6 बच्चों और 13 नाती-नातिनों में से तीन टीचर और बाकी सब आईएएस और सरकारी अफसर

Posted By: Himmat Jaithwar
9/5/2020

आज शिक्षक दिवस है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन। देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति राधाकृष्णन पेशे से टीचर थे। लेकिन क्या उनके बाद परिवार में कोई टीचर बना? इसे मालूम करने सबसे पहले हमने गूगल का सहारा लिया। लेकिन हर जगह बस उनके इकलौते बेटे का ही नाम मिला।

उनका एक बेटा और पांच बेटियां थीं। उनकी बेटियों का नाम ढूंढते-ढूंढते हम उन बेटियों के बच्चों तक पहुंचे। लेकिन उन बच्चों ने अपनी मांओं का नाम बताने से भी गुरेज किया। उनका कहना है कि राधाकृष्णन का परिवार कभी मशहूर होना ही नहीं चाहता। उनके नाम का सहारा भी नहीं लेना चाहता। और शायद खुद राधाकृष्णन भी यही चाहते थे।


उनके परिवार में कुल चार टीचर हुए, पहले खुद राधाकृष्णन। राधाकृष्णन के बेटे सर्वपल्ली गोपाल पिता के बाद परिवार में दूसरे टीचर थे। वे ऑक्सफोर्ड और जेएनयू में पढ़ा चुके हैं। 1950 में वो विदेश मंत्रालय में डायरेक्टर बने और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ काम किया। 1960 में वे ऑक्सफोर्ड चले गए और वहां इंडियन हिस्ट्री पढ़ाने लगे। जब इंदिरा गांधी ने जेएनयू की स्थापना की तो एस. गोपाल सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज के एचओडी बनाए गए। 1970 में वे नेशनल बुक ट्रस्ट यानी एनबीटी के चेयरमैन भी बने। अपने काम के लिए उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। वे पिता सर्वपल्ली राधाकृष्णन की बायोग्राफी लिख चुके हैं।

राधाकृष्णन की बेटी शकुंतला के बेटे केशव देसीराज (सफेद शर्ट में चश्मा पहने) रिटायर्ड आईएएस हैं। वे बतौर सेक्रेटरी (हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर) रिटायर हुए हैं।
राधाकृष्णन की बेटी शकुंतला के बेटे केशव देसीराज (सफेद शर्ट में चश्मा पहने) रिटायर्ड आईएएस हैं। वे बतौर सेक्रेटरी (हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर) रिटायर हुए हैं।

एस. गोपाल की पांचों बहनें हाउस वाइफ रही हैं। एस. गोपाल की 2002 में मृत्यु हो चुकी है। उनकी तीन बहनों की भी मृत्यु हो चुकी है। दो बहनों में से एक बेंगलुरु और दूसरी अमेरिका में रहतीं हैं। गोपाल के बच्चे नहीं हैं। उनकी पत्नी और राधाकृष्णन की बहू इंदिरा गोपाल चेन्नई के उसी घर में रहती हैं, जहां राधाकृष्णन अपने अंतिम वक्त में रहे हैं।

राधाकृष्णन की पांच बेटियों के 13 बच्चे हैं, जिनमें से 5 लड़कियां हैं। इन 13 बच्चों में से 2 टीचर हैं। सुब्रमण्यम जी शर्मा उनमें से एक हैं। वो हॉर्वर्ड में पढ़ा चुके हैं और फिलहाल बेंगलुरु के नामी कारोबारी हैं। वो राधाकृष्णन की सबसे छोटी बेटी सुमित्रा के बेटे हैं। सुमित्रा की उम्र 74 साल है। वो अपने बेटे सुब्रमण्यम शर्मा के साथ बेंगलुरू में रहती हैं। राधाकृष्णन के सभी नाती-नातिनों में से सुब्रमण्यम के अलावा एक और नाती टीचर हैं, जो अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं।

सुब्रमण्यम कहते हैं, ‘मैं अपने नाना की परंपरा को आगे बढ़ाना चाहता हूं। टीचर्स डे रोज होता है, किसी एक दिन सर्वपल्ली राधाकृष्णन और अपने शिक्षकों को याद करना कहां जायज है?’ सुब्रमण्यम के पिता चेन्नई की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में ही काम करते थे, जब उनकी शादी सुमित्रा से हुई थी। सुब्रमण्यम कर्नाटक के मल्लेश्वरम से चुनाव भी लड़ चुके हैं। हालांकि वो कहते हैं कि ‘मैं एकेडमीशियंस के परिवार से हूं, राजनेताओं के नहीं।’

तमिलनाडु के गांव से देश के राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचने वाले सर्वपल्ली राधाकृष्णन के परिवार के ज्यादातर लोग सिविल सर्विस में हैं। इनमें से कई सेक्रेटरी और अंडर सेक्रेटरी लेवल तक पहुंचे हैं। वहीं मशहूर क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण राधाकृष्णन की पत्नी शिवाकामू की बहन के बेटे हैं।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन बेटी की बेटी गिरिजा वीरराघवन हॉर्टिकल्चर से जुड़ी हैं और उनके पति एमएस वीरराघवन रिटायर्ड आईएएस हैं। वे तमिलनाडु में गुलाबों के ब्रीडिंग एक्सपर्ट और इंडिया रोज फाउंडेशन के फाउंडर मेंबर हैं।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन बेटी की बेटी गिरिजा वीरराघवन हॉर्टिकल्चर से जुड़ी हैं और उनके पति एमएस वीरराघवन रिटायर्ड आईएएस हैं। वे तमिलनाडु में गुलाबों के ब्रीडिंग एक्सपर्ट और इंडिया रोज फाउंडेशन के फाउंडर मेंबर हैं।

राधाकृष्णन की बेटी शकुंतला के बेटे केशव देसीराज बतौर सेक्रेटरी (हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर) रिटायर हुए हैं। उनकी चौथी बेटी की बेटी गिरिजा वीरराघवन हॉर्टिकल्चर से जुड़ी हैं और उनके पति रिटायर्ड आईएएस एमएस वीरराघवन तमिलनाडु में गुलाबों के ब्रीडिंग एक्सपर्ट और इंडिया रोज फाउंडेशन के फाउंडर मेंबर हैं। चेन्नई में जिस घर में राधाकृष्णन रहे हैं उसका नाम भी गिरिजा ही है।

राधाकृष्णन के बाद परिवार में कोई भी किसी संवैधानिक पद पर नहीं रहा। राधाकृष्णन के पिता गांव के जमींदार के खजांची थे। शिवाकामू से उनकी शादी हुई तो उम्र बस 16 साल थी। वो सबसे पहले 1909 में मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रोफेसर बने। कुछ सालों बाद यूनिवर्सिटी ऑफ मैसूर में पढ़ाने लगे। किताबें और रिसर्च पेपर लिखते रहे। और फिर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगे। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद बतौर शिक्षक उनके योगदान को देखते हुए उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।





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