10 साल पहले पांच फीसदी था राज्यों में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन खर्च, अब 7 से 12 फीसदी तक पहुंचा

Posted By: Himmat Jaithwar
8/29/2020

इंदौर। महाराष्ट्र सरकार की ओर से इस साल प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी में तीन फीसदी की कमी करने के बाद अन्य राज्यों के डेवलपर भी इसमें कमी की मांग करने लगे हैं। डेवलपर्स का कहना है कि इस चुनौती भरे समय में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन की लागत में कमी रियल एस्टेट सेक्टर को संजीवनी दे सकती है। आंकड़े बताते हैं कि 2010 में ज्यादातर राज्यों में स्टाम्प ड्यूटी 5 फीसदी के करीब थी। इस पर कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लगता था। लेकिन बीते 10 वर्षों में ज्यादातर राज्यों ने या तो स्टाम्प ड्यूटी में इजाफा कर दिया है या फिर इसमें अन्य खर्चे जोड़ दिए हैं। इससे अधिकतर राज्यों में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन का खर्च 7 फीसदी से लेकर 12 फीसदी तक पहुंच गया ​है।
क्रेडाई के नेशनल प्रेसिडेंट सतीश मागर कहते हैं कि स्टाम्प ड्यूटी कम करना एक तरह से इंसेटिव देने जैसा है। इससे लोग प्रॉपर्टी खरीदने के लिए प्रोत्साहित होंगे। स्टाम्प ड्यूटी कम करने से ज्यादा लोग प्रॉपर्टी खरीदेंगे तो सरकार को रेवेन्यू लॉस भी नहीं होगा।

जेएनएनयूआरएम रिफॉर्म में घटाई थी दरें मगर पिछले दरवाजे से फिर बढ़ा दीं
जेएनएनयूआरएम में रियल एस्टेट को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को स्टाम्प ड्यूटी 5 प्रतिशत तक लाने की शर्त रखी गई थी। वर्ष 2010 तक राज्यों ने ड्यूटी घटाकर 5 प्रतिशत तक कर भी दी। इससे रियल एस्टेट में बूम की स्थिति बन गई। लेकिन रेवेन्यू लॉस से बचने के लिए कई राज्यों ने सर्किल रेट या कलेक्टर गाइडलाइन में बढ़ोतरी कर दी। इसके बाद रजिस्ट्रेशन फीस समेत कई अन्य चार्ज लगाकर स्टाम्प ड्यूटी 10 प्रतिशत तक कर दी। मप्र में तो यह सबसे ज्यादा 12.5 प्रतिशत हो गई है।

रियल एस्टेट सेक्टर को इंसेटिव देना क्यों जरूरी

रियल एस्टेट सेक्टर कृषि के बाद सबसे ज्यादा 10-12 करोड़ रोजगार देता है। जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 14 प्रतिशत तक है। सीमेंट, स्टील समेत करीब 269 से ज्यादा सहायक उद्योग इसी पर निर्भर हैं। यदि स्टाम्प ड्यूटी में छूट मिलती है तो लोग अपने फ्लैट्स आदि का तत्काल रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। इससे बिल्डरों को प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए पैसा मिल सकेगा। काम शुरू होने से सरकारों को कर्मकार शुल्क, जीएसटी समेत कई तरह से आय हो सकेगी और राजस्व नुकसान नहीं होगा।

ड्यूटी कलेक्शन में कमी के बाद भी उठाया कदम

कोरोना के कारण महाराष्ट्र मे स्टाम्प ड्यूटी कलेक्शन में अप्रेल से जुलाई तक 6838 करोड़ रुपए की कमी आई है। इसी तरह मध्यप्रदेश में भी 900 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। शेष सभी राज्यों की भी यही स्थिति है। इसके बाद भी महाराष्ट्र ने छूट देने का निर्णय लिया है। जबकि मध्यप्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग के मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कि राज्य के पास आय के दूसरे स्रोत कम हैं। कोराेना में सरकार को भी नुकसान हुआ है, फिर भी दरों पर विचार करेंगे।
टैक्स की दर कम हाेने से खरीदार प्रोत्साहित होंगे

सिर्फ स्टाम्प ड्यूटी ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार को जीएसटी में भी कटौती करनी चाहिए। इससे आवास की लागत कम होगी और खरीदार प्रोत्साहित होंगे।
-डॉ. निरंजन हीरानंदानी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, नारेडको
टैक्स की ऊंची दरें खरीदारों को हतोत्साहित करती हैं। दरें कम रहेंगी तो लोग ज्यादा खरीदारी करेंगे। इससे सरकारों काे नुकसान भी नहीं होगा और अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी होगी।
-सतीश मागर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, क्रेडाई



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