भोपाल। इंसानाें काे जानवराें का चावल बांटने के मामले में नया माेड़ आ गया है। मध्यप्रदेश के धान उत्पादक जिलों में महत्वपूर्ण बालाघाट, मंडला और जबलपुर जिले में वेयर हाउस के गोदामों में जो घटिया चावल मिला है, वो इन जिलों की धान से नहीं निकला है। यह जानकारी प्रदेश के 52 जिलाें में चावल की गुणवत्ता जांच रहीं फूड काॅर्पोरेशन ऑफ इंडिया और खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम की टीमों की जांच में मिली है।
बालाघाट के बारा सिवनी, बैहर, लांजी और लालबर्रा जिले में जो धान पैदा होता है, वह पारस सोना, एक हजार दस और महामाया जैसी उच्च किस्म का है, जिसकी उपज 45 लाख टन है। इस धान से निकलने वाला चावल ही बड़ी कंपनियां ऊंची कीमत में बेचती हैं। जांच दलों ने इस बात की भी पड़ताल की है कि धान से चावल रिसाइकिल कैसे होता है, इसमें यह बात सामने आई है कि धान की खरीदी केंद्र के लिए फूड काॅर्पोरेशन ऑफ इंडिया के लिए राज्य की एजेंसी खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम और विपणन संघ करती है।
दोनों एजेंसियां सरकार के खाद्य विभाग के अधीन काम करती है जो धान की खरीदी कर उसे मिलर के लिए चावल बनाने के लिए देती है। इसमें मिलर 100 किलो धान से कस्टम मिलिंग के जरिए 65 से 67 किलो चावल लौटाता है। बाकी 33 किलो जो मटेरियल बचता है, उसमें 20 किलो भूसा, आठ से दस किलो मैदा और इतनी ही मात्रा में छोटा चावल टुकड़ा (कनी) निकलता है जो मिलर को मिलता है जिेसे बेचने पर उसे 200 रुपए प्रति क्विंटल मिलते हैं। खास यह है कि निकला भूसा बालाघाट से लगे भंडारा जिले के गोंदिया में बिकता है, जिसका उपयोग राइज ब्रान आइल बनाने में भी होता है।
बालाघाट के चावल की डिमांड भारत से बाहर भी
जांच में लगी टीमों में शामिल सूत्र बताते हैं कि कस्टम मिलिंग के लिए सरकार द्वारा दिया गया धान उसना प्लांट में जाता है। यह वह चावल है जो बड़े-बड़े वायलर में गर्म किया जाता है और धान का छिलका अलग हो जाता है। इस तकनीक से निकले चावल की डिमांड बांग्लादेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल में है। पिछले दो सालों में बालाघाट जिले में ही 10 उसना प्लांट लगे हैं। इस तरह के प्लांट की क्षमता प्रति घंटे 16 क्विंटल चावल निकालने की है।
तथ्याें पर कार्रवाई करेंगे
चावल की जांच के लिए टीमें गठित की गई हैं। इस हफ्ते इन टीमों की रिपोर्ट मिल जाएगी, उसमें जो तथ्य सामने आएंगे उस पर आगे कार्रवाई करेंगे। फिलहाल चावल की गुणवत्ता की जांच ठीक हो सके। इसके लिए क्वालिटी कंट्रोल विंग मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं।
- फैज अहमद किदवई, प्रमुख सचिव, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग
घटिया क्वालिटी का चावल कहीं बिहार का ताे नहीं?
गोदामों में सील चावल की क्वालिटी निम्न स्तर की है, जो यूपी और बिहार राज्य में पैदा होने वाली धान से निकला हुआ है।
बालाघाट में ही 45 लाख टन चावल की पैदावार हुई तो जिसे कस्टम मिलिंग के लिए मिलर के लिया दिया गया। इससे बना चावल निकला तो वह गोदामों में सील चावल से मेल क्यों नहीं खा रहा है।
सरकार हरकत में, दो घंटे चली बैठक
मामले में सोमवार को सरकार हरकत में आ गई है। खाद्य विभाग के प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के एमडी अभिजीत अग्रवाल, संचालक खाद्य और भंडार गृह निगम के एमडी तरुण पिथोड़े और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अफसरों की बैठक बुलाई। दो घंटे तक चली बैठक मे भारत सरकार की जांच में सामने आए पोल्ट्री ग्रेड चावल मिलने का मामला छाया रहा।