पूरे देश की तरह ही बिहार में भी मास्क पहनना अनिवार्य है। चुनाव आयोग तक कह चुका है मास्क नहीं पहना तो वोट नहीं डालने देंगे। लेकिन कौन जानता था कि जिस मास्क को कोरोना से बचाव का हथियार माना जा रहा है वो बिहार में पॉलिटिक्स का हथकंडा बन जाएगा? फिर क्या था पॉलिटिकल पार्टियों से लेकर आम लोगों तक मास्क की कॉम्पिटिशन शुरू हो गई।
पार्टियां ज्यादातर लोगों तक अपने चुनाव चिन्ह वाला मास्क पहुंचाना चाहती हैं तो लोग हर पार्टी का मास्क इकट्ठा करना चाहते हैं। मानो वो मास्क नहीं चुनाव और वोट के लिए बांटी जानेवाली साड़ियां हों। लोगों में भी मास्क की डिमांड बढ़ रही है। कई लोगों को भाजपा, जदयू और लोजपा के सिंबल वाले मास्क तो मिल गए हैं लेकिन ऐसे भी कई लोग हैं जो सुशांत सिंह राजपूत वाला मास्क ढूंढ रहे हैं।
फिलहाल बिहार के पॉलिटिकल मार्केट में तीन तरह के मास्क मिल रहे हैं। एक पार्टियों के अपने चुनाव चिन्ह वाले, दूसरे मिथिला पेंटिंग्स वाले और तीसरे सुशांत सिंह राजपूत की फोटो वाले। भाजपा कला संस्कृति प्रकोष्ठ ने सुशांत की फोटो वाले 30 हजार मास्क लोगों में बांटे हैं। जिसको लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है।
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि हम लोग तो पहले से कहते आ रहे हैं कि भाजपा लाशों पर राजनीति करती है और अब यह साबित भी हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में मिथिला पेंटिंग्स वाले मास्क का जिक्र किया था। जिसके बाद इसकी डिमांड बढ़ी थी। अब बिहार चुनाव में भी राजनीतिक दल बड़े लेवल पर मास्क ऑर्डर कर रहे हैं।
भाजपा इन आरोपों को नकार रही है। भाजपा कला संस्कृति प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष बरूण कुमार सिंह कहते हैं- ‘हमने तो जून में ही 30 हजार मास्क तैयार किए थे और लोगों के बीच जाकर बांटे थे। विपक्ष को आज नजर आ रहा है तो हम क्या कर सकते हैं।’ वो कहते हैं, ‘यह कोई सियासी मुद्दा नहीं है। सुशांत सिंह को न्याय मिले इसलिए हमने इसे अभियान बनाया और मास्क और स्टीकर्स बांटे हैं।’
बिहार महिला उद्योग संघ की अध्यक्ष उषा झा पेटल्सक्राफ़्ट नाम की संस्था चलाती हैं। वो पिछले 30 साल से मिथिला पेंटिंग से जुड़े लोगों के साथ काम कर रही हैं। कहती हैं, ‘जब से कोरोना आया है तब से ही हम लोग मिथिला पेंटिंग्स वाले मास्क बना रहे हैं। 40 से 50 हजार मास्क हमने अभी तक सप्लाई किए हैं।
बिहार के साथ- साथ दूसरे राज्यों में भी हमने मास्क भेजे हैं, लेकिन अब अचानक से डिमांड बढ़ गई है। अब थोक में डिमांड आ रही है। वो सीधे- सीधे किसी पार्टी का नाम तो नहीं लेती हैं लेकिन इतना जरूर मानती हैं कि लगभग सभी दलों ने मास्क के लिए अप्रोच किया है। कई लोग सैम्पल लेकर गए हैं। कई लोगों से आर्डर को लेकर बातचीत भी चल रही है।
वो कहती हैं कि ज्यादातर पार्टियां अपने चुनाव चिह्न वाले मास्क के लिए अप्रोच कर रही हैं। कुछ दलों की डिमांड फोटो लगे मास्क की भी है। लेकिन कई लोग बिना किसी चुनाव चिह्न या फोटो के भी आर्डर कर रहे हैं। ऐसा इसलिए कि अभी बिहार में न तो तारीखों का ऐलान हुआ है और न ही सीटें तय हुई हैं।
कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें टिकट नहीं मिला है। तो ऐन वक्त पर अगर वो अपनी पार्टी छोड़कर दूसरे दल में चले जाते हैं या निर्दलीय मैदान में उतर जाते हैं तो उसकी तैयारी में ये लोग बिना चुनाव चिह्न वाले मास्क के ऑर्डर दे रहे हैं।
उषा झा के साथ करीब 400 लोग काम करते हैं। जिनमें 90 फीसदी महिलाएं हैं। कोरोना के चलते ज्यादातर लोग घर से ही काम करते हैं। उनके यहां 8 रुपए से लेकर 70 रुपए तक के मास्क हैं। कुछ मास्क थोड़े ज्यादा महंगे हैं लेकिन उनकी डिमांड कम है। कुल मिलाकर जैसी क्वालिटी वैसा दाम।
उषा झा के साथ करीब 400 लोग काम करते हैं। जिनमें 90 फीसदी महिलाएं हैं। उनके यहां 8 रुपए से लेकर 70 रुपए तक के मास्क हैं।
भाजपा के प्रेम रंजन पटेल एक ओर तो ये दावा करते हैं कि वो मिथिला पेंटिंग को बढ़ावा देने के लिए मास्क बनवा रहे हैं, लेकिन फिर ये भी मान लेते हैं कि इसका पॉलिटिकल माइलेज उनकी पार्टी को मिलेगा। मालूम हो कि पीएम मोदी ने भी मिथिला पेंटिंग वाले मास्क का जिक्र मन की बात में किया था।
प्रेम रंजन के मुताबिक मिथिला भगवान राम का ससुराल है। यहां के लोग भावनात्मक रूप से भगवान से जुड़े हैं। यही वजह है कि वो मास्क पर भगवान राम से जुड़े प्रतीकों की पेंटिंग बनवा रहे हैं। वो तो ये तक कह रहे हैं कि ये मास्क उनके कार्यकर्ता खुद तैयार कर रहे हैं। जबकि भाजपा ने कमल के फूल और मोदी की तस्वीर वाले मास्क के ऑर्डर भी दिए हैं।
मिथिला पेंटिंग पर काम करने वाली संस्था क्राफ़्टवाला के राकेश कुमार झा को भाजपा और लोजपा की तरफ से अभी ऑर्डर मिला है। भाजपा के स्थानीय नेताओं ने 20 हजार और लोजपा ने 40 हजार मास्क बनाने का ऑर्डर दिया है। भाजपा वाले कॉमन मिथिला पेंटिंग्स और कमल के फूल वाले मास्क की डिमांड कर रहे हैं जबकि लोजपा अपने लोगो के साथ बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट वाले मास्क की मांग कर रही है।
मिथिला मास्क के साथ ही भोजपुरी पेंटिंग्स के मास्क भी बाजार में आ गए हैं। इसमें भोजपुरी कला से जुड़ी आकृतियों को मास्क पर उकेरा गया है।
मिथिला पेंटिंग्स वाले मास्क के साथ ही अब भोजपुरी पेंटिंग्स वाले मास्क भी धीरे- धीरे मार्केट में आने लगे है। वोट बैंक के हिसाब से आरा, बक्सर, छपरा, सिवान, गोपालगंज, रोहतास, सासाराम जैसे जिलों में भोजपुरी पेंटिंग वाले मास्क बांटने की तैयारी है।
भोजपुरी पेंटिंग्स पर काम करने वाले संजीव सिन्हा कहते हैं कि हम लोग बिहार की परंपराओं, यहां के महापुरुष, स्मारक और शादी विवाह में चलन वाले कोहबर और पीड़िया से जुड़े प्रतीकों को मास्क पर बना रहे हैं। अभी तक एक हजार से ज्यादा मास्क बांटे जा चुके हैं।
अब तक के चुनाव प्रचार में बिहारी अस्मिता के मुद्दे पर फ्रंटफुट पर जो खेल रहा है वह है लोजपा। उसने तो एनडीए से अलग अपना नारा दिया है ‘बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट'। लोजपा के नेताओं ने सोशल मीडिया पर अपने नाम के आगे युवा बिहारी भी लगा दिया है।
पार्टी प्रवक्ता अशरफ अंसारी कहते हैं कि हमारे लिए ये नारा नहीं, संकल्प है। सबसे पहले हमारी पार्टी ने ही बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट वाला मास्क का आइडिया दिया। लोजपा ने दो लाख मास्क बनाने का ऑर्डर दिया है। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि भाजपा और लोजपा मास्क पर राजनीति कर रही है, जबकि उनके नेता तेजस्वी यादव ने सबसे पहले मिथिला पेंटिंग वाले मास्क पहनना शुरू किया था।