ग्वालियर। आने वाले विधानसभा उपचुनाव में प्रदेश में 27 सीटों पर चुनाव होने है मगर दोनो ही मुख्य पार्टियों की नजर ग्वालियर चम्बल पर सबसे ज्यादा हैं यहां की 16 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। ऐसे में ग्वालियर में राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में 3 दिन तक महासद्स्यता अभियान भजापा ने चलाया था। इसके जबाब में कांग्रेस ने भी अपनी ताकत कार्यकर्ता सम्मेलन से दिखा दी थी। पिछले एक सप्ताह में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह दो बार ग्वालियर आ चुके हैं।
बीती रात में वे ऐसे ही दौरे पर वे ग्वालियर आये मंगलवार सुबह भिंड जिले के प्रसिद्ध दंदरौआ हनुमान मंदिर पर दर्शन करने भी गए। उनके साथ नेता और कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ थी। इनमे बड़ी संख्या में टिकिट की चाह रखने वाले कांग्रेस नेता भी थे। वहा से लौटकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्गी राजा ने देवाशीष जर्रारिया संत कृपाल सिंह और अशोक शर्मा से भेंट की।
ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र में भी उपचुनाव होना है। यहाँ से पूर्व विधायक प्रधुमन तोमर वर्तमान में भाजपा की गोद मे चले गए हैं और प्रदेश सरकार में मंत्री बने बैठे हैं। यहां से कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार सुनील शर्मा, अशोक शर्मा और संत कृपाल सिंह हैं। इनमे से अशोक शर्मा से तो दिग्गी राजा ने होटल के बाहर गाड़ी में बैठकर लंबी चर्चा की। वहीं संत कृपाल सिंह के निवास पर मिलने पहुंचे। सिंधिया के भाजपा छोडऩे के बाद कांग्रेस नेताओं के लिए संभावना के नए द्वार खुल गए हैं। गुटवाजी भूलकर अब कांग्रेस नेता सिंधिया को हराने के लिए एकजुट होने लगे हैं।
भिंड से लोकसभा का चुनाव लडऩे वाले देवाशीष जर्रारिया को कांग्रेस गोहद से अपना उम्मीदवार बना सकती है। वहीं ग्वालियर सीट के तीनों प्रमुख दावेदारों में सहमति बनाये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। क्योकि सुनील शर्मा भाजपा में इसीलिए नही गए कि उन्हें वरिष्ट नेताओं ने टिकिट का भरोसा दिलाया है वहीं संत कृपाल बार-बार टिकिट मांगते हैं मगऱ जमीनी आधार कमजोर है। अशोक शर्मा पुराने मंझे हुए नेता हैं वे स्व. माधवराव सिंधिया के बेहद करीबी रहे हैं।
ग्वालियर-चंबल में 16 सीट खाली हुई हैं. उसमें मुंगावली, अशोकनगर, बामोरी, पोहरी, करेरा, भांडेर, डबरा, जौरा, दिमनी, गोहद, ग्वालियर शहर, ग्वालियर पूर्व, मुरैना, अंबाह, मेहगांव और सुमावली है।