आगामी महीनों में प्रदेश में 27 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस ने हिंदू कार्ड खेलने की पूरी तैयारी कर ली है। इसका ताना-बाना भी कांग्रेस ने बुनना शुरू कर दिया है। अयोध्या में राम मंदिर के लिए हुए भूमिपूजन से पहले पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भगवामय नजर आए। उन्होंने कांग्रेस की परंपराओं को तोड़ते हुए प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में राम दरबार की झांकी सज वाई तो कृष्ण जन्माष्टमी पर अपने घर पर धूमधाम से पूजन किया। इतना ही नहीं 4 अगस्त को तो कमलनाथ ने अपने ट्विटर अकाउंट पर अपनी भगवा कपड़े पहने हुए फोटो लगा दी।
प्रदेश कांग्रेस में आए इस बदलाव को भाजपा नेता पाखंड करार दे रहे हैं। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हितेष वाजपेयी कहते हैं कि कांग्रेस अब उस स्थिति में पहुंच गई है कि उसे समझ ही नहीं आ रहा है कि क्या करें। कमलनाथ दिन में हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। शाम को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में राम दरबार सजाते हैं। वहीं, रात में मौलवियों को खुश करने के लिए उनके साथ बैठक करते हैं। अब तक अल्पसंख्यक राजनीति की नाव पर सवार रही कांग्रेस के इस रुख से लोग अचरज में हैं।
4 अगस्त को अपने घर पर हनुमान चालीसा के बाद भगवान की आरती करते कमलनाथ।
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ से लेकर दिग्विजय सिंह तक राम मंदिर निर्माण का स्वागत कर रहे हैं। प्रदेश की सत्ता में वापसी का ख्वाब देख रही कांग्रेस को यह लगने लगा है कि आस्था से जुड़े इस मसले पर आमजन की भावनाओं के विपरीत जाने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। दूसरी तरफ भाजपा ने विभिन्न माध्यमों के जरिये मंदिर निर्माण को उत्सव से जोड़ दिया। यही वजह है कि कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की भाषा बदल गई। अयोध्या में भूमि पूजन के तीन दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने ट्वीट किया 'मैं अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का स्वागत करता हूं। देशवासियों को इसकी बहुत दिनों से अपेक्षा और आकांक्षा थी।''
12 अगस्त को जन्माष्टमी की पूजन करते कमलनाथ।
इसके बाद कमल नाथ ने एक और ट्वीट किया 'जतन में राम, वतन में राम, रामराज लाए बिना, हमें कहां विश्राम।'' इसके बाद उन्होंने कहा कि सभी की उन्नति और खुशहाली के लिए 4 अगस्त को 11 बजे हनुमान चालीसा पाठ करूंगा।'' इसके बाद तो कमल नाथ पर सवालों की बौछार हो गई। ट्विटर पर उनके रवैए को लेकर सवाल उठाए जाने लगे। उनसे यह भी पूछा गया कि उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर से लाउड स्पीकर क्यों हटवाए थे?
दिग्विजय सिंह भी समर्थन में सिर्फ कमल नाथ ही नहीं, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी मंदिर निर्माण का स्वागत किया, लेकिन उन्होंने तो प्रधानमंत्री द्वारा किए जा रहे शिलान्यास के मुहूर्त पर ही सवाल उठा दिया। कांग्रेस के रुख को देखते हुए लग रहा है कि वह आगे भी धर्म-कर्म से जुड़े आयोजनों को महत्व देगी। इस बीच मिर्ची बाबा, कंप्यूटर बाबा सरीखे संतों ने भी कांग्रेस के लिए उपचुनाव वाले क्षेत्रों में अभियान शुरू कर दिया है।
दिग्विजय सिंह ने आज किया ये ट्वीट
भाजपा प्रवक्ता हितेष वाजपेयी ने कांग्रेस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता बोले- पाखंडियों की पार्टी
- प्रदेश भाजपा प्रवक्ता हितेष वाजपेयी कहते हैं कि 'कांग्रेस पाखंडियों की पार्टी है। कुछ दिन पहले तक यह भगवान राम के अस्तित्व पर ही सवाल उठा रही थी। यूपीए की सरकार ने तो सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था कि राम के अस्तित्व का कोई प्रमाण नहीं है। अब ये लोग पाखंड क्यों कर रहे हैं।
- राम मंदिर के लिए हुए भूमि पूजन के बाद कमलनाथ ने तो पटरी छोड़ दी है। उन्हें ये लगने लगा है कि उनके हाथ से सबकुछ निकल गया है। इतना ही नहीं कांग्रेस जिस अल्पसंख्याक वर्ग को अपना वोट बैंक समझती थी वो भी समझ गया है कि कांग्रेस सिर्फ वोटों की राजनीति करती है।
- कांग्रेस ने आज तक न तो हिंदुओं और न ही अल्पसंख्यकों के लिए कोई अच्छा काम किया है। जबकि कांग्रेस राजनीति पूरी तरह से हिंदू-मुस्लिम की करती है। इसलिए आजतक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए।
- कांग्रेस जनता के बीच अपना विश्वास खो चुकी है। धर्म के नाम पर कांग्रेस का पाखंड अब लोगों के सामने आ चुका है। अल्पसंख्यकों को खासतौर से समझमें आ गया है कि कांग्रेस उनकी हितेषी नहीं है।
- हितेष वाजपेयी का कहना है कि 70 साल में पहली बार कांग्रेस में इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं हुआ। कांग्रेस कार्यालय में दावत हुआ करती थीं। कांग्रेस नेता नासिर इस्लाम के पास भोजन की व्यवस्था रहती थी। लेकिन अब कोई कांग्रेस का नेता इस बार किसी काजी से मिलने नहीं गया।
तीर्थ दर्शन योजना तक का विरोध कर चुकी है कांग्रेस
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ वर्ष पहले राज्य में तीर्थ दर्शन योजना शुरू की थी, तब कांतिलाल भूरिया कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे। उन्होंने इसका विरोध करते हुए कहा था कि सरकारी खर्च पर तीर्थ यात्रा न करें। उन्होंने लोगों को पीपल तीर्थ करने का सुझाव दिया था। इस पर भी कांग्रेस की खूब आलोचना हुई थी।