मप्र : वूमेंस डे पर महिला अतिथि विद्वान ने कराया मुंडन

Posted By: Himmat Jaithwar
3/9/2020

भोपाल। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जहां एक तरफ दुनिया भर में महिलाओं के सम्मान की बात हो रही थी तो वहीं मध्य प्रदेश में एक अलग ही तस्वीर देखने को मिली। महिला दिवस पर राजधानी भोपाल में एक महिला अतिथि विद्वान अपना मुंडन करवाती हुईं नजर आईं।

भोपाल के शाहजहानी पार्क में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर एक महिला अतिथि विद्वान ने अपना मुंडन करवा लिया। इसके साथ ही कुछ पुरुष अतिथि विद्वानों ने भी विरोध स्वरूप मुंडन करवाया। दरअसल, अतिथि विद्वान बीते 90 दिनों से नियमितिकरण की मांग को लेकर भोपाल में धरने पर बैठे हैं।

इनका आरोप है कि बार-बार सरकार से गुहार लगाने के बावजूद इनकी मांग को पूरा नहीं किया जा रहा है। इसके चलते, महिला दिवस पर महिला अतिथि विद्वान डॉ. नीमा सिंह समेत 10 पुरुष अतिथि विद्वानों ने अपना मुंडन कराया। इस दौरान पंडाल में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी अतिथि विद्वान मौजूद थे।

बता दें कि नीमा सिंह से पहले 2 मार्च को लक्सरी दास नाम की महिला अतिथि विद्वान ने मुंडन कराया था। वहीं पिछले महीने की 19 तारीख को डॉक्टर शाहीन खान ने मांग नहीं माने जाने के विरोध में मुंडन कराया था।

अतिथि विद्वान नियमितिकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संयोजक डॉ. देवराज सिंह का कहना है कि 90 दिनों के धरने के बाद भी कमलनाथ सरकार नहीं जागी है। इसलिए आने वाले दिनों में प्रदर्शन को आगे बढ़ाते हुए अब दिल्ली कूच किया जाएगा और भोपाल के शाहजहानी पार्क से निकलकर अतिथि विद्वानों का धरना जंतर-मंतर पर शुरू करने की तैयारी की जाएगी।

बीजेपी ने साधा कांग्रेस पर निशाना
वहीं महिला दिवस पर महिला अतिथि विद्वानों के केश त्यागने पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पूर्व मंत्री विश्वास सारंग ने कांग्रेस से पूछा है कि जिस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद एक महिला हैं, उसी कांग्रेस की सरकार में बीते 90 दिनों से कई महिला अतिथि विद्वान धरने पर बैठी हैं। इनमें से कई महिला अतिथि विद्वानों ने अपना मुंडन तक करवा लिया है जो कि हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक एक महिला तभी करवा सकती है, जब उसका सब कुछ खत्म हो जाए।

उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि ऐसे में प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी को भोपाल आकर महिला अतिथि विद्वानों की स्थिति को देखना चाहिए और उनके आंसू पोंछते हुए जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव के वक्त किए गए वादे को पूरा करते हुए अतिथि विद्वानों को नियमित करना चाहिए।



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