मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश और गुजरात से ऑक्सीजन की सप्लाई कराई जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से फोन पर ऑक्सीजन सप्लाई रोके जाने को लेकर बातचीत की। उनसे प्रदेश में हुई ऑक्सीजन की कमी को लेकर भी चर्चा की है। सीएम शिवराज ने कहा कि कोरोना के इस संकट के समय ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं रोकी जानी चाहिए। उद्धव ठाकरे ने सीएम चौहान को आश्वस्त किया है कि ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं रोकी जाएगी।
शिवराज ने कहा- आज मैंने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे से बात की है और उनसे आग्रह किया है कि ऐसे संकट के समय ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं रोकनी चाहिए। उद्धव ठाकरे हरसंभव कोशिश करेंगे कि ऑक्सीजन की सप्लाई न रुके। हमने वैकल्पिक व्यवस्था भी की है। शुरू में मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन की उपलब्धता केवल 50 टन थी, जिसे बढ़ा कर 120 टन तक कर दिया है। 30 सितंबर तक 150 टन तक ऑक्सीजन की व्यवस्था कर लेंगे। मध्य प्रदेश को महाराष्ट्र से 20 टन ऑक्सीजन मिलती है।
अब गुजरात और उत्तर प्रदेश से कंपनी करेगी ऑक्सीजन की सप्लाई
आईनॉक्स की जो कंपनी 20 टन ऑक्सीजन नागपुर से सप्लाई करती थी, अब वही कंपनी गुजरात से और उत्तरप्रदेश से 20 टन ऑक्सीजन मध्य प्रदेश को सप्लाई करेगी। हमारे यहां ऑक्सीजन के जो छोटे-छोटे प्लांट है उनकी क्षमता भी कवल 50-60 टन थी, हमने उनसे आग्रह किया है कि वो फुल कैपिसिटी पर अपना प्लांट चलाएं। मैं प्रदेश की जनता को आश्वस्त करता हूं कि ऑक्सीजन की कमी नहीं होने देंगे।
सीएम हाउस में मुख्यमंत्री ने बुलाई आपात बैठक
ऑक्सीजन की कमी को लेकर चौहान ने सुबह सीएम हाउस में आपात बैठक बुलाई। वहीं, सीएम शिवराज ने कहा कि हमारे पास वैकल्पिक व्यवस्था है। इसके साथ हम अपने प्रदेश के ऑक्सीजन क्षमता बढाएंगे। अब तक 50-60 फीसदी क्षमता से ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा था, उसे 70-80 फीसदी तक ले जाएंगे। कोरोना संकट में ऑक्सीजन की कमी नहीं आने दी जाएगी। बाबई (होशंगाबाद) में नया ऑक्सीजन प्लांट तैयार हो रहा है, इससे हमें फिर दूसरों पर ऑक्सीजन के लिए निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार के ऑक्सीजन की सप्लाई रोकने से मध्य प्रदेश में संकट उत्पन्न हो गया था। प्रदेश में इस वक्त 20 फीसदी एक्टिव मरीज ऑक्सीजन पर निर्भर हैं। इसलिए अगस्त में हर दिन 90 टन ऑक्सीजन की खपत हुई। ऑक्सीजन की डिमांड लगातार बढ़ रही है और इस समय खपत 130 टन हर रोज हो गई है।
सितंबर में हर दिन 1500 से ज्यादा नए मामले, इसलिए ऑक्सीजन खपत 130 टन
कोरोना काल में प्रदेश में मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत हो गई है। देवास, जबलपुर, ग्वालियर, शिवपुरी समेत कई जिलों में मंगलवार-बुधवार को यह दिक्कत आई है। देवास के अमलतास अस्पताल में कोरोना मरीज 7 घंटे तक ऑक्सीजन के लिए परेशान रहे। किल्लत इसलिए हुई, क्योंकि मप्र की मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड छत्तीसगढ़, गुजरात और महाराष्ट्र पूरी करते हैं, लेकिन प्रदेश में अभी कोविड के एक्टिव केस 17700 से ज्यादा होने, इनमें भी 20% मरीज ऑक्सीजन पर होने और महाराष्ट्र से सप्लाई रोक दिए जाने के बाद एकाएक किल्लत बढ़ गई। अस्पतालों में जुलाई में हर दिन 40 टन तो अगस्त में 90 टन ऑक्सीजन लगी।
सितंबर में हर दिन 1500 से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं और हर दिन ऑक्सीजन खपत 130 टन हो गई है। यदि रफ्तार ऐसी ही रही तो सितंबर अंत और अक्टूबर मध्य तक प्रतिदिन की खपत 150 टन तक पहुंचने की संभावना है। फिलहाल महाराष्ट्र की कमी दूर करने के लिए छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट से ज्यादा ऑक्सीजन मांगी गई है। सरकार राज्य की 11 फैक्ट्रियों से ऑक्सीजन लेगी। फिर उसे रिफाइन कर चिकित्सीय उपयोग में लाएगी। प्रदेश में 44.5 टन ऑक्सीजन हर दिन बनती है, लेकिन इसका उपयोग उद्योग करते हैं।