यूपीआई आधारित डिजिटल पेमेंट पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में यह बात कही। सीबीडीटी ने बैंकों को यह भी आदेश दिया है कि उन्होंने एक जनवरी 2020 से अब तक यूपीआई या अन्य डिजिटल पेमेंट पर जो भी शुल्क वसूला है, उसे वापस कर दें।
सीबीडीटी के बयान में कहा गया है कि पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम्स एक्ट 2007 के तहत निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट पर 1 जनवरी 2020 से मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) सहित किसी भी तरह का शुल्क नहीं लगेगा। निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट में शामिल हैं 1. रूपे डेबिट कार्ड, 2. यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई), 3. यूपीआई क्विक रिस्पांस कोड (यूपीआई क्यूआर कोड) और 4. भीम यूपीआई क्यूआर कोड।
सीबीडीटी ने पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम्स एक्ट 2007 के सेक्शन 10ए के हवाले से दिया आदेश
सीबीडीटी ने कहा कि पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम्स एक्ट 2007 के सेक्शन 10ए के तहत कोई भी बैंक या सिस्टम प्रोवाइडर आईटी एक्ट के सेक्शन 269एसयू में निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक मोड से पेमेंट करने वाले या पेमेंट स्वीकार करने वाले से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं वसूलेंगे।
एक निश्चित संख्या में ट्रांजेक्शन के बाद बैंक ले रहे थे शुल्क
नियामक ने पाया था कि कुछ बैंक यूपीआई पेमेंट पर शुल्क ले रहे हैं। एक निश्चित संख्या तक ट्रांजेक्शन पर शुल्क नहीं लग रहा है, लेकिन उसके बाद हर यूपीआई पेमेंट पर बैंक शुल्क ले रहे हैं। सीबीडीटी ने अपने सर्कुलर में कहा कि बैंकों का यह कार्य पीएसएस एक्ट के सेक्शन 10ए और आईटी एक्ट के सेक्शन 269एसयू का उल्लंघन है। इसलिए बैंक यूपीआई ट्रांजेक्शन पर किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं ले सकते हैं।
शुल्क लेने पर बैंकों के खिलाफ हो सकती है कार्रवाई
सीबीडीटी ने कहा कि इन कानूनों के उल्लंघन पर आईटी एक्ट से सेक्शन 271डीबी और पीएसएस एक्ट के सेक्शन 26 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। सर्कुलर में बैंकों से कहा गया है कि वे 1 जनवरी 2020 को या उसके बाद सेक्शन 269एसयू के तहत निर्धारित डिजिटल मोड से किए गए ट्रांजेक्शन पर ग्राहकों से वसूले गए शुल्क को वापस कर दें। सर्कुलर में बैंकों से यह भी कहा गया है कि वे भविष्य में भी इन डिजिटल मोड से किए जाने वाले पेमेंट पर कोई शुल्क नहीं लें। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में 1.49 अरब यूपीआई डिजिटल ट्र्रांजेक्शन हुए। कोरोनावायरस महामारी फैलने के बाद डिजिटल पेमेंट एक जरूरत बन गई है।