नगर निगम का मस्टरकर्मी एसडीएम व एडीएम के नाम के फर्जी सील-साइन व लेटर से बोरिंग की अनुमति जारी कर रहा था। इसके बदले वह 25 से 30 हजार रुपए लेता था। प्रारंभिक जानकारी में यह लॉकडाउन के दौरान शहर में 50 से ज्यादा बोरिंग की अनुमति जारी कर चुका है। शुक्रवार को राजेंद्र नगर पुलिस ने आरोपी मस्टर कर्मी अंकित (32) पिता सतीशचंद तिवारी निवासी हरसिद्धि को गिरफ्तार किया है। आरोपी नगर निगम के पीएचई विभाग में पदस्थ था। इतने फर्जीवाड़े के बाद भी निगम अधिकारियों को कुछ भी पता नहीं है। इस फर्जीवाड़े में सिर्फ यही आरोपी नहीं। इसका संगठित गिरोह है, जो पुलिस, प्रशासन और निगम की नाक के नीचे अवैध अनुमति देकर डार्क जोन शहर के पानी का सौदा कर रहा था। डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्र ने बताया कि राजेंद्र नगर में दो बोरिंग फर्जी अनुमति लेटर देकर करवाए जा रहे थे। जिन महिलाओं ने अनुमति दिखाई थी वह लेटर फर्जी ढंग से नगर निगम के पीएचई विभाग के कर्मचारियों ने तैयार कर 25 हजार रुपए लेकर दिए थे। इसे अधिकारिक अनुमति लेटर मानकर वे बोरिंग करवाने लगी थीं। मामले में एसडीएम कनाड़िया सोहन कनास के नाम पर मिले लेटर की पड़ताल की तो पता चला ऐसा कोई लेटर उन्होंने तैयार नहीं किया ना ही जारी किया। नगर निगम के मस्टरकर्मी अंकित को गिरफ्तार किया। आरोपी ने बताया कि एसडीएम कार्यालय से शहर में होने वाले किसी भी बोरिंग को लेकर नगर निगम से जानकारी ली जाती थी। उसी आधार पर एसडीएम बोरिंग की अनुमति देते हैं।
खुलासे के बाद अब जांच
संगठित गिरोह है - निगम के और भी लोग हैं
आरोपी अंकित ने पूछताछ में बताया कि उसके साथ इस गिरोह में निगम के और भी लोग शामिल हैं। उसने यह भी कबूला कि एसडीएम से अनुमति के लिए जो लेटर आते थे उनकी हूबहू कॉपी तैयार कर लेता था। सील-साइन भी कॉपी कर लेता था। उसके आधार पर ही फर्जी लेटर तैयार कर देता था।
निगम को पता ही नहीं -कार्यपालन यंत्री बोले- हमें मीडिया से जानकारी मिली
निगम में पीएचई के कार्यपालन यंत्री संजीव श्रीवास्तव का कहना है कि अंकित मस्टर कर्मी था। उसका काम सभी अधिकारियों से बोरिंग की अनुमति पर दस्तखत कर कलेक्टोरेट पहुंचाने का था। इसके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जानकारी हमें भी मीडिया से ही मिली।