पटवारियों की नियुक्ति में सरकार के नए प्रोबेशन पीरियड वाले नियम को लेकर पैदा हुआ विवाद सुलझ गया है। जनवरी 2020 में जिन पटवारियों की नियुक्ति हुई है अर्थात प्रशिक्षण शुरू हो गया है, उन्हें पुराने पटवारियों के समान ही प्रोबेशन पीरियड होगा और वेतन मिलेगा।
वर्ष 2017 में पटवारी परीक्षा में वेटिंग वाले पटवारियों को वर्ष 2020 में नियुक्ति मिलने से यह कंट्रोवर्सी खड़ी हुई थी। दरअसल, 2017 में पटवारी परीक्षा हुई थी। उसमें चयनित कई लोगों ने ज्वाइन नहीं किया। तब वेटिंग लिस्ट वालों को नियुक्ति देने की शुरुआत हुई। करीब ढाई हजार लोगों का प्रशिक्षण वर्ष 2020 में शुरू हुआ। इस बीच 12 दिसंबर 2019 को सरकार ने प्रोबेशन पीरियड के संबंध में नए नियम का आदेश कर दिया।
पहले था दो साल का पीरियड
तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए पहले दो साल का प्रोबेशन पीरियड होता था, जिसे सरकार ने बढ़ाकर तीन वर्ष कर दिया। इसमें पहले वर्ष 70 प्रतिशत, दूसरे वर्ष 80 प्रतिशत और तीसरे वर्ष 90 प्रतिशत वेतन दिया जाता है। इसी नियम को लेकर पटवारियों में असंतोष था। उनका मत था कि हमने 2017 में परीक्षा पास की, उसकी वेटिंग से ही हमें नियुक्ति दी जा रही है। यदि 2017 की वेटिंग के आधार पर नौकरी दी जा रही है, तो नए नियम क्यों लागू किए जा रहे हैं। इसी परीक्षा के आधार पर पहले नियुक्त लोगों पर यह नियम लागू नहीं है, तो हम पर क्यों। उन्होंने इस संबंध में सरकार को भी अवगत कराया।
आदेश से साफ हुई स्थिति
इस विसंगति की जानकारी मिलने पर भू-अभिलेख और बंदोबस्त आयुक्त ज्ञानेश्वर पाटिल ने आदेश जारी कर पूरी स्थिति साफ कर दी। इस आदेश में कहा गया है कि पटवारी भर्ती परीक्षा-2017 से चयनित नव नियुक्त पटवारियों का प्रशिक्षण जनवरी 2020 में शुरू हो चुका है। उन्हें जीएडी के 12 दिसंबर 2019 के सर्कुलर के अनुसार वेतन निर्धारण कर भुगतान किया जा रहा है। इन पटवारियों की नियुक्ति भू-अभिलेख सेवा भर्ती नियम 2012 के अनुसार की गई है। इन पर 12 दिसंबर 2019 के नियम लागू नहीं होते। अत: पटवारी भर्ती परीक्षा से नियुक्त हुए पटवारियों को दिसंबर 2019 के पहले नियुक्त पटवारियों के समान ही वेतन निर्धारण कर भुगतान करें।