2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद देश की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों में अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई थी। पहली पार्टी थी भाजपा, जिसके अध्यक्ष अमित शाह लोकसभा चुनाव जीत चुके थे और गृह मंत्री बन गए थे। तब पार्टी को लगा था कि एक व्यक्ति दो जिम्मेदारियां नहीं संभाल सकता। दूसरी पार्टी थी कांग्रेस। क्योंकि, लोकसभा चुनाव में बुरी हार के बाद राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश कर दी थी।
उसके बाद हुआ ये कि जेपी नड्डा के रूप में भाजपा ने तो अपना नया अध्यक्ष चुन लिया। लेकिन, राहुल के इस्तीफे के बाद कांग्रेस को दोबारा सोनिया गांधी की शरण में जाना पड़ा। पिछले साल अगस्त में जब सोनिया गांधी फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनीं, तो सवाल यही उठा कि क्या कांग्रेस में गांधी परिवार के अलावा किसी और को अध्यक्ष नहीं बनाया जा सकता। कांग्रेस में अक्सर गैर गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग उठती रही है।
एक बार फिर से कांग्रेस में बदलाव की मांग तेज हो गई है। खुद प्रियंका गांधी ने भी एक किताब को दिए इंटरव्यू में कहा है कि अब किसी गैर-गांधी को पार्टी का नेतृत्व संभालना चाहिए।
आजादी के बाद सबसे ज्यादा समय तक गांधी परिवार से ही अध्यक्ष ही रहे
1885 में बनी कांग्रेस पार्टी के अब तक 88 अध्यक्ष रह चुके हैं। इनमें से 18 अध्यक्ष आजादी के बाद बने हैं। आजादी के बाद इन 73 सालों में से 38 साल नेहरू-गांधी परिवार ही पार्टी का अध्यक्ष रहा है। जबकि, 35 साल गैर नेहरू-गांधी परिवार ने कमान संभाली है।
आजादी के बाद 1951 से लेकर 1954 तक जवाहर लाल नेहरू अध्यक्ष रहे। उनके बाद 1959 में इंदिरा गांधी अध्यक्ष बनीं। फिर 1978 से 1984 तक इंदिरा दोबारा अध्यक्ष रहीं। इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1985 से 1991 तक राजीव गांधी अध्यक्ष बने। राजीव गांधी की मौत के 7 साल बाद 1998 में सोनिया गांधी अध्यक्ष बनीं, जो 2017 तक इस पर रहीं। उसके बाद राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद अगस्त 2019 से सोनिया गांधी दोबारा अध्यक्ष हैं। राहुल गांधी दिसंबर 2017 से अगस्त 2019 तक अध्यक्ष रहे थे।