इंदैर की 119 साल पुरानी बड़ा गणपति की प्रतिमा के श्रृंगार में 15 दिन लगते हैं। बड़ा गणपति मंदिर में श्रीगणेश की बैठी हुई मुद्रा में 25 फीट ऊंची प्रतिमा विराजित है। माना जाता है कि एशिया में यह सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा है। इस प्रतिमा को बनाने में करीब तीन साल का समय लगा था और इसका निर्माण कार्य 17 जनवरी 1901 को पूरा हुआ। भगवान की 25 फीट की मूर्ति को सवा मन घी और सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है। इंदौर के अतिप्राचीन मंदिर बड़ा गणपति का इतिहास एक स्वप्न से जुड़ा हुआ है।
मंदिर ट्रस्टी के पं. धनेश्वर दाधीच ने बताया कि मंदिर में 10 दिनी गणेशोत्सव की धूम है। उन्होंने मंदिर के आधारशिला के पीछे की रोचक कहानी बताई। दाधीच के अनुसार गणेश जी के अनन्य भक्त स्व. पं. नारायण दाधीच ने को एक स्वप्न आया। भगवान गणेश ने नारायण को ऐसी ही मूर्ति के रूप में दर्शन दिए थे। स्वप्न की घटना के बाद ही इस भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। भगवान गणेश की 25 फीट ऊंची प्रतिमा के रूप में दर्शन देते हैं। प्रतिमा के निर्माण में सभी तीर्थ नदियों के जल का उपयोग किया गया है। मूर्ति 4 फीट ऊंचे चबूतरे पर विराजित है।
कोरोना काल में भगवान बाहर से ही भक्तों को दर्शन दे रहे हैं।
कई तीर्थ का जल और धातु से बनी प्रतिमा
प्रतिमा को बनाने में तीर्थ स्थानों का जल, काशी, अयोध्या, अवंतिका और मथुरा की मिट्टी के साथ घुड़साल, हाथीखाना, गौशाला की मिट्टी और रत्नों में हीरा पन्ना, पुखराज, मोती, माणिक के साथ ईंट, बालू, चूना और मेथी के दाने के मसाले का इस्तेमाल किया गया है। इस प्रतिमा को बनाने के लिए अलग-अलग धातुओं का प्रयोग भी किया गया है जैसे- मुख के लिए सोने व चांदी, कान, हाथ और सूंड के लिए तांबा और पैरों के लिए लोहे के सरियों का इस्तेमाल हुआ है।
श्रृंगार में करीब 15 दिन का समय लगता है
मंदिर के पुजारी पंडित प्रमोद दाधीच, राकेश दाधीच, राजेश दाधिच ने बताया कि भगवान गणेश जी के श्रृंगार में करीब 15 दिन का समय लगता है। वर्ष में चार बार यह चोला चढ़ाया जाता है। जिसमें भाद्रपद सुदी चतुर्थी, कार्तिक बदी चतुर्थी, माघ बदी चतुर्थी और बैशाख सुदी चतुर्थी पर चोला और सुंदर वस्त्रों से श्रृंगार किया जाता है। चोले में सवा मन घी और सिंदूर का उपयोग किया जाता है। मंदिर के रख-रखाव की जिम्मेदारी नारायण दाधीच की तीसरी पीढ़ी के पं. धनेश्वर दाधीच देख रहे हैं।
पूरे दस दिन होती है गजानन की विशेष पूजा।
कोरोना के कारण उत्सव की चमक फीकी
श्रद्धालु नीलम सिंघल का कहना है कि बड़ा गणपति मंदिर में पूरे शहर के लोग इस अलौकिक प्रतिमा के दर्शन करने यूं तो सालभर ही आते हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार लोगों को बाहर से ही दर्शन करना पड़ रहे हैं, जिससे गणेश उत्सव इस साल फीका नजर आ रहा है। भक्तों के कल्याण के लिए मंदिर में बालाजी का मंदिर भी बना है। सभी इनके दर्शन करके भी अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।