देवास/हाटपिपल्या। डोलग्यारस पर शनिवार शाम नृसिंह घाट पर भमोरी नदी में भगवान नृसिंह की साढ़े सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा तीनों बार तैर गई। कुल तीन बार उसे तैरने के लिए जल सतह पर छोड़ा था। प्रतिमा के तैरते ही भगवान नृसिंह के जयकारे लगाए गए। मान्यता अनुसार प्रतिमा तैरने का अर्थ है कि आने वाला साल सुख-समृद्धि लाएगा।
कोरोना काल के कारण इस बार केवल 10 लोगों को कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति मिली थी। हालांकि 20-25 भक्त नदी के तट पर पहुंच गए थे। ये सभी नृसिंह मंदिर से नदी में पहुंचे, जहां पुजारियों ने स्नान कर नदी की पूजा की। उसके बाद पंडित विष्णुदास वैष्णव ने दीपक जलाकर नदी में छोड़ा। प्रतिमा को इस बार पं. वैष्णव द्वारा मंत्रोच्चार के साथ तीन बार तैराया गया, तीनों बार सफलता मिली।
गतवर्ष 15 हजार से ज्यादा भक्त यहां पहुंचे थे।
- पहली बार -20 सेकंड
- दूसरी बार-15 सेकंड
- तीसरी बार-20 सेकंड तक
यह है मान्यता...
किवंदती के अनुसार, प्रतिवर्ष डोल ग्यारस पर प्रतिमा को तीन बार पानी में तैराया जाता है। जितनी बार तैर जाती है उससे आने वाले वर्ष का आंकलन किया जाता है। तीनों बार प्रतिमा तैरने पर आने वाला साल खुशहाल रहने का अनुमान लगाया गया।
116 साल पुराना है इतिहास
बुजुर्गों के मुताबिक, प्रतिमा का इतिहास 116 पुराना है। नृसिंह पर्वत की चारोधाम की तीर्थ यात्रा करवाने के बाद बागली रियासत के पंडित बिहारीदास वैष्णव ने पीपल्या गढ़ी स्थान पर प्रतिमा को प्रतिष्ठित किया था। 1902 से प्रतिवर्ष भादौ शुक्ल एकादशी पर प्रतिमा तैराई जाती है।
2005 में एक बार तैरी थी प्रतिमा
वर्ष 2011, 12 में प्रतिमा दो बार तैरी थी। वर्ष 2016, 17,18 और 19 में भी प्रतिमा तीन बार तैरी थी। इसके पूर्व वर्ष 2005 में प्रतिमा एक ही बार तैरी थी।