लोकायुक्त ने बुधवार काे पोलोग्राउंड स्थित बिजली कंपनी के दफ्तर में सहायक इंजीनियर मोहन सिंह सिकरवार को 40 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा है। वह बंद ट्रांसफार्मर को चालू करने के एवज में रिश्वत मांगी थी। पीड़ित रिश्वत देने पहुंचा तो सहायक इंजीनियर बोला- समझा करो... इतना पैसा मैं खुद नहीं रखूंगा। मुझे भी कार्यपालन यंत्री (डीई), जूनियर इंजीनियर को देना होता है। मिली जानकारी के मुताबिक एबी रोड स्थित कृष्णा पैराडाइज मल्टी का ट्रांसफार्मर बंद पड़ा था। राजेंद्र राठौर नामक मल्टी के संचालक ने ट्रांसफार्मर को बिजली लाइन से जोड़ने के लिए आवेदन दिया था।
सिकरवार के पास यह काम लंबित था। वह आवेदक से 40 हजार रु. लिए बिना काम करने को तैयार नहीं था। इस पर राठौर ने लोकायुक्त एसपी सव्यसाची सराफ को समस्या बताई। एसपी ने डीएसपी प्रवीण सिंह बघेल सहित अन्य अधिकारियों की टीम गठित की। बुधवार को शिकायतकर्ता ने उसके दफ्तर में रिश्वत दी। इसके बाद टीम ने दस्तक दी तो सिकरवार का चेहरा पीला पड़ गया। वह कहने लगा कि साहब, मैं तो बहुत सीधा हूं। यह पैसे मैंने अपने लिए नहीं लिए। बड़े अफसरों को देना होते हैैं। उसने रंगे लगे नोटों को हाथ लगाने के बजाय टेबल के दराज में रखवा लिए।
लोड के हिसाब से तय है रिश्वत की राशि
बिजली कंपनी में भ्रष्टाचार की दर्जनों शिकायतें सामने आ चुकी हैं। विभागीय सूत्रों का कहना है कि हर प्रकार के लोड की रिश्वत राशि अलग होती है। 5 एचपी तक के लोड के लिए कुल 7000 रु. देने पड़ते हैं। 10 एचपी तक के लोड के लिए 10,000 रु. तक की डिमांड रहती है। 20 एचपी का लोड मंजूर करने के लिए 50,000 रुपए तक रिश्वत ली जाती है। 100 एचपी से ज्यादा का लोड हो तो फाइल अधीक्षण यंत्री कार्यालय से मंजूर होती है।
सिकरवार के सीनियर ने कहा- मेरा लेना-देना नहीं
ऊपर तक घूस के पैसे बांटने की बात पर सिकरवार के कार्यपालन यंत्री भजन कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा- मेरा कोई लेना-देना नहीं है। सिकरवार झूठ बोल रहा है। मैं 10 दिन पहले ही इस पद पर आया हूं।