भारतीय सेना ने कहा- चीन हमारी लोकेशन की तरफ आ रहा था, मना किया तो उसने फायरिंग की, हमने एलएसी पार नहीं की

Posted By: Himmat Jaithwar
9/8/2020

सीमा पर फायरिंग को लेकर भारतीय सेना ने चीन के बयान को झूठा बताया है। भारतीय सेना ने कहा कि फायरिंग चीन की तरफ से हुई। जबकि चीन ने बयान दिया था कि फायरिंग भारत की ओर से हुई। सेना के बयान के मुताबिक 7 सितंबर को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) हमारी फॉरवर्ड पोजीशन के नजदीक आने की कोशिश कर रही थी। जब भारतीय सैनिकों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो चीनी सैनिकों ने फायरिंग की। उकसाने के बावजूद भारतीय सैनिकों ने जिम्मेदाराना व्यवहार किया।

भारतीय सेना ने यह भी कहा कि हमारी ओर से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर स्थिति सामान्य करने की कोशिश जारी है, जबकि चीन उकसाने वाली हरकतें कर रहा है। हमने एलएसी पार नहीं की और न ही फायरिंग या कोई ऐसी अग्रेसिव हरकत। चीन बेपरवाह होकर दोनों देशों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन करता जा रहा है। एक ओर वो हमारे साथ मिलिट्री, डिप्लोमैटिक और राजनीतिक स्तर पर बातचीत कर रहे हैं और दूसरी ओर ऐसी हरकतें।

सेना ने ये भी कहा है कि हम शांति कायम रखना चाहते हैं लेकिन देश की संप्रभुता और सरहदों की रक्षा किसी भी कीमत पर करेंगे। सेना के मुताबिक चीन के वेस्टर्न थियेटर कमांड ने झूठे बयान के जरिए अपने देश और बाकी दुनिया के लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है।

ये ही चीन का झूठ
चीनी सेना के वेस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता के मुताबिक भारतीय सैनिकों ने 7 सितंबर को पैंगॉन्ग त्सो के दक्षिणी किनारे पर एलएसी पार कर घुसपैठ की कोशिश की। भारतीय सेना ने एलएसी पार करने के बाद हवाई फायर भी किए। भारतीय सेना ने शेनपाओ इलाके में एलएसी पार की और जब चीनी की पेट्रोलिंग पार्टी भारतीय जवानों से बातचीत करने के लिए आगे बढ़ी तो उन्होंने जवाब में वॉर्निंग शॉट किए यानी हवा में गोली चलाई।

क्या हुआ 7 सितंबर सोमवार को

घटना 7 सितंबर देर शाम की है। चीन के सैनिक आगे बढ़कर भारतीय इलाके में कब्जे की कोशिश कर रहे थे। वो भारतीय सेना की लोकेशन के काफी नजदीक आ रहे थे। भारतीय सेना ने उन्हें पीछे हटने को कहा। बहस बढ़ी और भारतीय सेना को चेतावनी देते हुए हवाई फायर करना पड़ा। ये इलाका रेचन ला है।

सूत्रों के मुताबिक इस झड़प के दौरान एक दो नहीं बल्कि कई राउंड फायरिंग हुई। चीन के सैनिकों ने भी फायर किया। हालांकि, ये अब तक साफ नहीं हो पाया है कि पहले चीन के सैनिकों ने फायरिंग की या भारत के जवानों ने। इस फायरिंग के बाद चीन के सैनिक अपनी लोकेशन पर लौट गए। फिलहाल हालात सामान्य हैं।

गलवान में 20 सैनिकों को खोने के बाद और पिछले दो हफ्तों से जारी झड़प के बीच भारतीय सेना ने अपने रूल ऑफ एंगेजमेंट में बदलाव किए हैं। हमारे सैनिकों को ऑर्डर मिले हैं कि यदि हालात बिगड़ने लगें और चीनी सैनिक करीब आने की कोशिश करें तो वो फायरिंग कर सकते हैं।

‘भारत सैनिकों को नियंत्रित करे’

इससे पहले, 1 सितंबर को भारत में चीनी दूतावास ने बयान जारी कर आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने पैंगॉन्ग सो झील के दक्षिणी तट पर फिर से एलएसी क्रॉस की। चीनी सेना के वेस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता कर्नल झांग शुइली ने यह भी कहा है कि भारत अपने सैनिकों को नियंत्रित करे। उनके मुताबिक जब चीन के बॉर्डर गार्ड्स ने भारतीय सैनिकों को रोका तो उन्होंने गोली चलाई। जिसके बाद पीएलए के सैनिकों को स्थिति को संभालना पड़ा। न्यूज एजेंसी एएनआई ने भी सूत्रों के हवाले से एलएसी पर फायरिंग होने की बात कही है।

तीन वजहें, पैंगॉन्ग में चीन क्यों बौखलाया है?

  • पहला - ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप पर भारतीय सेना के मजबूत पोजिशन लेने के बाद चीन की पोस्ट भारतीय फायरिंग रेंज में हैं।
  • दूसरा - भारतीय सैनिक ऊंचाई पर हैं, जबकि चीन की पोस्ट नीचे। चीन की पोजीशन और ट्रूप को भारतीय इलाकों से देखा जा सकता है। और उस पर निगरानी रख सकते हैं।
  • तीसरा- हमारी पोजिशन से चीन के भारतीय इलाकों में एंट्री पॉइंट्स बंद हो गए हैं। जिन इलाकों से एलएसी को लेकर घपला कर चीन भारतीय सीमा में पैट्रोलिंग करता था, वहां अब भारतीय सेना का दबदबा है।

45 साल पहले चीन ने ऐसे ही धोखा दिया था

दोनों देशों की सीमा पर इससे पहले 45 साल पहले गोली चली थी। 20 अक्टूबर 1975 को अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में चीन ने असम राइफल की पैट्रोलिंग पार्टी पर धोखे से एम्बुश लगाकर हमला किया था। इसमें भारत के 4 जवान शहीद हुए थे। वहीं इसी साल जून में गलवान में दोनों देशों के बीच हुई झड़प में हमारे 20 सैनिकों की शहादत हुई थी। हालांकि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के दौरान भी चीनी और भारतीय जवानों की ओर से गोलियां नहीं चलाई गई थीं।

भारतीय सेना ने पैंगॉन्ग सो झील इलाके में अहम चोटी पर कब्जा किया

पिछले दो हफ्तों में भारतीय और चीनी सेना दो बार आमने-सामने आई हैं। 31 अगस्त की दोपहर भी चीन सेना ने भारतीय इलाके पर कब्जे की कोशिश की थी जिसे भारतीय सेना ने रोका था। जबकि इससे पहले 29-30 अगस्त की रात चीन की साजिशों को नाकाम करते हुए भारतीय सेना ने पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी हिस्से में मौजूद अहम चोटियों, ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप पर कब्जा कर लिया था। यह रणनीतिक रूप से काफी अहम मानी जाती है। यहां से चीनी सैनिक कुछ मीटर की दूरी पर ही हैं। रविवार और सोमवार की रात चीनी सैनिकों ने इस चोटी पर कब्जे की साजिश रची थी। लेकिन, भारतीय सेना की स्पेशल ऑपरेशन बटालियन ने न सिर्फ उन्हें खदेड़ दिया, बल्कि यह पूरी चोटी अपने कब्जे में ले ली।

अपनी सीमाओं की सुरक्षा करना जानते हैं: रक्षा मंत्रालय

ये घटना तब हुई है जब दो दिन पहले दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच मॉस्को में मुलाकात हुई थी। चीन की घुसपैठ को लेकर रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि चीन ने फिर यथास्थिति का उल्लंघन किया है। 29 अगस्त की रात चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख के भारतीय इलाके में घुसपैठ की कोशिश की थी। भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों की इस कोशिश को नाकाम कर दिया। हमारी सेना बातचीत के जरिए शांति कायम करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन हम अपनी सीमाओं की सुरक्षा करना जानते हैं।

दोनों देशों के बीच जो सहमति बनी थी, भारत उसका पालन नहीं कर रहा- चीन

चीनी सेना के वेस्टर्न थिएटर कमांड ने आरोप लगाया था कि दोनों देशों के बीच जो सहमति बनी थी, भारत उसका पालन नहीं कर रहा है। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा था कि भारत की ओर से तनाव बढ़ने की आशंका है, क्योंकि उसकी तरफ से भड़काने वाली कार्रवाई हो रही है। भारतीय सैनिक लगातार एलएसी क्रॉस कर रहे हैं।

विवाद की वजह

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एसएल नरसिम्हन बताते हैं कि भारत और चीन की सीमा से जुड़े कई अनसुलझे सवाल हैं। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल 1962 के युद्ध के बाद अस्तित्व में आई। लेकिन जमीन पर अब तक उसकी हदबंदी नहीं हुई है।

यही वजह है कि दोनों देशों की सरहद को लेकर अपनी-अपनी धारणाएं हैं। इसी के चलते ऐसे इलाके पनपे हैं, जिन पर दोनों देश अपना दावा करते हैं। नतीजतन कई विवादित और संवदेनशील इलाके बन गए हैं। जब भी दोनों देशों की पैट्रोलिंग पार्टी इन विवादित इलाके में जाती है, तो झड़प हो जाती है।



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