे पेट्रोल पंपों पर ब्लैक करने के साथ ही केरोसिन में ऑइल मिलाकर अपने वाहनों का परिवहन भी करते थे।
- इसके अलावा ये खराब चावल खरीदते थे। और उसमें कुछ अच्छा चावल मिलाकर राशन दुकानों पर भेज देते थे। खुद के पास बचाए हुए चावल काे अपने व्यापारी साथियों की मदद से बाजार में दाे से तीन दामाें में बेच देते थे।