टेलीकॉम कंपनियों को अब एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) की बकाया रकम को 10 साल के भीतर चुकाना होगा। यह समय सीमा 1 अप्रैल 2021 से शुरू होगी। अभी तक टेलीकॉम कंपनियां इसके लिए 15 साल का समय की मांग कर रही थीं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अगर कंपनियां इस दौरान पेमेंट में देरी या डिफॉल्ट होती हैं तो उन्हें ब्याज और पेनाल्टी भी देनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, एजीआर की कुल रकम का 10% हिस्सा 31 मार्च 2021 तक चुकाना होगा। इसके साथ ही हर साल 7 फरवरी को टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर की तय रकम का पेमेंट करना होगा। कोर्ट ने इसी के साथ यह भी कहा है कि इस बकाए का फिर से कोई वैल्यूएशन नहीं किया जाएगा। यानी जो रकम आज तय है, वही रकम भरनी होगी। दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलटी को कहा है कि वह आईबीसी प्रोसेस के तहत स्पेक्ट्रम के मामले को देखे।
वोडाफोन आइडिया पर 50,400 करोड़ बाकी
इससे पहले सरकार टेलीकॉम कंपनियों को 20 साल तक एजीआर की रकम चुकाने की समय सीमा देने पर विचार कर रही थी। एजीआर की सबसे ज्यादा बकाया रकम वोडाफोन आइडिया पर है। कुल 50 हजार 400 करोड़ रुपए इस टेलीकॉम कंपनी पर बाकी है। भारती एयरटेल पर 26 हजार करोड़ रुपए बाकी है। पिछले काफी समय से इस मामले में टेलीकॉम कंपनियां कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही थीं।
टेलीकॉम कंपनियों पर कुल 1.6 लाख करोड़ रुपए बकाया है
वोडाफोन आइडिया ने कहा था कि एजीआर की रकम भरने पर अगर दबाव बनाया गया तो कंपनी बंद भी हो सकती है। हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद कई टेलीकॉम कंपनियां एजीआर भरने से बच गई हैं। यह कंपनियां या तो किसी और के साथ मिल गई हैं या फिर बंद हो चुकी हैं। इन कंपनियों के ऊपर कुल 1.6 लाख करोड़ रुपए एजीआर का बकाया है। इसमें लाइसेंस फीस, स्पेक्ट्रम के उपयोग का चार्ज और पेनाल्टीज भी हैं।
वोडाफोन आइडिया ने 7,854 करोड़ चुकाया
अब तक वोडाफोन आइडिया ने एजीआर की कुल राशि में से 7,854 करोड़ रुपए का पेमेंट किया है। एयरटेल ने 18 हजार करोड़ रुपए का पेमेंट किया है। रिलायंस जियो ने 2016 के बाद कंपनी शुरू की है इसलिए वह एजीआर से बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुई है। उसने अपना 195 करोड़ रुपए का पेमेंट कर दिया है।