लोक निर्माण विभाग में कई कर्मचारियों का एक दिन से ज्यादा का वेतन उनकी बिना सहमति के काेराेना फंड के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कर दिया गया। यह राशि दस से लेकर 25 हजार रुपए तक है। यह राशि कई अधिकारियाें-कर्मचारियों के लगभग आधे महीने के वेतन के बराबर है।
अब वे राशि वापस मांग रहे हैं लेकिन राशि कट जाने के कारण यह वापस नहीं हो सकती। इधर, वेतन काटने की अनुशंसा करने वाले ईई एमएस पवार का तर्क है कि 25 हजार रुपए काट लिए तो क्या हुआ। यह पैसा समाज पर ही तो खर्च होगा। मैंने भी 50 हजार रुपए दिए हैं। ज्ञात हो कि कोरोना से लड़ने के लिए सभी कर्मचारियों के एक दिन के वेतन की कटौती उनकी सहमति से की जाना थी। ताकि इलाज और व्यवस्थाओं पर यह राशि खर्च की जा सके। लेकिन पीडब्ल्यूडी के 54 इंजीनियर और कर्मचारियों की पांच लाख की राशि वेतन से काटी गई। एसडीओ वीके मनवानी, अरविंद सिंह चौहान, दिनेश कुशवाह, अजय सिंह आदि के वेतन से 25-25 हजार की कटौती की गई। सब इंजीनियर्स के दस-दस हजार रुपए काटे गए। अनेक कर्मचारियों के वेतन से एक-एक हजार रुपए काटे गए।