जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। 65 साल के आबे लंबे समय से पेट से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे हैं। वे इस महीने ही दो बार (17 और 24 अगस्त) अस्पताल जा चुके हैं। इसके बाद से ही उनकी सेहत को लेकर जापान की मीडिया में चर्चा हो रही थी। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, आबे नहीं चाहते कि उनकी सेहत की वजह से सरकार के कामकाज पर असर पड़े। ऐसे में वह शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पद छोड़ने का ऐलान कर सकते हैं।
शिंजो ने इसी महीने प्रधानमंत्री के तौर पर 7 साल 6 महीने का समय पूरा किया है। आबे 2803 दिनों से इस पद पर बने हुए हैं। इससे पहले यह रिकार्ड उनके चाचा और देश के पूर्व प्रधानमंत्री इसाकु सैतो के नाम था। शिंजो लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी(एलडीपी) पार्टी के सदस्य हैं।
50 दिनों से किसी कार्यक्रम में नजर नहीं आए शिंजो आबे
देश में कोरोना महामारी के फैलने के बाद से ही यह मांग हो रही है कि आबे देश के लोगों को इससे निपटने के लिए किए गए कामों के बारे में बताएं। इसके बावजूद आबे बीते 50 दिनों से किसी कार्यक्रम में नजर नहीं आए हैं। 18 जून को यह जानकारी दी गई थी कि वे अपने घर पर मीडिया से बातचीत करेंगे। हालांकि, वे ऐसा नहीं कर पाए थे। 24 अगस्त को कैबिनेट सेक्रेटरी योशिहिडे सुगा ने शिंजो की सेहत को लेकर चल रही चर्चाओं को खारिज किया था। उन्होंने कहा था कि आबे बिल्कुल ठीक हैं और रूटीन जांच के लिए हॉस्पिटल आ रहे हैं।
आंत से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे हैं शिंजो
शिंजो को लंबे समय से आंत से जुड़ी बीमारी अल्सरट्रेटिव कोलाइटिस है। इसमें आंत में सूजन जैसी समस्याएं होती हैं। इसी बीमारी की वजह से शिंजो को 2007 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के एक साल बाद इस्तीफा देना पड़ा था। अब वे नियमित इलाज करके अपनी इस बीमारी को कंट्रोल में रखते हैं। पहले इस बीमारी के लिए सही इलाज मौजूद नहीं था। इस बीमारी में सही ढंग से खाना न खाने और तनाव लेने से स्थिति बिगड़ने की संभावना बनी रहती है।
देश में घट रही है शिंजो की लोकप्रियता: सर्वे
जापान की क्योदो न्यूज एजेंसी के सर्वे के मुताबिक, देश में शिंजो की लोकप्रियता के पहले के मुकाबले कम हुई है। रविवार को सार्वजनिक हुए इस सर्वे में कहा गया है कि देश में 58.4% लोग कोरोना महामारी से निपटने के सरकार के तरीके से नाखुश हैं। मौजूदा कैबिनेट की अप्रूवल रेटिंग 36% है, जो कि शिंजो के 2012 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से सबसे कम है। हालांकि, देश में महामारी दूसरे देशों की तुलना में काफी हद तक काबू में है। यहां अब तक 62 हजार से ज्यादा संक्रमित मिले हैं और 1200 मौतें हुई हैं, लेकिन लोग सरकार की ओर से दोबारा इस्तेमाल में लाए जाने वाले मास्क बांटने जैसी योजनाओं के पक्ष में नहीं हैं।