भोपाल-इंदौर में रिकॉर्डतोड़ बारिश: राजधानी में 8.5 इंच, 14 साल बाद अगस्त में एक दिन में सबसे ज्यादा बारिश

Posted By: Himmat Jaithwar
8/23/2020

21 और 22 अगस्त (गणेश चतुर्थी) का दिन प्रदेश के लिए यादगार बन गया। भोपाल में 24 घंटे में साढ़े 8 इंच बारिश हुई, जाे 14 साल बाद अगस्त में एक दिन में हुई सर्वाधिक बारिश है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2006 में 14 अगस्त काे 24 घंटे में 11.66 इंच बारिश हुई थी। वहीं इंदौर में 100 साल में पहली बार एक दिन में 12.5 इंच पानी बरसा। इसके अलावा सीहोर में 12.64 इंच और रायसेन के गौहरगंज में 10.25 इंच बारिश दर्ज गई गई। सीजन में पहला मौका है जब प्रदेश के सभी 52 जिलों में बारिश हुई है।

भाेपाल के बड़ा तालाब के कैचमेंट एरिया (सीहाेर) में भारी बारिश के कारण बड़े तालाब में रात साढ़े 11.30 बजे से लेकर सुबह 8 बजे तक 3.2 फीट पानी भर गया। इससे तालाब का जलस्तर 1663.30 से बढ़कर 1666.50 हाे गया। यह तालाब के फुल टैंक लेवल 1666.80 से महज 0.30 फीट कम था। वहीं, कैचमेंट में हाे रही बारिश के कारण तालाब का जलस्तर लगातार बढ़ता रहा। इसके चलते प्रशासन ने सुबह 8.30 बजे भदभदा डैम का एक गेट खाेल दिया। तालाब के कैचमेंट में हुई बारिश के पानी का बहाव तेज हाेने के कारण शाम तक प्रशासन काे एक-एक कर डैम के 11 में 10 गेट खाेलने पड़े। इतना ही नहीं भदभदा के गेट खुलने के बाद कलियासाेत डैम भी लबालब हाे गया। इसके चलते जल संसाधन अमले काे आनन-फानन में कलियासाेत डेम के 7 गेट खाेलने पड़े। इसी तरह केरवा डेम के सभी 8 गेट शनिवार सुबह डैम का जलस्तर फुल टैंक लेवल पर पहुंचने के बाद खाेल दिए गए।

एयरपोर्ट के रनवे पर पानी भरा, इंडिगो की सभी पांच फ्लाइट कैंसिल हुईं

भोपाल राजाभोज एयरपोर्ट पर रनवे पर पानी भर जाने से इंडिगो की सभी पांच फ्लाइट्स मुंबई-भोपाल-मुंबई, बेंगलुरू-भोपाल-बेंगलुरू, हैदराबाद-भोपाल-हैदराबाद, दिल्ली-भोपाल-दिल्ली आवागमन करने वाली दो फ्लाइट्स कैंसिल करनी पड़ी। शनिवार देर शाम तक रन-वे से पानी निकाले जाने का काम चलता रहा।

अरब सागर से मिली नमी ने कराई तेज बारिश
(एक्सपर्ट व्यूज : एके शुक्ला, वरिष्ठ माैसम वैज्ञानिक)

1. अति कम दबाव के क्षेत्र ने अरब सागर की से मिली नमी भाेपाल, सीहाेर, रायसेन, इंदाैर के पास बारिश के रुप में उड़ेल दी, माैसम विज्ञान में यह एक्सट्रीमली रैनफाल कहलाती है।

2. 19 अगस्त काे बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का जाे क्षेत्र बना था। यह अति कम दबाव के क्षेत्र के रुप में बदलकर सागर- दमाेह के पास केंद्रित था। यह वहां दाे दिन रहा, इसे अरब सागर से एनर्जी के रुप में नमी मिल रही थी ताे यह और प्रचंड हाे गया। इस सीजन में इससे पहले ऐसे जितने भी सिस्टम आए वे रुके ही नहीं। उनमें ठहराव नहीं था। इसीलिए इस सिस्टम से भाेपाल समेत आसपास के इलाकाें में अति भारी बारिश हुई।

इसे माैसम विज्ञान में एक्सट्रीमली रैनफाल कहा जाता है। 104.5 से 204.4 वेरी हैवी रैनफाल यानी भारी बर्षा कहते हैं 204.5 मिमी से ज्यादा बारिश हाे ताे एक दाे माैके ही आते हैं, जब ऐसी बारिश हाेती है। मानसून ट्रफ लाइन 2 किमी की ऊंचाई तक थी, जिसने इस सिस्टम के लिए उत्प्रेरक का काम किया।

भाेपाल में सीजन का काेटा पूरा हाेने के लिए अब सिर्फ 6.74 इंच बारिश की जरूरत

माैसम वैज्ञानिक पीके साहा ने बताया कि भाेपाल में शनिवार सुबह तक 36.90 इंच बारिश हाे गई। यह अब तक की सामान्य बारिश से 5.49 इंच ज्यादा है। भाेपाल में सीजन की बारिश का काेटा 43.64 पूरा हाेने के लिए अब सिर्फ 6.74 इंच बारिश की ही जरूरत है।

खेती पर क्या असर

धान की फसल काे नहीं लेकिन साेयाबीन, मक्का, उड़द काे अति भारी बारिश से नुकसान हाेगा। सबसे ज्यादा क्षति दलहनी फसलाें काे हाेगी। खेताें में पानी भर गया है। किसानाें काे इसकी निकासी करनी पड़ेगी।'

- याेगेश द्विवेदी, सीईओ, सेंट्रल इंडिया फार्मर्स कंसाेर्सियम



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