पड़ोसी कुल्हाड़ी लेकर साथियाें सहित घर में घुसा, सोते में किसान का सिर काट डाला; दो आरोपी पकड़े, तीन फरार

Posted By: Himmat Jaithwar
9/1/2020

उटीला के बड़ेरा गांव में रहने वाले किसान की बीती रात कुल्हाड़ी और लाठी मारकर हत्या कर दी गई। किसान के सिर पर उस समय लाठी और कुल्हाड़ी से वार किया गया, जब वह सो रहा था। दो हत्यारों को पुलिस ने दस घंटे के अंदर पकड़ लिया, जबकि इनके तीन साथी अभी भी फरार हैं। हत्या के पीछे पुलिस पुरानी रंजिश वजह बता रही है। जबकि चर्चा है कि मृतक के घर की एक महिला को हत्याराेपी ने अगवा कर लिया था। 15 दिन पहले ही किसान के दबाव की वजह से उस महिला को मुक्त करना पड़ा, तभी से वह उससे रंजिश रखा हुआ था।

उटीला थाना प्रभारी रघुवीर सिंह मीणा ने बताया कि बढ़ेरा निवासी रघुवर पुत्र आशाराम कुशवाह(43) पेशे से किसान था। वह रविवार रात को खाना खाकर घर के बाहर खटिया पर सो गया। उसका भतीजा भी उसी खटिया पर लेटा था। रविवार-सोमवार की रात करीब 3.30 बजे अचानक भतीजे की नींद खुली तो उसे रघुवर के सिर से खून बहता दिखा। यह देखकर उसके मुंह से चीख निकल पड़ी। चीख सुनते ही घर में मौजूद अन्य परिजन दौड़कर आए।

यहां रघुवर घायल अवस्था में पड़ा था। इसके बाद उसके परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस फोरेंसिक एक्सपर्ट डॉ.अखिलेश भार्गव को लेकर घटनास्थल पर पहुंची। फोरेंसिक एक्सपर्ट डॉ.भार्गव ने बताया कि सिर पर भारी वस्तु का वार था और गहरा कट लगा था। इससे साफ हुआ कि कुल्हाड़ी और लाठी से वार कर हत्या की गई है। इसके बाद जब पड़ताल की तो पता लगा कि घर के आसपास भोला उर्फ भोलाराम कुशवाह को देखा गया था। इससे रघुवर और उसके परिजनों का विवाद चल रहा था।

पुलिस ने इनकी तलाश शुरू की ताे वह घर से गायब मिला। हाइवे किनारे पुलिया के पास भोलाराम और उसके साथी भूरा कुशवाह को पकड़ लिया। इनसे पूछताछ की तो इन्होंने हत्या करना स्वीकार किया। आरोपियों ने बताया कि पुरानी रंजिश के चलते रात में घर में घुसे, फिर हत्या कर दी। हत्यारों ने अपने तीन साथी गोविंदा बरैठा, संजय बरैठा और आनंद कुशवाह के भी नाम बताए। इन तीनों की तलाश की जा रही है। हत्यारों ने बताया कि पहले दो ने मुंह दबाया फिर लाठी व कुल्हाड़ी मार दी। मुंह दबाने की वजह से उसकी आवाज नहीं निकली।

महिला को मुक्त कराना बना हत्या की वजह
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक करीब एक महीने पहले रघुवर के घर की एक महिला को भोलाराम ने अगवा कर लिया था। रघुवर के दबाव के चलते करीब 15 दिन पहले उसे मुक्त करना पड़ा। इसके बाद से वह रंजिश रखे हुए था। इसी चलते अपने साथियों के साथ उसने हत्या कर दी।



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