मप्र के भीतर निजी क्षेत्र में काम कर रहे ऐसे 5 लाख वर्कर जो कोरोना काल में अपनी नौकरी गवां चुके हैं, उनके लिए राहत की खबर है। केंद्र सरकार ऐसे लोगों को डेढ़ महीने की सैलरी (30 हजार रुपए अधिकतम) राहत के रूप में देने जा रही है। इसकी शुरुआत इसी माह में हो जाएगी। इसमें शर्त यह रहेगी कि कर्मचारी का वेतन 21 हजार रुपए से ज्यादा न रहा हो।
फिलहाल इस योजना के लाभ के लिए 24 मार्च से 31 दिसंबर 2020 का समय तय किया गया है। प्रदेश में यह लाभ केंद्र की अटल स्कीम के तहत कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के जरिए दिलाया जाएगा। निजी क्षेत्र के वर्कर को इस निगम का सदस्य होना आवश्यक होगा। इस दायरे में मंडीदीप, पीथमपुर, मालनपुर समेत प्रदेशभर में औद्योगिक क्षेत्र में काम कर रहे कर्मचारी आएंगे। कर्मचारियों को देय राशि में उनके पिछले तीन महीने के वेतन का औसत 50 प्रतिशत तक मिलेगा।केंद्र की इस योजना पर 1500 करोड़ रुपए का खर्च होने का अनुमान है।
कौन आएगा इस परिधि में
निजी क्षेत्र की ऐसी फैक्ट्रियां जिनमें 20 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। इसमें उन्हें छूट होगी जो अपने कर्मचारियों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं और अन्य लाभ देने की जिम्मेदारी स्वयं करते हैं।
एक्सपर्ट की राय
केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त कर्मचारी राज्य बीमा निगम में नियुक्त सलाहकार उन्हें छूट मिलेगी जो उद्योग कर्मचारियों की स्वास्थ्य सुविधाओं का खर्च उठाते हैं ।
सवाल -नौकरी गवां चुके लोगों को यह राशि केंद्र कहां से देगा। यह राशि ईपीएफ अंश की तो नहीं होगी?
जवाब - नहीं, इसका ईपीएफ से कटने वाली राशि से कोई लेना देना नहीं है। यह राशि उद्योग मालिकों से जमा करवाई जाती है। यह उद्योग में काम कर रहे वर्करों की छह माह की सैलरी के बराबर होती है। इसी जमा राशि में से यह राशि कर्मचारियों को दी जाएगी।
सवाल - कौन से उद्योग इस श्रेणी में आएंगे?
जवाब - वैसे यह योजना सभी निजी क्षेत्र के उद्योगों पर लागू होती है, लेकिन ऐसे उद्योग जिन्होंने अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य संबंधी और अन्य सुविधाएं देने का विकल्प ले रखा है। वे इस दायरे में नहीं आएंगे।
सवाल - कर्मचारियों में बंटने वाली राशि ज्यादा है?
जवाब - स्थानीय स्तर पर प्रदेश सरकार सिर्फ क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में काम करती है। केंद्र सरकार की यह योजना है,यह राशि वहीं से आएगी।