भोपाल। बालाघाट और मंडला जिले में पोल्ट्री ग्रेड (जानवरों को खिलाए जाने वाले) चावल को राशन की दुकानों से गरीब जनता को बांटे जाने के मामले में गुरुवार को सरकार ने सख्त रवैया अपना लिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मसले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपने के निर्देश दिए हैं।
सरकार की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को दोनों जिलों में बंटे घटिया चावल की रिपोर्ट भेज दी गई है। इस मामले में सामने आया है कि नागरिक आपूर्ति निगम (नान) से मिले धान से मिलर्स ने चावल निकालकर गायब कर दिया। उसके बदले में घटिया चावल नान को सौंप दिया। निगम अधिकारियों व क्वालिटी कंट्रोलर ने इसकी जांच भी नहीं की।
यह मामला सामने आने पर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के एमडी तरुण पिथोड़े ने इस चावल के वितरण पर रोक लगा दी थी। अब जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि अच्छा चावल कहां गया। प्रदेश में इस साल 17.4 लाख मीट्रिक टन धान मिलर्स को चावल निकालने के लिए दिया गया। उन्हें धान से चावल निकालकर वेयर हाउस कॉर्पोरेशन के गोदाम और राशन की दुकानों में भेजना था।
इसके एवज में मिलर्स को सरकार की ओर से 10 रुपए प्रति क्विंटल और परिवहन सुविधा उपलब्ध कराई गई। मिलर्स ने धान की कस्टम मिलिंग कर 11 लाख मीट्रिक टन चावल नान को दिया। बालाघाट जिले में3136 मीट्रिक टन और मंडला जिले में 1658 मीट्रिक टन चावल निर्धारित मानकों का नहीं पाया गया।
ऐसे हुई गड़बड़ी
मिलर्स ने राशन की दुकानों में जो चावल भेजा वह औसत गुणवत्ता फेयर एवरेज क्वालिटी (एफएक्यू) का नहीं था। इसमें यह बात सामने आई कि मिलर्स को धान से निकला जो चावल खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम को देना था, उसे बाजार में या अन्य जगह बेच दिया। उसके एवज में बाहर से पोल्ट्री ग्रेड का चावल (जानवरों को खाने योग्य) निगम को सौंप दिया। यह चावल राशन की दुकानों से कोरोना महामारी के दौर में गरीबों में वितरित किया जा रहा था।
केंद्र सरकार की टीम ने बालाघाट और मंडला जिले में वेयर हाउस एवं राशन की दुकानों से 32 सेंपल लिए। इसकी जांच सेंट्रल ग्रेन एनालिसिस लेबोरेटरी (सीजीएएल) में करवाई गई। इसमें पाया गया कि राशन की दुकानों में बांटा जा रहा चावल पोल्ट्री ग्रेड का था जो बकरी, घोड़े और भेड़ के खाने लायक था।
ये है मानक
केंद्र सरकार दवारा तय मानक के हिसाब से मिलर्स द्वारा धान से तैयार किया गया चावल एफएक्यू मानक के हिसाब से होना चाहिए। एफएक्यू यानी 100 किलो धान से 67 किलो चावल निकलता है जो औसत किस्म का माना गया है। इसमें 33 फीसदी टूटी और कुतरन रहती है। यहां राशन की दुकानों से बांटे जा रहे चावल में 60 से 70 फीसदी चावल की टूटन थी और 30 फीसदी से भी कम चावल था जो औसत दर्जे का नहीं था। इस पोल्ट्री ग्रेड चावल को खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं मिलर्स की मिलीभगत से गरीबों में बांटा जा रहा था।
बालाघाट कलेक्टर दीपक आर्य की कार्रवाई
कलेक्टर दीपक आर्य ने कहा कि भारत सरकार में उपायुक्त विश्वजीत हलधरने 30 जुलाई से 2 अगस्त की अवधि में बालाघाट जिले के गोदामों एवं उचित मूल्य की दुकानों का निरीक्षण किया। इसमें अमानक स्तर का चावल पाया गया जो मनुष्यों के खाने के योग्य नहीं था औरखाद्य अपमिश्रण अधिनियम के अंतर्गत निम्न श्रेणी का पाया गया है।
इस स्थिति में तत्काल संबंधित राइस मिलर्स से चावल जमा करने पर रोक लगा दी गई है। 18 राइस मिलर्स, वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन और नागरिक आपूर्ति निगम के 9 कर्मचारियों पर तत्काल एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए। आर्य ने पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अफसरों से अमानक स्तर का चावल प्रदाय करने वाली इन 18 राइस मिलों का बिजली कनेक्शन तत्काल काटने को कहाहै।
मानव अधिकार आयोग में याचिका
जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने मानवाधिकार आयोग को एकयाचिका सौंपते हुए राशन में खराब चावल बांटने के मामले पर दखल की मांग की है। मंच का आरोप है कि दिखावे के नाम पर बालाघाट जिले के कुछ छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई कर दी गई, जबकि यह गड़बड़ी पूरे प्रदेश में हुई है। ऐसे में यह कार्रवाई प्रदेश स्तर पर होनी चाहिए, ताकि एक भी गुनहगार न बच सके।
पीएमओ को रिपोर्ट भेजी
- बालाघाट और मंडला जिले में राज्य सरकार ने चावल के 57 सैंपल मानक गुणवत्ता के नहीं पाए गए। दोनों जिलों में पोल्ट्री ग्रेड चावल की सप्लाई 26 अगस्त को रोक दी गई थी।
- बालाघाट के जिला प्रबंधक को निलंबित किया है। क्वालिटी कंट्रोलर की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। ईओडब्ल्यू से जांच करेगा।
- सरकार द्वारा स्थाई तौर पर क्वालिटी कंट्रोलर नियुक्त करने की कार्रवाई की जा रही है।
- राशन वितरण की व्यवस्था ऑनलाइन की जा रही है जिससे बराबर मॉनिटरिंग हो सकेगी और गड़बडिय़ों को रोका जा सके।
जिला प्रबंधक, क्वालिटी कंट्रोलर, मिलर्स की मिलीभगत
इस मामले में प्राथमिक जांच में जिला प्रबंधक, क्वालिटी कंट्रोलर और मिलर्स की मिलीभगत सामने आई। मिलर्स ने जो चावल वेयर हाउस के गोदामों में भेजा, उसकी प्रबंधक और क्वालिटी कंट्रोलर ने जांच क्यों नहीं की।
- नान और विपणन संघ के जरिए जो धान खरीदी गई, उसके एवज में वापस जो चावल मिला वह खरीदी गई धान से निकाला हुआ नहीं था। आशंका है कि धान से निकले चावल को ऊंचे दामों में बाहर बेच दिया गया और उसके बदले में घटिया दर्जे का चावल खरीदा गया।
- यह गड़बड़ी देखी गई कि 100 किलोग्राम धान से निकला चावल 67 किलोग्राम नहीं था। जांच में पता चला कि चावल की मात्रा 50 फीसदी ही थी और 50 प्रतिशत चावल की टूटन थी।
- नान के अफसरों और क्वालिटी कंट्रोलर ने मिलर्स से प्राप्त चावल, जिसमें कुतरन 50% तक थी, पास कर दिया। इसके एवज में मिलर्स से मोटी कमाई की यानी प्रति क्विंटल 25 से 35 रुपया लिया। इस लिहाज से 17 लाख टन के हिसाब से 40 से 50 करोड़ रुपया तक कमाया।
सीधी बात - तरुण पिथोड़े, खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम के एमडी
मामला गंभीर, मिलर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है
बालाघाट, मंडला में पोल्ट्री ग्रेड चावल कैसे बंटा?
मामला गंभीर है। इसमें जो भी दोषी है उन पर कार्रवाई की गई है। जिला प्रबंधक को सस्पेंड किया गया है। क्वालिटी कंट्रोलर की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। मिलर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है।
ये चावल वेयर हाउस व राशन की दुकानों तक पहुंचा कैसे?
इसकी जांच करा रहे हैं। इसमें जो भी दोषी है उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
मंडला में जांच के लिए पुलिस को सौंपे दस्तावेज
अपर कलेक्टर मीना मसराम के नेतृत्व में जांच टीम ने संगम वेयर हाउस कटंगी सहित 14 राइस मिलों पर छापा मारा। वहां मौजूद चावल की गुणवत्ता की जांच के साथ चावल की आवक-जावक से संबंधित दस्तावेज भी जब्त किए। नैनुपर, कजरवाड़ा के वेयर हाउस से 26 सैंपल लिए गए। राइस मिलों और वेयर हाउस सील कर दिया गया है। जांच के दौरान जब्त दस्तावेज जांच हेतु मंडला पुलिस को सौंपे गए हैं।
कटनी में मझगवां ओपन कैप में रखी धान की जांच
राइस मिलों के लिए पूरे प्रदेश में ख्यात कटनी जिले में भी धान की गुणवत्ता की जांच शुरू हो गई है। प्रभारी एसडीएम संघमित्रा गौतम ने बड़वारा तहसील के मझगवां ओपन कैप में रखी धान का निरीक्षण किया एवं कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपी। यहां भारी मात्रा में बारिश से धान खराब हो चुकी है। बारिश में खराब हो चुकी धान की मिलिंग का यहां हर साल मामला उठता है।
उमरिया में 3 सदस्यीय दल ने की सैम्पलिंग
सतना से उमरिया पहुंचे तीन सदस्यीय दल ने गुरुवार को भरौला स्थित नान के निजी वेयर हाउस पहुंच कर दिन भर स्टॉक में रखे चावल की सैम्पलिंग की। डीएम नॉन एसडी बरहा ने यह तो खुलासा नहीं किया कि जांच में क्या निकला। उन्होंने यह जरूर कहा कि मामले की रिपोर्ट जल्द प्रशासन व सरकार को सौंप दी जाएगी।
सात जिलों में मंडला से सप्लाई किया चावल
मंडला जिले से भोपाल समेत 7 जिलों में घटिया चावल सप्लाई किया गया। कटंगी के संगम वेयर हाउस से भोपाल, डिंडौरी, शाजापुर, धार, बड़वानी, अलीराजपुर तथा झाबुआ जिले में यह घटिया चावल सप्लाई किया गया। इस वेयर हाउस से 2744.81 मीट्रिक टन चावल उक्त सात जिलों में भेजा गया।
बालाघाट में 2 दिन के भीतर 9 अफसरों पर गिरी गाज
गुणवत्ताहीन चावल प्रदाय करने के मामले में दो दिन के भीतर बालाघाट जिले के नौ अफसरों पर गाज गिर चुकी है। इन सभी अफसरों के साथ दागी 18 मिलर्स पर भी एफआईआर दर्ज करने के निर्देश कलेक्टर दीपक आर्य ने दे दिए हैं।
किसी भी जिले में शिकायत मिलने पर ईओडब्ल्यू जांच में शामिल होगी
बालाघाट-मंडला में राशन दुकानों से पोल्ट्री ग्रेड चावल बांटने के मामले में गुरुवार को सीएम के निर्देश पर ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज कर प्रारंभिक जांच शुरु कर दी है। एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच के बिंदु और दल गठित किया जाएगा। इन दो जिलों के अलावा किसी जिले से इस तरह की शिकायत मिलती है तो ईओडब्ल्यू को भी जांच में शामिल किया जाएगा।
बालाघाट जिले के 3 गोदामों में 3136 मेट्रिक टन तथा मंडला जिले में 1658 मेट्रिक टन चावल पोल्ट्री ग्रेट का मिला। गोदामों से चावल सप्लाई बंद कर दी गई है। सीएम ने माना कि मामला गंभीर है। इसमें विभिन्न स्तर पर सांठ-गांठ की भी आशंका है। जांच में जो तथ्य उजागर होंगे, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मिलिंग नीति के अनुसार, गुणवत्ताविहीन चावल के बदले मानक गुणवत्ता का चावल लिया जाएगा। प्रदेश में खाद्यान की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए।