सफाई के मामले इंदौर लगातार चौथी बार नंबर-1 बन गया है। अर्बन मिनिस्टर हरदीप पुरी की मौजूदगी में गुरुवार को दिल्ली में ऑनलाइन कार्यक्रम में परिणाम की घोषणा की गई। दूसरे नंबर पर गुजरात का सूरत और तीसरे नंबर महाराष्ट्र का नवी मुंबई है। स्वच्छता सर्वेक्षण-2020 लीग के तीनों क्वार्टर में भी इंदौर अव्वल रहा था। भोपाल में वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व महापौर मालिनी गौड़, कलेक्टर मनीष सिंह, निगमायुक्त प्रतिभा पाल और पूर्व निगमायुक्त आशीष सिंह मौजूद थे। मध्य प्रदेश को कुल 10 अवॉर्ड मिले। इनमें इंदौर के अलावा भोपाल, जबलपुर, बुरहानपुर, रतलाम, उज्जैन, नगर पालिका सिहोरा, नगर परिषद शाहगंज, नगर परिषद कांटाफोड़ और छावनी परिषद महू कैंट शामिल हैं।
इंदौर में साल के पूरे 365 दिन हर समय सफाईकर्मी शहर को स्वच्छ रखने में जुटे रहते हैं।
दूसरे नंबर पर सूरत और फिर नवी मुंबई
इंदौर फिर नं. 1 बन गया है। इसके साथ ही दूसरे नंबर पर सूरत और फिर नवी मुंबई का नाम है। इसके अलावा टॉप -10 में विजयवाड़ा, अहमदाबाद, राजकोट, भोपाल, चंडीगढ़, विशाखापटनम, बड़ोदारा शामिल हैं।
किसने क्या कहा...
संपूर्ण विश्व में इंदौर का गौरव कायम हुआ
कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि इंदौर शहर के जागरुक नागरिक जनप्रतिनिधि, तत्कालीन महापौर, तत्कालीन आयुक्त आशीष सिंह और सफाई कर्मचारियों की मेहनत का नतीजा है, जिससे इंदौर चौथी बार नंबर -1 पर आया है। इंदौर शहर के नागरिकों ने स्वच्छता की अदत को जनआंदोलन के रूप में लेकर इस शहर का मान-सम्मान और गौरव.. संपूर्ण विश्व में कायम किया है।
इंदौर में बारिश हो या ठंड कभी भी सफाई व्यवस्था बंद नहीं होती है।
चौथा अवार्ड जनता को समर्पित
पूर्व महापौर मालिनी गौड का कहना है कि प्रधानमंत्री ने जिस प्रकार अभियान की शुरुआत की थी। हमने उसे मिशन बनाया और एक नहीं, दो नहीं तीन नहीं, चौथी बार नंबर वन आया है... हमारा इंदौर। शहर देश के चार हजार शहरों में नंबर वन आया है। इंदौर की पूरी जनता से धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने हमारा नगर निगम का सहयोग किया और जिस तरह सभी लोग अवेयर हुए और इस जनता की अवेयरनेस के कारण हम आज इस स्थान तक पहुंचे हैं तो यह चौथा अवार्ड जनता को समर्पित करती हूं।
जागरुक नागरिकों की बदौलत है
इंदौर नगर निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल का कहना है कि इंदौर ने तो हर बार ही नंबर वन आना है, इंदौर का जो स्वच्छता का ताज है, वह इंदौर के जागरुक नागरिकों की बदाैलत है। इंदौर की पूरी सफाई की टीम और पूर्व महापौर मालिनी गौड़ और आशीष सिंह की मेहनत का नतीजा है, और हम आगे भी इस परंपरा को बरकरार रखते हुए आगे भी इंदौर नंबर वन आएगा।
लोग खुद ही गाड़ी आते ही कचरा लेकर घरों के बाहर निकल आते हैं।
देश के 4242 शहरों से मुकाबला
स्वच्छ सर्वेक्षण में नगर पालिक निगम इंदौर लगातार चार वर्षों से देश के ‘स्वच्छतम् शहर’ का स्थान प्राप्त कर रहा है। इस बार भी स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 में इंदौर ने 4242 शहरों के बीच अपना पहला स्थान पक्का किया है। स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 के अंतर्गत देश के 4242 शहरों ने भागीदारी की थी, जिसमें शहरों को साफ-सफाई से आगे स्वच्छता को संस्थागत स्वरूप देना और नागरिक सुविधाओं की उपलब्धता को प्रमुखता से शामिल किया गया था।
सर्वेक्षण के प्रमुख घटक, जिनके आधार पर मिले नंबर
इस सर्वेक्षण के प्रमुख घटक अपशिष्ट संग्रहण और परिवहन, प्र-संस्करण एवं निष्पादन, संवहनीय स्वच्छता और नागरिकों की सहभागिता और नवाचार आदि प्रमुख घटकों को शामिल किया गया था। इन घटकों में कुल 6000 अंकों के आधार पर भारत सरकार द्वारा अधिकृत स्वतंत्र संस्था द्वारा मैदानी मूल्यांकन तथा जनता के फीडबैक के आधार पर अंतिम परिणाम प्रकाशित किए गए हैं।
मध्यप्रदेश के 378 शहरों ने अपना बेहतर प्रदर्शन किया
स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 के घटकों में मध्यप्रदेश के 378 शहरों ने अपना बेहतर प्रदर्शन किया। इसमें शहरों में स्वच्छता, साफ-सफाई, आधारभूत संरचनाओं का निर्माण तथा उनका प्रबंधन, ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन और शहरों की स्वच्छता बनाए रखने में नागरिकों का सहयोग प्राप्त करने के प्रयास प्रमुखता से किए गए। इन्हीं प्रयासों के परिणाम स्वरूप खुले में शौच से मुक्त राज्य का गौरव प्राप्त किया और हमारे 234 शहर ओडीएफ+ और 107 शहर ओडीएफ++ के परीक्षण में सफल हुए हैं। इसी क्रम में कचरा मुक्त शहर के मूल्यांकन में राज्य के 18 निकाय स्टार रेटिंग प्राप्त करने में सफल रहे हैं, जो देश में सर्वाधिक शहरों के मामलों में द्वितीय स्थान है। उल्लेखनीय है कि विगत तीन सर्वेक्षणों में भी मध्यप्रदेश के 20 शहर देश के सर्वश्रेष्ठ 100 शहरों में रहे हैं।
सिटीजन फीडबैक: इंदौर के लोगों ने स्वच्छता को न सिर्फ सराहा बल्कि उनके जवाबों के कारण इंदौर फिर नं. 1 बन सका। इसका मतलब कि जो शहर दावा कर रहा है उसकी सच्चाई लोग ही बताएंगे। दूसरे शहरों ने तो खुद को बहुत ही अच्छा और साफ बताया, लेकिन लोगों ने निगेटिव फीडबैक दिया।
वेस्ट रिडक्शन: लोगों ने सिंगल यूज प्लास्टिक बैन किया। डिस्पोजल के स्थान पर बर्तन बैंक और थैलियों के विकल्प में झोला बैंक शुरू किया।
रेवेन्यू कलेक्शन: इंदौर ने कचरा प्रबंधन शुल्क के 40 करोड़ वसूले। यह वह शिखर था, जिसे कोई दूसरा शहर छू भी नहीं सका। यहां तक नं. 2 रहे भोपाल में भी कचरा प्रबंधन शुल्क 15 करोड़ से ज्यादा नहीं बताया गया।