आपका एंड्रॉयड स्मार्टफोन भूकंप डिटेक्टर का काम करेगा, इससे जुड़ा हर अलर्ट फोन पर मिलेगा; भारत में भूकंप वाले एरिया के 4 जोन

Posted By: Himmat Jaithwar
8/12/2020

आप एंड्रॉयड स्मार्टफोन यूजर हैं तब गूगल की तरफ से आपके लिए एक गुड न्यूज है। दरअसल, गूगल ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है, जिससे आपका स्मार्टफोन अर्थक्वेक डिटेक्टर का काम करेगा। यानी आपको भूकंप आने से पहले ही उसके बारे में पता चल जाएगा।

गूगल ने मंगलवार को कैलिफोर्निया में भूकंप अर्लट सिस्टम जोड़ा। कंपनी का कहना है कि इससे एंड्रॉयड स्मार्टफोन कंप्रेशर डिटेक्टर के तौर पर काम करेगा। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे और पार्टनर द्वारा वेस्ट कोस्ट पर लागू की गई 'शेकअलर्ट' भूकंप की पूर्व-चेतावनी सिस्टम से एंड्रॉयड फोन पर अलर्ट मिलेगा।

शेकअलर्ट सिस्टम की वेबसाइट के अनुसार, शेकअलर्ट चेतावनी के संदेशों को ट्रिगर करने के लिए राज्यभर में सैकड़ों सिस्मोमीटर के उन संकेतों का उपयोग करता है जिसमें भूकंप शुरू होने और झटके का जिक्र होता है।

भूकंप की जानकारी खोजने में एंड्रॉयड का इस्तेमाल
मार्क स्टोगाटाइटिस के प्रमुख सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने एक ब्लॉग में कहा, "हमने भूपंक संबंधी जानकारी की खोज के समय एंड्रॉयड स्मार्टफोन को उपयोग करने का मौका तलाशा है। साथ ही, इससे जरूरत पड़ने पर सुरक्षा के लिहाज से अपने करीबियों को कुछ सेकंड की चेतावनी भी दे सकते हैं।"

गूगल ने एंड्रॉयड स्मार्टफोन वाले सभी लोगों को कहीं से भी आमंत्रित किया, ताकि उनके हैंडसेट भूकंप का पता लगाने के लिए भीड़-भाड़ वाले नेटवर्क का हिस्सा बन सकें।

स्मार्टफोन में छोटे एक्सेलेरोमीटर होते हैं जो भूकंप के कारण आने वाले झटकों को पकड़ सकते हैं।

अलर्ट के लिए ऐसे काम करता है एंड्रॉयड स्मार्टफोन
स्मार्टफोन आमतौर पर छोटे एक्सेलेरोमीटर से लैस होते हैं, जो कि संवेदी चालक हैं। स्टोगाइटिस के अनुसार, ऐसे स्मार्टफोन भूकंप के कारण होने वाले झटकों को पकड़ सकते हैं। उसने कहा कि आपका एंड्रॉयड स्मार्टफोन एक मिनी सीस्मोमीटर हो सकता है, जिससे दुनिया के सबसे बड़े भूकंप का पता लगाने वाले नेटवर्क को बनाने के लिए लाखों अन्य एंड्रॉयड फोन जुड़ते हैं।

फोन डेटा सेंटर को भेजेगा संकेत

गूगल के अनुसार, भूकंप की गतिविधि का पता लगाने वाले एंड्रॉयड स्मार्टफोन स्वचालित रूप से डेटा सेंटर को एक संकेत भेज सकते हैं, जहां कम्प्यूटर तेजी से भूंकप की गति और उसके स्थान से जुड़े डेटा का पता लगाकर यह निर्धारित करते हैं कि क्या हो रहा है?

भूकंप के अलर्ट कैलिफोर्निया में शुरू हो रहे हैं, क्योंकि राज्य में व्यापक भूकंपीय नेटवर्क है। आने वाले वर्षों के दौरान अन्य स्थानों पर अलर्ट फैलने की उम्मीद है, क्योंकि फोन-बेस्ड डिटेक्शन नेटवर्क स्थापित है।

कैरोलिना में 100 साल का सबसे तेज भूकंप का झटका

इस बीच, उत्तर कैरोलिना में रविवार सुबह आठ बजकर सात मिनट पर 5.1 तीव्रता का भूकंप आया। सौ साल से भी अधिक समय में यह पहली बार है जब यहां भूकंप का इतना तेज झटका आया है। ग्रीनविले में नेशनल वेदर सर्विस ने बताया कि इस झटके के कुछ घंटे पहले एक छोटा झटका आया था। इससे स्पार्टा में कुछ इमारतों को नुकसान पहुंचा और सड़कों में दरारें आ गई थीं।

भारतीय उपमहाद्वीप में कई जगहों पर खतरा

भारत को भूकंप के क्षेत्र के आधार पर जोन-2, जोन-3, जोन-4 और जोन-5 में बांटा गया है। जोन-2 सबसे कम खतरे वाला और जोन-5 सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन माना जाता है। जोन-5 में कश्मीर, पश्चिमी और मध्य हिमालय, उत्तर और मध्य बिहार, उत्तर-पूर्व भारतीय क्षेत्र, कच्छ का रण और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह आते हैं।

मध्य भारत कम खतरे वाले जोन-3 में आता है। जबकि, दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं। वहीं, जोन-4 में जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, उत्तर बंगाल, दिल्ली, महाराष्ट्र शामिल हैं।

ऐसे लगाते हैं भूकंप की तीव्रता का अंदाजा
भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। सैंकड़ो किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है। धरती में दरारें तक पड़ जाती है। धरती की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे बड़ी तबाही होती है।

प्ले स्टोर पर भी कई ऐप्स मौजूद
गूगल के प्ले स्टोर पर भी ऐसे कई ऐप्स मौजूद हैं, जो भूकंप का अलर्ट देते हैं। इनमें अर्थक्वेक नेटवर्क, अर्थक्लिक अलर्ट, माय अर्थक्वेक अलर्ट, अर्थक्वेक अलार्म जैसे कई ऐप्स हैं। ये ऐप्स फोन में मौजूद एक्सेलेरोमीटर की मदद से कंपन को रिकॉर्ड करते हैं और भूकंप की प्रकृति का कंपन होने पर आपको नोटिफिकेशन देते हैं। वहीं, कई ऐप्स भूकंप के कंपन के डेटा को कैलीफोर्निया स्थित बर्कले सिस्मोलॉजिकल लैबोरेटरी के पास भेज देते हैं।



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