ग्वालियर। कोविड-19 का शिकार होकर आइसोलेशन सेंटर में रहे ऐसे लोग जो स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं (कोरोना से जंग जीते हुए लोग) एक नई प्रकार की बीमारी का शिकार होने लगे हैं। करीब 40% लोग शारीरिक थकावट और मानसिक तनाव महसूस कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह लोग डिप्रेशन का शिकार है। यदि समय रहते इलाज नहीं हुआ तो यह काफी खतरनाक/ आत्मघाती हो जाता है।
स्वस्थ हो चुके कोविड-19 के मरीजों में किन बीमारियों के लक्षण दिखाई दे रहे हैं
कोविड-19 यानि कोरोना संक्रमण का शिकार होकर इलाज लेने के बाद सैकड़ों मरीज कोरोना संक्रमण से तो सौ फीसदी स्वस्थ हो चुके हैं, लेकिन संक्रमण का डर ऐसे ठीक हो चुके मरीजों के दिमाग में बैठ जाने के कारण ऐसे 40% मरीजों को ठीक होने के बाद रात में ठीक से नींद नहीं आना, घबराहट, पूरे शरीर में कंपन होना, तनावग्रस्त रहने के साथ सांस लेने में तकलीफ होने जैसी समस्याओं से ऐसे लोग ग्रसित होकर इलाज के लिए मनोचिकित्सक के पास इलाज लेने पहुंच रहे हैं।
कोरोना से जंग जीत लोगों के लिए डॉक्टर की सलाह
जेएएच में पदस्थ मनोचिकित्सक प्रो. डॉ.कमलेश उदैनिया का कहना है कि इन दिनों ऐसे अवसाद की समस्या को लेकर मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। कोरोना को मात दे चुके ये मरीज सकारात्मक सोच रखें। साथ ही अपनी दिनचर्या पूर्व की तरह से अपनाएं। अधिक समय परिवार के बीच व्यतीत करें। साथ ही सुबह के साथ ही रात में सोने से पहले हल्का व्यायाम करने के साथ ही अपना समय एकांत में न गुजारें। सकारात्मक सोच रखने पर व्यक्ति जल्द ही अवसाद से मुक्त हो जाएगा।
आईसीयू व वेंटीलेटर से लौटे मरीज अधिक परेशान ऐसे मरीज जिन्होंने कोरोना संक्रमित होने के बाद इस जानलेवा बीमारी की भयावह स्थिति देखी हीं नहीं बल्कि संक्रमण को हराने वे कई दिनों तक वेंटीलेटर सपोर्ट पर रहने के बाद ठीक हुए हैं ऐसे लोगों में मनोरोग जैसी समस्या अधिक देखने को मिल रही है। उन्हें डर है कि अगर दोबारा संक्रमित हो गए तो क्या होगा।