भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। सोमवार देर रात विधानसभा की कार्यसूची जारी की गई थी। इसमें कहा गया था कि मंगलवार को शिवराज विश्वास मत प्रस्ताव पेश करेंगे। शिवराज का विश्वास मत प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया। फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं पहुंचा। इससे पहले शिवराज के प्रस्ताव पेश करने से पहले स्पीकर एनपी प्रजापति ने इस्तीफा दे दिया। वर्तमान में सदन में विधायकों की संख्या 206 है। बहुमत साबित करने के लिए भाजपा को 104 वोटाें की जरूरत थी, जबकि उसके पास 107 विधायक हैं।
स्पीकर एनपी प्रजापति ने इस्तीफा डिप्टी स्पीकर हिना कांवरे को सौंपा। विधानसभा सचिवालय के मुताबिक, विधानसभा सत्र 27 मार्च तक चलेगा। 25 मार्च को गुड़ी पड़वा का अवकाश रहेगा। 26 मार्च को सरकार लेखानुदान पेश करेगी। इसी दौरान नए स्पीकर का भी चुनाव हो सकता है। 27 मार्च को लेखानुदान प्रस्ताव पर चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया जाएगा।
चौथी बार मप्र के सीएम बनने वाले पहले नेता
एक साल, 3 महीने और 6 दिन बाद शिवराज सिंह चौहान फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। उन्हें राज्यपाल लालजी टंडन ने राजभवन में हुए एक सादे समारोह में राज्य के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई। शिवराज चौथी बार इस पद पर काबिज होने वाले प्रदेश के एक मात्र नेता हैं। कोरोना संकट को देखते हुए शपथ कार्यक्रम में सिर्फ 40 लोगों को बुलाया गया था। उनके बैठने की व्यवस्था भी ऐसे की गई, ताकि प्रत्येक के बीच कम से कम एक मीटर की दूरी रहे।
शपथ लेने के बाद शिवराज ने कहा कि अभी एक ही प्राथमिकता है कोरोना संक्रमण को रोकना। यह एक बड़ी चुनौती है। पहले स्थिति की समीक्षा करूंगा और तत्काल फैसले लूंगा। इसके बाद शिवराज सीधे वल्लभ भवन पहुंचे और कोरोना से जुड़े मसलों की एक फाइल पर दस्तखत किए। इसके बाद अधिकारियों संग बैठक कर आवश्यक निर्देश दिए।
24 सीटों पर 6 महीने में चुनाव होंगे
विधानसभा में 230 सीटें हैं। 2 विधायकों के निधन के बाद 2 सीटें पहले से खाली हैं। सिंधिया समर्थक कांग्रेस के 22 विधायक बागी हो गए थे। इनमें 6 मंत्री भी थे। पूर्व स्पीकर एनपी प्रजापति इन सभी के इस्तीफे मंजूर कर चुके थे। इस तरह कुल 24 सीटें खाली हैं। इन पर 6 महीने में चुनाव होने हैं।
उपचुनाव में भाजपा को कम से कम 9 सीटें जीतनी होंगी
भाजपा के 107 विधायक हैं। 4 निर्दलीय उसके समर्थन में आए तो भाजपा+ की संख्या 111 हो जाती है। इस स्थिति में 24 सीटों पर उपचुनाव होने पर भाजपा को बहुमत के लिए 5 और सीटों की जरूरत होगी। अगर निर्दलीयों ने भाजपा का साथ नहीं दिया तो उपचुनाव में पार्टी को कम से कम 9 सीटें जीतनी होंगी।