सरकार ने सस्ती बिजली दी, कंपनी वसूली में लगी; घाटे की भरपाई के लिए औसत बिल दिए, रीडिंग छुपाने मीटर के फोटो गायब किए

Posted By: Himmat Jaithwar
8/27/2020

बिजली कंपनी ने जून के बिजली बिल पर मीटर के फोटो ही नहीं छापे। जबकि मीटर रीडर्स ने पूरे शहर में तीन लाख मीटर में रीडिंग के फोटो लिए थे। इसके पीछे अघोषित रूप से कारण यह बताया जा रहा है कि राजस्व बढ़ाने के लिए आकलित खपत के बिल जारी कर दिए गए हैं। यह बात इससे भी साबित हो रही है कि जून के बिल ठीक कराने हर जोन पर रोजाना सौ से दो सौ लोग पहुंच रहे हैं। 50 से 60 लोगों के बिल ठीक भी हो रहे हैं। दरअसल, 150 यूनिट तक 350 रुपए बिल, कोरोना काल में कमजोर वर्ग को 50 से 100 रुपए के बिल जारी करने पर कंपनी को नुकसान हो रहा है।

सभी जोन के सहायक इंजीनियर, कार्यपालन यंत्री को संवाद के लिए सोशल मीडिया पर जोड़ रखा है। इसमें रोजाना वसूली के टारगेट और उसे पूरा करने की जानकारी दी जा रही है। बारिश के दिनों में भी उपभोक्ताओं को मई, जून के जैसे ज्यादा खपत के बिल भेजे जा रहे हैं। एक बेडरूम, हाॅल, किचन का फ्लैट हो या 350 वर्ग फीट की दुकान, सभी को चौंकाने वाली राशि के बिल भेजे जा रहे हैं।

दफ्तर में पंखा व ट्यूबलाइट दो माह से 8-8 हजार का बिल
केस-1 कलेक्टर ऑफिस रोड पर पीके जैन का दफ्तर सुबह 11 बजे खुलता और शाम सात बजे बंद हो जाता है। कोरोना काल में एसी चलाने से लोग बच रहे हैं। पंखे और एक ट्यूबलाइट की खपत 24 घंटे बिजली चलाने पर भी एक यूनिट नहीं होती। आठ-आठ हजार रुपए का बिल पिछले दो महीने से भेजा जा रहा है। जितनी खपत बिल में दिखाई उतनी खपत मीटर में भी दर्ज नहीं हुई। हाथीपाला के समीप जोन कार्यालय का स्टाफ बिल नहीं चुकाने पर बिजली काटने का धमकी देता है।

तीन महीने से बिल पर एक जैसी रीडिंग
केस-2 विज्ञान नगर स्थित मल्टी में रहने वाले शर्मा दंपती कोरोना काल में अधिकांश समय घर पर नहीं रहे। उनके यहां पिछले तीन महीनों से रीडिंग के हिसाब से बिल नहीं भेजा गया। महीने का चार से छह सौ रुपए बिल आता था, जो अब 1500 से ज्यादा आ रहा है। बिल में रीडिंग भी एक जैसी ही लिखकर आ रही है।

150 यूनिट की योजना... दिसंबर में 1 लाख को फायदा, अब 10 हजार को ही
सामान्य वर्ग के लिए ऊर्जा विभाग ने पहली बार योजना जारी की थी। इसमें 150 यूनिट खपत होने तक 350 रुपए का बिल आता था। दिसंबर से मार्च तक की स्थिति में शहर में एक लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं को इसका लाभ मिल रहा था। जून में यह आंकड़ा बहुत कम हो गया। 8 से 10 हजार को ही सस्ती बिजली के बिल पहुंचे।

असल दिक्कत... शासन से नहीं मिल रहा नियमित पैसा, लोगों से भरपाई
2019 में केवल 200 रुपए में बिजली देने की योजना आई थी। इससे ऊपर का पैसा सरकार ने देना तय किया था। 1500 करोड़ रुपए महीने का बोझ कंपनी पर आया, लेकिन पैसा नियमित नहीं मिला। इसके बाद कांग्रेस सरकार आई तो 350 रुपए की योजना आई। इसका भी पैसा कंपनी को नहीं मिला। अब फिर नई सरकार ने कोरोना काल में 50, 100 रुपए के बिल की योजना जारी कर दी। तंगहाल सरकार से कंपनी को फिर पैसा नहीं मिला। ऊर्जा विभाग के आला अधिकारी, कंपनी प्रबंधन अघोषित रूप से इसकी भरपाई सामान्य उपभोक्ता से करने के लिए कह चुका है। इसी वजह से पिछले तीन महीने से दो से तीन गुना ज्यादा राशि के बिल पहुंच रहे हैं।

दर निर्धारण नहीं होने का भी खामियाजा
सामान्य उपभोक्ता को इसलिए भी ज्यादा बिल के रूप में झटका दिया जा रहा है कि इस वर्ष कोरोना के चलते बिजली दरों का निर्धारण नहीं हो पाया। कंपनी ने बिजली महंगी करने की मांग आयोग से की थी। दरों में इजाफा नहीं होने से भी कंपनी का राजस्व नहीं बढ़ सका। इस कारण भी विभिन्न योजनाओं में जो कम बिल के रूप में राहत दी है, अब उसकी भरपाई की जा रही है।



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