इंदौर। हनी ट्रैप मामला सीबीआई को सौंपने, जांच पर निगरानी के लिए संवैधानिक कमेटी गठित करने को लेकर दायर की गई जनहित याचिकाओं पर हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने सुशांत सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी आधार बनाया है। कोर्ट ने कहा कि एसआईटी की जांच में जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा, जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की बेंच ने शनिवार को यह आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कि एसआईटी इस मामले में कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है।
जांच के लिए बनी एसआईटी पर हाई कोर्ट सुपरविजन कर रहा है। एसआईटी की जांच से कोर्ट संतुष्ट है। यह ऐसा मामला नहीं, जिसे सीबीआई को सौंपा जाए। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट मनोहर दलाल, लोकेंद्र जोशी, निधि बोहरा, धर्मेंद्र चेलावत ने पैरवी की थी। एसआईटी की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव, शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्य मित्र भार्गव ने पक्ष रखा। हाई कोर्ट ने 13 अगस्त को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट ने कहा- सीबीआई को जांच क्यों सौंपी जाए, इस संबंंध में याचिकाकर्ता कोई ठोस दस्तावेज, तथ्य पेश नहीं कर पाए। इस मामले में शामिल ऐसे आरोपी जो अब तक फरार हैं, उन्हें गिरफ्तार कर इस बेंच के प्रिसिंपल रजिस्ट्रार को सूचित भी किया जाए। हाईकोर्ट ने रिया चक्रवर्ती विरुद्ध बिहार राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 3 पैराग्राफ उद्धृत किए हैं। इनमें रिया चक्रवर्ती और सुशांत सिंह के मामले का हवाला देते हुए कहा गया है कि कि इस मामले में बिहार सरकार ने खुद सीबीआई जांच की अनुशंसा की थी और सीबीआई एफआइआर भी दर्ज कर चुकी थी। यही नहीं खुद रिया चक्रवर्ती भी सीबीआई जांच की मांग कर चुकी थी। जाहिर है एक ही मामले की बिहार और मुंबई पुलिस की अलग अलग समानांतर जांच से न्याय के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पाती।