भोपाल के अयोध्या नगर थाना क्षेत्र में घर के दरवाजे पर लगे पर्दे ने 10 साल के मासूम की जान ले ली। बच्चा पर्दे को झूला बनाकर खेल रहा था। पैर फिसलने के कारण पर्दा फंदा बन गया। वह 10 दिन तक जिंदगी और मौत के बीच झूलता रहा, लेकिन आखिरकार जिंदगी हार गया। निजी अस्पताल में इलाज कराने के बाद परिजन अंतिम उम्मीद में उसे सरकारी अस्पताल ले गए, लेकिन वहां भी उनके बेटे की जान नहीं बच पाई।
भवानी धाम फेस-1 निवासी पंकज शर्मा एक निजी फैक्ट्री में काम करते हैं। उन्होंने अपने 10 वर्षीय बेटे नैतिक शर्मा को गत 29 अगस्त की शाम एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। पहले दिन से ही वह वेंटिलेटर पर था। काफी प्रयासों के बाद भी उसे होश नहीं आया। डॉक्टर भी जवाब दे चुके थे। ऐसे में अंतिम उम्मीद लिए परिजन निजी अस्पताल से बेटे की छुट्टी करा कर बुधवार शाम हमीदिया अस्पताल पहुंचे।
डॉक्टरों ने चेकअप के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। अयोध्या नगर पुलिस को इसकी सूचना अस्पताल से मिली। पुलिस अधिकारी अरविंद सिंह ने बताया कि बच्चे का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। घटना के संबंध में परिजन ने बताया...
नैतिक 29 अगस्त की शाम घर में खेल रहा था। खेलते खेलते वह दरवाजे के पर्दे से लिपटकर झूलने लगा। इसी दौरान उसका पैर फिसल गया। इससे उसकी गर्दन पर्दे से जकड़ गई। यह देख परिजन उसे तत्काल निजी अस्पताल ले गए। पर्दे से लिपटने के बाद से ही उसकी सांसें थम गई थीं।
इस कारण हुई मौत
पुलिस के अनुसार, डॉक्टरों का कहना है कि पर्दे पर झटके से गर्दन फंसने के कारण एक फंदे की तरह बन गया। बच्चे की झटके से गर्दन की हड्डी टूट गई, जिससे नर्वस सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया था। लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर उसे 72 घंटे तक ऑब्जरवेशन में रखा गया, लेकिन कुछ काम नहीं आया। परिजन के कहने पर नैतिक का लगातार इलाज किया जाता रहा। बाद में परिजन खुद ही उसे हमीदिया अस्पताल ले गए।