इंदौर। महू में शनिवार को करीब 50 करोड़ का राशन घोटाला सामने आने के बाद गरीबों के राशन पर डाका डालने वालों में खलबली मच गई। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद महू एसडीएम और उनकी टीम ने इतने बड़े घोटाले का खुलासा किया है। अनाज घोटाले के तार बालाघाट, मंडला और नीमच से भी जुड़े पाए गए हैं। राशन की हेराफेरी मामले में परिवहनकर्ता मोहनलाल अग्रवाल के अलावा बेटे मोहित और तरुण, सहयोगी आयुष अग्रवाल, लोकेश अग्रवाल सहित 4 राशन दुकान संचालक और सोसायटी के प्रबंधक पर किशनगंज और बडग़ोंदा में केस दर्ज करवाया गया है। इसके अलावा संबंधित विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की भूमिका को भी तलाशा जा रहा है।
कलेक्टर मनीष सिंह ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री ने राशन माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इस संबंध में जिले के सभी एसडीएम और जिम्मेदार अधिकारियों को घोटालेबाजों खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया था। महू एसडीएम को गरीबों के लिए आवंटित राशन के बंटवारे काे लेकर कई शिकायतें मिली थीं। 17 अगस्त काे एक मामले की एसडीएम और उनकी जांच ने जांच की तो पता चला कि एक गोदाम में सरकारी राशन के करीब 600 कट्टे चावल के रखे हुए हैं। जांच में पता चला कि यह गोदाम नागरिक आपूर्ति निगम के परिवहनकर्ता मोहनलाल अग्रवाल के बेटे मोहित का है। हर्षिल ट्रेडर्स नामक यह गोदाम मंडी प्रांगण में शासकीय वेअर हाउस से लगा हुआ है। बिल मांगने पर इन्होंने फर्जी तरीके से हासिल किए गए बिलों को दिखाया। जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि मोहनलाल ने अपने सहयोगी व्यापारी आयुष अग्रवाल, लोकेश अग्रवाल और शासकीय उचित मूल्य की दुकान संचालकों के साथ मिलकर राशन की हेरा-फेरी की है।
कलेक्टर बोले - सरकारी कर्मचारियों की भूमिका भी तलाशी जा रही है।
मोहनलाल राशन तो पूरा भेजता था, बाद में राशन दुकान से 10 कट्टे वापस बुलवा लेता था
जांच में पता चला कि मोहनलाल उचित मूल्य की दुकानों को उसके हिस्से का पूरा राशन भेजकर पूरे बिलों पर साइन करवा लेता था। इसके बाद राशन की दुकान से करीब 8 से 10 क्विंटल राशन वापस ले लेता था। इसके लिए राशन दुकान संचालकों को मोहनलाल के बेटे तरुण द्वारा कुछ राशि का भुगतान कर दिया जाता था। मोहनलाल को दिए राशन की भरपाई दुकान संचालक लोगों को कम सामग्री देकर करते थे। वेयर हाउस से तो राशन के कट्टे सीलबंद भेजे जाते थे, लेकिन दुकानों में ये खुले हुए पाए गए। शासकीय दुकान पर जो चावल मिले वे शासन द्वारा आवंटित चावल से निम्न गुणवत्ता और भिन्न थे। इतना ही नहीं मोहनलाल द्वारा राशन दुकानों से मिले राशन का सहयोगियों की मदद से फर्जी बिल तैयार करवाया। इसके बाद मंडी से फर्जी अनुज्ञा तैयार कर या खराब माल को शासन से मिले अच्छे माल से बदलकर खुले बाजार में बेचा जा रहा था। चावल ही नहीं मोहनलाल ने केरोसिन में भी इसी प्रकार की हेराफेरी की।
10 सालों में 50 करोड़ के राशन का घोटाला
जानकारी अनुसार मोहनलाल 20 सालों से महू में खाद्यान्न वितरण और ग्रामीण क्षेत्र में केरोसिन वितरण का काम देख रहा है। यह अलग - अलग फर्मों के नाम से परिवहनकर्ता की अनुज्ञा प्राप्त कर उचित मूल्य की दुकानों को मिलने वाले राशन के लिए परिवहनकर्ता रहा है। पिछले 2-3 साल से ऑनलाइन के जरिए खाद्यान्न वितरित हो रहा है। इसके बाद भी हेरा-फेरी की जा रही थी। ऐसे में यदि महू में ही पिछले 10 सालों में राशन की हेरा-फेरी का आंकलन किया जाए तो यह राशन घोटाला करीब 50 करोड़ रुपए का है। टीम ने जब मोहनलाल और उसके सहयोगी आयुष की फर्म आयुष फूड के बिलों और लोकेश अग्रवाल की फर्म लोकेश कुमार शारदानंद के बिलों की जांच की तो पाया कि इनके द्वारा नीमच और मंडला में भी व्यापार किया गया। नीमच के जिस व्यापारी से इनके संबंध है, उस पर नीमच थाने में शासकीय राशन की हेरा - फेरी का केस दर्ज है। ऐस में संभावना है कि इन्होंने नीमच, मंडला के साथ ही अन्य जिलों में भी हेरा-फेरी की होगी।
सरकारी कर्मचारियों के संलिप्तता का शक
राशन की हेराफेरी मामले में परिवहनकर्ता मोहनलाल अग्रवाल के अलावा बेटे मोहित और तरुण, सहयोगी आयुष अग्रवाल, लोकेश अग्रवाल सहित 4 राशन दुकान संचालक और सोसायटी के प्रबंधक पर किशनगंज और बडग़ोंदा में केस दर्ज करवाया गया है। जांच में यह संभावना भी जताई गई है कि शासकीय राशन की इतनी बड़ी मात्रा में हेरा-फेरी शासकीय विभागों जैसे नागरिक आपूर्ति निगम, कृषि उपज मंडी, खाद्य विभाग के स्थानीय और जिला स्तर के कर्मचारियों के सहयोग के बिना संभव नहीं है। ऐसे में पुलिस को संबंधित कार्रवाई के लिए भी लिखा गया है।