निजी अस्पतालों की मनमानी वसूली पर रोक लगाने के लिए प्रशासन ने रविवार को गाइडलाइन जारी कर दी। इसके तहत अब निजी लैब कोरोना टेस्ट के लिए अधिकतम ढाई हजार रुपए ही ले सकेंगी। इसमें घर से सैंपल कलेक्शन का चार्ज भी शामिल है। कम गंभीर मरीजों को 10 दिन तक भर्ती रखने का नियम भी खत्म कर दिया है। कलेक्टर मनीष सिंह ने धारा 144 में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर स्पष्ट कर किया है कि किसी भी अस्पताल को भर्ती मरीज का टेस्ट करवाने की पात्रता नहीं होगी।
केवल गंभीर लक्षण वाले मरीज की ही निजी लैब से जांच करवा सकेंगे। हालांकि जिस पीपीई किट, यूनिवर्सल प्रोटेक्शन, कोरोना सरचार्ज को लेकर मरीजों ने सबसे ज्यादा शिकायतें की हैं, उन पर कोई आदेश नहीं जारी हुआ है। फिर भी जिन बिंदुओं को गाइडलाइन में शामिल किया है, उनमें से कुछ राहत देंगे।
मरीज को शिफ्ट होने से नहीं रोक सकते अस्पताल
- मरीज के परिजन अस्पताल के बाहर से भी दवाई ले सकेंगे। अस्पताल प्रबंधन वहीं से दवाई खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेगा।
- यदि मरीज अन्य अस्पताल में शिफ्ट होना चाहता है तो वह सहमति देकर शिफ्ट हो सकेगा।
- ऐसे मरीज, जिनमें हल्के लक्षण हैं, जिन्हें भर्ती हुए तीन दिन हो गए हैं, बुखार नहीं है, ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है तो वे डिस्चार्ज हो सकेंगे।
- इन मरीजों को डिस्चार्ज होकर 10 दिन होम आइसोलेशन या पेड कोविड केयर सेंटर में रहना होगा।
- होम आइसोलेशन में शिफ्ट करने के लिए अस्पताल प्रबंधन डॉ. बीएस शेखावत, डॉ. महेश कुमार खरचीया से संपर्क करेंगे। डॉ. हेमंत जैन व डॉ. सुनील गंगराडे होम आइसोलेशन व्यवस्था देखेंगे।