भोपाल। नर्मदा नदी का रौद्र रूप रविवार को कुछ शांत हुआ। होशंगाबाद में बारिश थमने और तवा व बारना बांधों के सभी गेट बंद कर दिए जाने से बाढ़ की स्थिति थम गई। नर्मदा का पानी 7 फीट तक कम होकर 973 फीट पर पहुंच गया, हालांकि यह आंकड़ा भी खतरे के निशान से अभी 9 फीट ऊपर है।
सेना और एनडीआरएफ के जवानों ने जिस मुस्तैदी से शनिवार-रविवार की दरमियानी रात राहत ऑपरेशन चलाया, उससे कई जिंदगियां बच गईं। जिले के 38 गांव खाली करा लिए गए। बाबई ब्लॉक में नर्मदा किनारे के कुछ निचली बस्तियों में अभी भी 20 फीट तक पानी भरा है। अभी सिर्फ बरगी डैम के 11 गेट खुले हैं, जिनसे 36 हजार क्यूसेक पानी आ रहा है। प्रशासन का कहना है कि फिलहाल बाढ़ का खतरा नहीं है, क्योंकि अगले चार से पांच दिन तेज बारिश की संभावना कम है।
- सीहोर, रायसेन, नेमावर में नर्मदा का पानी कई गांवों में घुसा हुआ है।
- उज्जैन में शिप्रा उफान पर है, क्योंकि बारिश का सिस्टम अब पश्चिमी मध्यप्रदेश में सक्रिय हो गया है।
बारिश में बह गया भ्रष्टाचार: 9 करोड़ के 2 पुल ढहे, इनमें से एक का उद्घाटन भी नहीं हुआ था
भारी बारिश के चलते सिवनी जिले में बड़ा नुकसान हुआ है। यहां शुक्रवार शाम को लखनादौन क्षेत्र में बना एक निस्तानी बांध बह गया, जबकि रविवार को भीमगढ़ से सुनवारा के बीच 3.7 करोड़ रु. की लागत से बना पुल बहाव में गिर गया। इस पुल का अभी उद्घाटन होना था। इसका निर्माण कार्य पूरा करने की डेडलाइन 30 अगस्त 2020 थी, लेकिन इसी दिन यह ढह गया। इसे भोपाल के ठेकेदार एसव्ही कंस्ट्रक्शन ने बनाया है। इसका निर्माण मप्र ग्राम सड़क विकास प्राधिकरण परियोजना क्रियान्वयन इकाई-2 के तहत किया गया था।
इसी तरह आठ साल पहले 5.75 करोड़ रुपए की लागत से भीमगढ़ और खापा के बीच बना एक और पुल भी गिर गया। दूसरा पुल वैनगंगा नदी पर बना था। नदी में पानी बढ़ने से पुल के पिलर बहाव सहन नहीं कर सके और गिर गए। फिलहाल कलेक्टर डॉ. राहुल हरिदास फटिंग ने दोनों ही मामलों की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
9 जिलों में 50% सोयाबीन चौपट
बारिश ने 9 जिलों में करीब 5 लाख हेक्टेयर में खड़ी सोयाबीन की 50% फसल नष्ट कर दी है। दलहन और मक्का की फसलें भी बर्बादी की कगार पर हैं। केवल धान ही सही सलामत है। भोपाल संभाग के अधिकांश जिलों में 70-80% तक का रकबा सोयाबीन का, 10-15% धान का था। जबकि होशंगाबाद जिले में 70% रकबा धान का था। यहां 2 लाख हेक्टेयर में केवल धान खड़ी है। सोयाबीन का रकबा 70 हजार हेक्टेयर ही है। सोयाबीन प्रोसेसर एसोसिएशन ऑफ इंडिया मप्र के ईडी डीएन पाठक के मुताबिक 12% सोयाबीन की फसल बीमारियों और बीच में काफी दिन तक बारिश न होने के कारण खराब हो गई थी। रही-सही कसर इस बारिश ने पूरी कर दी। फिर भी उम्मीद बाकी है। यदि अगले दो से तीन दिनों में खेतों में पानी निकल जाए और धूप भी निकल आए तो नुकसान कुछ कम हो सकता है, फसल बच जाएगी।
अगस्त में ही प्रदेश की सामान्य बारिश का कोटा पूरा, सितंबर सूखा रहा तो भी चलेगा
पिछले दाे-तीन दिन की मूसलाधार बारिश ने प्रदेश में सीजन की सामान्य बारिश की जरूरत पूरी कर दी है। यहां सीजन की सामान्य बारिश का कोटा 37.62 इंच है। जबकि रविवार सुबह तक 34.31 इंच बारिश हाे चुकी है। जो 8% कम का आंकड़ा है, उसे मौसम विज्ञान सामान्य कैटेगिरी ही मानता है। इस हिसाब से यदि सितंबर में बारिश न भी हो, तो भी यह सामान्य बारिश ही कही जाएगी। मौसम विज्ञान में बारिश के प्रतिशत का फार्मूला अलग है। अब तक हुई बारिश में सीजन की सामान्य काे बारिश के आंकड़े काे घटाएंगे। इसके बाद उसे सीजन की सामान्य बारिश से विभाजित कर उसका प्रतिशत निकालेंगे ताे यह -8% हाे रहा है। यह माइनस 19 और प्लस 19 के दायरे में आता है। तय मापदंड के मुताबिक 19 फीसदी कम या ज्यादा काे सामान्य बारिश की श्रेणी में ही रखा जाता है। इसीलिए प्रदेश में सीजन की सामान्य बारिश हाे चुकी है। अब तक प्रदेश के 22 जिलाें में सामान्य से ज्यादा बारिश हाे चुकी है।
जिस सिस्टम ने अभी बारिश कराई, वो अब आगे बढ़ा, आज से राहत रहेगी
- अभी की बारिश बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र के स्ट्रांग होने से हुई। यह क्षेत्र जहां केंद्रित रहता है, उसके दक्षिण पश्चिमी हिस्से में बारिश हाेती है।
- अब यह सिस्टम राजस्थान की ओर चला गया है। रविवार काे भी ज्यादातर इलाकाें में भारी बारिश नहीं हुई। अगले 24 घंटे में भारी बारिश से राहत मिलेगी।