बदहाल सड़क और नदी पर पुलिया नहीं होने से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गांव में सड़क नहीं होने से बारिश के दौरान लोगों का कहीं भी आना-जाना दूभर हो जाता है। ग्रामीण लंबे समय से सड़क की मांग कर रहे लेकिन अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।
बारिश के दौरान गांव में दो माह से डीपी बंद पड़ी थी। लोगों काे अंधेरे में रहना पड़ रहा था। और कीचड़ के कारण डीपी को निकालकर जोबट तक पहुंचना मुश्किल था। रास्तें पर कीचड़ इतना कि बैल के पैर भी उसमें फंस जाते। इसलिए परेशानी झेल रहे ग्रामीण आखिरकार बैलगाड़ी को खुद ही खिंचकर डीपी को जोबट लेकर गए।
मामला जोबट जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम वागदी के माफीदार फलिया व पटेल फलिया का है। ग्रामीणों ने बताया गांव में बारिश के दिनों में आवाजाही पूरी तरह से बाधित रहती है। यहां पर रोड की सुविधा नहीं होने से परेशानी होती है। लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि टोकरा नदी पर पुल बनाया जाया। इसके साथ ही सड़क का निर्माण भी कराया जाए। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
उठा रहे थे ऐसी मुसीबतें... अंधेरे में घुस आते हैं जहरीले जीव-जंतु और रात में गर्मी बच्चों को करती थी बेहाल
ग्रामीणों ने बताया कि दो माह से डीपी खराब है। लेकिन उसे जोबट तक ले जाने के लिए रास्ता नहीं था। कीचड़ में वाहन धंस जाते थे। बैलों के भी पैर फंसते थे। इसलिए दो माह से पूरा गांव अंधेरे में रह रहा था। रात में जहरीले जीव-जंतुओं का घर में घुसने का खतरा बना रहता था। बारिश के बाद रात में उमस से बच्चे परेशान हो रहे थे। बिजली नहीं होने से कई जरूरी काम प्रभावित हो रहे थे। सोचा कि अब बारिश रुक गई है तो डीपी बदलवाए लेकिन समस्या यह थी कि डीपी को जोबट कैसे लाया जाए। इस पर ग्रामीणों ने बैलगाड़ी में डीपी को रखकर बेल की जगह खुद ही खिंचकर ले गए हैं और डीपी को गांव के मुख्य मार्ग तक लाए।
मंजूरी दी थी पर पीडब्ल्यूडी से नहीं मिली स्वीकृति
ग्राम वागदी के सरपंच पुत्र बिलावल डुडवे ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की जनआशीर्वाद यात्रा में पुल की मांग की थी। जिला प्रशासन ने उसके बाद तत्काल प्रस्ताव बनाने की मंजूरी पीडब्ल्यूडी को दी थी। लेकिन आज तक स्वीकृति नहीं मिली। हम पूर्व में भी इस संबंध में जिला प्रशासन को अवगत करा चुके हैं। इसके साथ ही तत्कालीन राज्यमंत्री सुलोचना रावत को भी इस समस्या से अवगत करवा चुके हैं। तब से आज तक हर राज्यमंत्री को मांग प्रस्ताव दिया लेकिन स्वीकृति नहीं मिली।
ये भी है मुसीबत
ग्रामीणों ने बताया कि आजादी के बाद से लेकर आज तक सरकार से आस लगा रहे कि हमारे फलिए तक एक सड़क बने। लेकिन ये सपना आज भी अधूरा है। गांव की टोकरा नदी पर पुल नहीं होने से पहुंच मार्ग भी नहीं बन रहा। ऐसी स्थिति में बारिश में ट्रैक्टर-ट्राॅली निकालने के लिए दूसरे ट्रैक्टरों की जरूरत पड़ती है। क्योंकि बारिश के कारण कीचड़ में ट्रैक्टर फंस जाते हैं।